संख्या-2564/9-1-2004-20सा/2001

प्रेषक,

मोहिन्दर सिंह
उत्तर प्रदेश शासन।

सेवा में,

निदेशक
स्थानीय निकाय उ०प्र०
लखन

नगर निकाय अनुभाग-1

 लखनऊ:   25 अगस्त,  2004

                                                

विषयः-

स्थानीय निकायों जल संस्थान के पूर्ण  कालिक कर्मचारियो को समयमान-वेतनमान की सुविधा अनुमन्य किये जाने के संबन्ध में।

महोदय,

शासकीय संकल्प संख्या-प०मा०नि०-225/दस-97-5 (एम)/97, दिनाँक-9क्‍टूबर, 1997 द्वारा  गठित  वेतन समिति 1998 की संस्तुतियाँ कतिपय संशोधनोपरान्त शासकीय संकल्प संख्या वे०आ०-2/1055/दस/स्था0नि0 /98 दिनाँक 21 जुलाई, 1998 द्वारा  स्वीकार कर ली गयी थी जिसके क्रम में शासनादेश संख्या-2767/9-1-98-273सा/97 दिनाँक 11.08.1998 द्वारा  शहरी स्थानीय निकायों/जल संस्थानो में विभिन्न पदों का दिनाँक 1.1.1996 से पुनरीक्षित वेतनमान स्वीकृ किया गया है।

2-         उपर्युक्त  बिषय के संम्‍बन्ध में सम्यक विचारोपरान्त मुझे यह कहने का निर्देश हुआ है कि शासनादेश संख्या-2767/9-1-98-273सा/97, दिनाँक 11.08.1998 के प्रस्तर-4 द्वारा स्थगित की गयी समयमान वेतनमान की पूर्व व्यवस्था को राज्यपाल महोदय निम्नलिखित प्रतिबन्धो एवं शर्तो  के अधीन पुर्नस्थापित किये जाने की सहर्ष  स्वीकृति प्रदान करते है।

(1)         प्रदेश की समस्त नगर निकायों में डिवोल्यूशन की धनराशि में से जितनी धनराशि  वेतन /अधिष्ठान  व्यय पर खर्च करने के लिए शासन द्वारा प्रदान की गयी है, उसे उसी स्तर पर फ्रीज कर दिया जाये, अर्थात स्थानीय निकायो को कोई  अतिरिक्त  धनराशि  इस आधार पर न दी जाए कि समयमान वेतनमान का लाभ दिए जाने के कारण वेतन/अधिष्ठान  व्यय आदि में वृद्धि हो गयी है।

(2)          सम्बधित निकाय की सामान्य सभा द्वारा  अपने कर्मचारियों / अधिकारियों को इस प्रकार समयमान-वेतनमान की सुविधा उपलब्ध कराये जाने का अनुमोदन किया जाये और साथ ही स्पष्ट सज्ञान  लिया जाए कि इस सुविधा की अनुमन्यता के फलस्वरूप आने वाले अतिरिक्त  व्यय-भार के वहन हेतु राज्य सरकार द्वारा किसी भी प्रकार की कोई  वित्तीय सहायता देय नही होगी और इसका उत्तरदायित्व सम्बन्धित निकाय का ही होगा।

(3)          स्थानीय निकाय, समयमान-वेतनमान की सुविधा दिनाँक-1 जनवरी, 1996 अथवा उसके बाद किसी तिथि से अनुमन्य कराये जाने पर एवं अवशेष की धनराशि  का एकमुश्त या किश्तो में भुगतान कराने पर अपनी वित्तीय स्थिति को देखते हुए निर्णय  लेगें। संबन्धित स्थानीय निकाय सेनट्रलाईज्ड सेवाओं  के कर्मियों की स्थिति को दृष्टिगत  रखेगें।

(4)          शासन द्वारा  निर्धारित  की जा रही उपरोक्त  शर्तो  का अनुपालन सुनिश्चित करने का पूरा उत्तरदायित्व स्थानीय निकायों के मेयर, अध्यक्ष, मुख्य नगर अधिकारी, अधिशासी अधिकारी जैसी भी स्थिति का हो का रहेगा। जल संस्थानों के मामले में अनुपालन का पूर्ण  उत्तरदायित्व सम्बन्धित चेयरमैन और महाप्रबन्धक का रहेगा। इसमें किसी प्रकार का उल्लंघर किये जाने को वित्तीय अनियमितता माना जायगा और इसके लिये ऊपर लिखित अधिकारी पूर्ण रूप से उत्तरदायी माने जायेंगे

(5)       अगर कोई  स्थानीय निकाय दिनाकँ-1 जनवरी, 1996 से उपरोक्त  सुविधा प्रदान न करते हुए अपनी वित्तीय स्थिति को देखते हुए उसमें किसी अगली तिथि से यह सुविधा प्रदान करना चाहता है जो उस तिथि से. दिनाँक-31 मार्च 2003 तक के एरियर पी.एफ. में जमा होगें, चाहे वह एकमुश्त व किश्तो में हों (जिनका निणर्य स्वयं करेंगे) और उसे भी अगले तीन वर्ष  तक आहरित नही किया जायेगा।

3-         यह आदेश वित्त विभाग के शासकीय सं0 वे0आ0-2-829/ x 2004, दिनाँक 25.08.2004 में दी गयी उनकी सहमति से उपरान्त निर्गत किए जा रहे हैं।


भवदीय
,      

(मोहिन्दर सिंह)
प्रमुख सचिव

                       

संख्या-2564-(1)/9-1-2004, तद्दिनाँक

 

 

 

प्रतिलिपि निम्नलिखित को सूचनार्थ  एवं आवाश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित :-

1-

महालेखाकार उ०प्र० इलाहाबाद।

2-

समस्त मण्ड्लायुक्त  एवं जिलाधिकारी उ0प्र0

3-

0प्र0 के समस्त नगर निगम के नगर आयुक्त

4-

समस्त महाप्रबन्धक, जल संस्थान, उत्तर प्रदेश।

5-

समस्त अध्यक्ष/अधिशासी अधिकारी, नगर पालिका परिषद / नगर पंचायत, उत्तर प्रदेश।

6-

निदेशक, स्थानीय निधि लेखा,0प्र0 इलाहाबाद।

7-

वित्त (वेतन आयोग) अनुभाग-2 एवं वित्त व्यय नियंञण अनुभाग-8 को तीन-तीन प्रति सहित।

8-

नगर विकास सचिव शाखा के समस्त अनुभाग।

9-

गार्ड  पत्रावली



ज्ञा  से,      

 ( एस० पी० सिंह)  उप सचिव