संख्याः 308/11-3-78-243 मिस/77

प्रेषक,

राम बहादुर सक्‍सेना,
आयुक्त एवं सचिव,

उत्तर प्रदेश शासन।

सेवा में,

समस्त जिला मजिस्ट्रेट, उत्तर प्रदेश।

नगर पालिका अनुभाग-3

लखनऊ: दिनांक 1 फरवरी, 1978

 विषयः नगर पालिकाओं का वर्गीकरण

महोदय,

मुझे यह कहने का निदेश हुआ है कि प्रदेश की नगर पालिकाओं का वर्गीकरण समय-समय पर विभिन्न आधारों पर किए जाने के आदेश शासन द्वाद्वारा निर्गत किए गए है। प्रथमतः आय के आधार पर नगरपालिका का वर्गीकरण करने के आदेश द्वाराजाज्ञा सं. 11709/11-ए-1966, दिनांक 5 दिसम्बर, 1966 में जारी किए गए थे। तदोपद्वारान्त उक्त आधार पर पाई गयी विषमता को दूर करने हेतु उन आदेशों को निरस्त करते हुए नगरपालिका का वर्गीकरण जनसंख्या के आधार पर करने के आदेश द्वाराजाज्ञा सं.75/11-2-6एन/72, दिनांक 3 जुलाई, 1973 में निर्गत किए गए। इसके पश्चात उक्त शा. सं. 75/11-2-6एन/72, दिनांक 3 जुलाई 1973 को निरस्त करते हुए नगर पालिका का वर्गीकरण आय के ही आधार पर निर्गत किए गए। शा. सं. 11709/11-ए-1966, दिनांक 5 दिसम्बर, 1966 के अनुसार करने के आदेश पुनः द्वाराजाज्ञा सं. 3700/11-2-6एन/72, दिनांक 30 अगस्त, 1974 में जारी किए गए, जो इस समय प्रभावी है।

2. चूंकि नगरपालिका का वर्गीकरण कई बातों पर निर्भर होता है अतः उसको केवल जनसंख्या या आय के आधार पर ही करना उचित नहीं पाया गया। अतएव इस विषय पर प्रत्येक दृष्टि से गम्भीरतापूर्वक विचार करने के उपद्वारान्त शासन द्वाद्वारा यह निर्णय लिया गया है कि नगरपालिकाओं के वर्गीकरण के सम्बन्ध में पूर्व में जारी किए गए समस्त आदेशों को निरस्त कर भविष्य में पालिकाओं का वर्गीकरण किए जाने हेतु निम्नलिखित माप-दण्ड अपनाए जायें:-

स्थानीय निकायों की श्रेणी पालिका की वार्षिक आय नवीनतम जनगणना के अनुसार पालिका की जनसंख्या
मैदानी क्षेत्र पहाड़ी क्षेत्र

प्रथम श्रेणी 20 लाख रू. से पर 50 हजार से पर 25 हजार से पर
द्वितीय श्रेणी

10 लाख रू. से अधिक 20 लाख रू. तक

30 हजार से अधिक और 50 हजार तक

15 हजार से अधिक और 25 हजार तक

तृतीय श्रेणी

5 लाख रू. से अधिक और 10 लाख रू. तक

20 हजार से अधिक और 30 हजार तक

10 हजार से अधिक और 15 हजार तक

चतुर्थ श्रेणी

2 लाख रू. से अधिक और 5 लाख रू. तक

20 हजार तक 10 हजार तक
  1.  इस सम्बन्ध में मुझे यह भी कहना है कि शासन द्वारा यह भी निर्णय लिया गया है कि उपरो वर्गीकरण के मापदण्ड की शर्त के साथ-साथ किसी भी जिला मुख्यालय की नगरपालिका को द्वितीय श्रेणी तथा तहसील मुख्यालय की नगरपालिका को चतुर्थ श्रेणी से कम न रखा जाये। नगरपालिका का वर्गीस्थान करते समय उस स्थान की तिहासिक, धार्मिक पर्यटन एवं औद्योगिक महत्ता व सम्बन्धित नगरपालिका की वित्तीय स्थिति सन्तोषजनक है या नहीं तथा वह अपने दायित्वों का पूर्णरूपेण निर्वहन एवं शासकीय ऋणों की किस्तों का भुगतान नियमानुसार कर रही है या नहीं, को भी ध्यान में रखा जायेगा तथा उपरोक्‍त मापदण्ड में तदनुसार शिथिलता प्रदान करने हेतु शासन द्वारा विचार कर निर्णय लिया जायेगा।

  2. यह आदेश निर्गत होने की तिथि से प्रभावी होंगे।

  3. शासन ने यह भी निर्णीत किया है कि जिन नगरपालिकाओं का भी वर्गीकरण इस शासनादेश के जारी होने के पूर्व किया जा चुका है उनकी स्थिति में इस शासकीय आदेश द्वारा निर्धारित नीति के आधार पर कोई परिवर्तन नहीं किया जायेगा, अर्थात उनका वर्गीकरण पूर्ववत बना रहेगा। केवल भविष्य में आवाश्यकतानुसार नगरपालिकाओं के वर्गीकरण के सम्बन्ध में इस शासनादेश के प्राविधान प्रभावी होंगे।

भवदीय,
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राम बहादुर सक्‍सेना,
आयु एवं सचिव

संख्या-3081/11-3-78-243/77

प्रतिलिपि निम्नांकित को सूचनार्थ एवं आवाश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषितः

  1. समस्त मण्ड्लों के आयुक्त, उत्तर प्रदेश।

  2. समस्त नगरपालिका के अध्यक्ष/अवमित नगरपालिका के प्रभारी अधिकारी।

  3.  समस्त नोटीफाइड एरिया/टाउन एरिया के चेयरमैन।

  4.  परीक्षक, स्थानीय निधि लेखा, उत्तर प्रदेश, इलाहाबाद।

  5.  आयु एवं निदेशक, स्थानीय निकाय, उत्तर प्रदेश, लखनऊ।

  6.  निदेशक, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं, उत्तर प्रदेश, लखनऊ।

  7.  शिक्षा निदेशक, उत्तर प्रदेश, इलाहाबाद।

  8.  निदेशक, पाशुपालन, उत्तर प्रदेश, लखनऊ।

  9.  निर्वाचन निदेशक स्थानीय निकाय, उत्तर प्रदेश, लखनऊ।

  10.  स्वायत्त शासन शाखा के समस्त अनुभाग।

  11.  सचिवालय के शिक्षा अनु. 5/6/सार्वजनिक स्वास्थ्य अनु./पंचायती राज अनुभाग 1/2

आज्ञा से,
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. पी. शर्मा
उप सचिव