उत्तर प्रदेश सरकार
नगर विकास अनुभाग-6
संख्या
3898/11-6--1984-217वि-79
लखनऊ,
1 अक्तूबर,
1984
अधिसूचना
संयुक्त प्रान्त नगरपालिका अधिनियम, 1916
(संयुक्त
प्रान्त अधिनियम संख्या
2 सन्
1916)
की धारा 297 की उपधारा
(2) के अधीन शक्ति
का प्रयोग करके, राज्यपाल निम्नलिखित विनियमावली बनाते है जिसे संयुक्त प्रान्त
नगरपालिका अधिनियम,
1916 की धारा 300 की उपधारा
1 की अपेक्षानुसार सरकारी अधिसूचना
संख्या 2837/11-3-79-217-विविध-1979, दिनांक
19 जुलाई, 1979 के साथ पहले प्रकाशित
किया जा चुका हैः
विनियमावली
उत्तर प्रदेश नगरपालिका अकेन्द्रीयित सेवानिवृत्ति
लाभ विनियमावली,1984
भाग-एक
प्रारम्भिक
1-
|
1 |
यह विनियमावली उत्तर प्रदेश नगरपालिका अकेन्द्रीयितसेवानिवृत्ति
लाभ विनियमावली,
1984 कही जायगी। |
संक्षिप्त नाम और प्रारम्भ परिभाषा |
|
2
|
यह गजट में प्रकाशित
होने के दिनांक से प्रवृत्त
होगी। |
2- |
जब तक विषय या संदभ्र में कोई
बात प्रतिकूल न हो, इस विनियमावली में,--
(क)
|
अधिनियम का तात्पर्य संयुक्त प्रान्त नगरपालिका अधिनियम,
1966 से है; |
(ख) |
औसत परिलब्धि का तात्पर्य
ऐसी
औसत परिलब्धियों से है जिन्हें सम्बद्ध पदधारी ने जिस मास सम्बद्ध पदधारी को
सेवा-निवृत्त
होना हो, उसके
ठीक
पूर्ववर्ती दस मास
के दौरान प्राप्त किया होः
परन्तु-
(एक)
|
यदि सेवा के अन्तिम दस मास के दौरान कोई
पदधारी बिना भत्ते
की छुट्टी
पर ड्यूटी से अनुपस्थित रहा हो या निलम्बित किया गया हो, तो ऐसी
परिस्थितियों में निलम्बन की अवधि या
बिना भत्ते
की छुट्टी
पर ड्यूटी से अनुपस्थित रहने की अवधि को सेवा के
रूप में नहीं माना जायगा। इस प्रकार व्यतीत की गयी अवधि पर ध्यान
नहीं दिया जायगा और दस मास के पूर्व की उतनी ही अवधि को सम्मिलित
किया जायेगा; और |
(दो)
|
यदि सेवा के अन्तिम दस मास के दौरान कोई
पदधारी भो सहित छुट्टी पर
डयूटी से अनुपस्थित रहा हो या निलम्बित किये जाने पर,
सेवा के समपहरण के बिना सेवा में पुनः ले लिया गया हो तो औसत का अभिनिश्चय करने के,
प्रयोजनार्थ
उसकी
ऐसी
परिलब्धियों की गणना की जायगी जो उस दशा
में होती यदि वह ड्यूटी से अनुपस्थित न होता या निलम्बित न किया गया होता। यह इस
प्रतिबन्ध के अधीन होगा कि उसकी पेंशन वेतन की
वृद्वि
के कारण जो वास्तव में आहरित न की गयी हो,
बढ़ायी नहीं जानी चाहिए। |
|
(ग)
|
मण्डल-आयुक्त
का तात्पर्य किसी नगरपालिका बोर्ड
के निर्देश
में, उस मण्डल
के आयुक्त
से है जिसमें नगरपालिका बोर्ड
स्थित हो। |
(घ़)
|
जिला मजिस्टेट का तात्पर्य किसी नगरपालिका बोर्ड के निर्देश में, उस जिले का
जिला मजिस्टेट से है जिसमें नगरपालिका बोर्ड स्थित है। |
(ड़) |
परिलब्धि का तात्पर्य फाइनेनिशयल हैण्डबुक,
खण्ड-दो, भाग दो से चार के फण्डामेण्टल रूल
9 21 में यथा परिभाषित
वेतन से है। इस वेतन में महंगाई
भत्ता
भी सम्मिलित होगाः-
परन्तु यदि कोई पदधारी, यथास्थिति, सेवानिवृत्ति
या मृत्यु के समय छुट्टी पर हो तो परिलब्धि वह मान ली जायगी जो उस समय होती यदि वह
उस समय छुट्टी पर न होता। |
(च़)
|
परिवार के अन्तर्गत पदधारी के निम्नलिखित सम्बन्धी भी हैः-
(एक़) |
पुरूष पदधारी की स्थिति में, पत्नी; |
(दो)
|
महिला पदधारी की स्थिति में, पति; |
(तीऩ) |
पुत्र
अविवाहित और विधवा पुत्रियां
जिसके अन्तर्गत सौतेले बालक और दाक बालक भी है; |
(चाऱ)
|
18 वर्ष
से कम आयु के भाई
अविवाहित और विधवा बहिने जिसके अन्तर्गत सौतेले भाई और सौतेले बहिनें भी है; |
पांच |
पिता;
|
(छ) |
माता; |
(सात)
|
विवाहित पुत्रियां जिसके अन्तर्गत सौतेली पुत्रियां भी है; और |
(आठ) |
पूर्व-मृत पुत्र के बालक। |
|
(छ)
|
प्रपत्र का तात्पर्य इस विनियमावली से संलग्न प्रपत्र से है; |
(ज) |
अकेन्द्रीयित सेवा का तात्पर्य अधिनियम की धारा
71 के अधीन सृजित राज्य के
नगरपालिका बोर्ड की सेवा से है; |
(झ़) |
पदधारी का तात्पर्य किसी नगरपालिका बोर्ड की अकेन्द्रीयित सेवा के
ऐसे
सेवक से है जिसका अकेन्द्रीयित सेवा के अधीन किसी स्थायी पेंशन योग्य पद पर
धारणाधिकार हो या ऐसे पद पर धारणाधिकार होता, यदि उसका धारणाधिकार आस्थमित न किया
गया हो; |
(ज) |
पालिका का तात्पर्य किसी नगरपालिका नगरपालिका बोर्ड़ से है; |
(ट) |
पेंशन योग्य पद का तात्पर्य ऐसे पद से है जिसके
संबंध
में निम्नलिखित तीन शर्तें
पूरी होती हैं-
(एक़) |
पद
नगरपालिका बोर्ड की अकेन्द्रीयित
सेवा के किसी संवर्ग में है; |
(दो) |
सेवायोजन मौलिक और स्थायी है; और |
(तीऩ) |
सेवा-कार्य के लिए भुगतान किसी नगरपालिका बोर्ड
किया जाना आवाश्यक है। |
|
(ठ) |
पेंशन स्वीकृति प्राधिकारी का तात्पर्य विनियम
13 के उपविनियम
3 के अधीन उल्लिखित
ऐसे प्राधिकारी से है जो पेंशन और/या उपदान स्वीकृत करने के लिए सक्षम हो; |
(ड) |
अर्हकारी सेवा का तात्पर्य
ऐसे
सेवा से है जो निम्नलिखित को छोड़कर,
समय-समय पर यथा संशोधित सिविल रेगुलेशन्स के अनुच्छेद
368 के उपबन्धों के अनुसार पेंशन के लिए अर्हता प्रदान करती होः-
(एक़)
|
सम्बद्ध नगरपालिका बोर्ड के अधीन पेंशन-रहित अधिष्ठान
में अस्थायी या स्थानापत्र सेवा की अवधि; |
(दो) |
किसी कार्य प्रभारित
अधिष्ठान
में सेवा की अवधि; और
|
(तीन)
|
किसी ऐसे पद पर जिसके लिए आकस्मिकता निधि से भुगतान किया जाता है, सेवा की अवधि;
परन्तु सम्बन्ध बोर्ड के अधीन निरन्तर अस्थायी या स्थानापत्र सेवा की अवधि की
गणना अर्हकारी सेवा के रूप में की जायेगी
यदि उसी या किसी अन्य पर सेवा के किसी व्यवधान के बिना बाद में उसे स्थायी कर दिया
जाय। |
|
टिप्पणीः- यदि किसी पेंशन रहित अधिष्ठान, कार्य प्रभारित
अधिष्ठान
में या आकस्मिकता निधि से भुगतान किये जाने वाले किसी पद पर की गयी सेवा किसी पेंशन
योग्य अधिष्ठान में अस्थायी सेवा की दो अवधि के बीच या किसी पेंशन योग्य अधिष्ठान
मेंअस्थायी सेवा और स्थायी सेवा की अवधि के बीच पड़ती हो तो वह सेवा का व्यवधान नहीं
होगी। |
(ढ़)
|
सेवानिवृत्ति
पेंशन का तात्पर्य किसी पदधारी के अकेन्द्रीयित सेवा से अधिवाषिता
पर, अनिवार्यतः या स्वेच्छ से सेवानिवृत्त
होने पर या स्थायी पद या स्थायी नियुक्ति
की
समाप्ति पर, यदि पदधारी की नियुक्ति
किसी
अन्य पद पर न की जाय या उसे उसके पूर्ववत्ता
मौलिक पद पर, यदि कोई
हो, प्रत्यावर्तित करना संभव न
हो, सेवामुक्त
होने से है; |
टिप्पणीः- सेवा से स्वेच्छ से सेवानिवृत्ति
का तात्पर्य
ऐसी
सेवानिवृत्ति
से है जो
50
वर्ष
की आयु प्राप्त करने के पाश्चात
20 वर्ष की अर्हकारी सेवा पूरी कर लेने पर हो। |
(ण़) |
सेवानिवृत्ति पेंशन का तात्पर्य ऐसी पेंशन से है जो ऐसे पदधारी को स्वीकृत की जाय,
जिसे अधिवार्षिता
की आयु प्राप्त होने के पूर्व सेवानिवृत्ति
होने की अनुझ दी जाय और इसके अन्तर्गत ऐसी पेंशन भी है जो ऐसे पदधारी को स्वीकृत की
जाय जिससे अधिवार्षिता
की आयु प्राप्त करने के पूर्व सेवा-निवृत
होने की अपेक्षा की जाय; |
त |
अधिवाषिता
की पेंशन का तात्पर्य किसी ऐसे पदधारी को स्वीकृत पेंशन से है जो सुसंगत विनियमों
के अधीन विशिष्ट
आयु प्राप्त होने पर सेवा से निवृत
होने का हकदार हो। |
|
3- |
1 |
यह विनियमावली निम्नलिखित पर लागू होगीः-
(क़) |
अकेन्द्रीयित सेवाओं के उन समस्त पदधारियों पर जो इस विनियमावली के प्रवृत्त
होने के पश्चात पालिका
द्वारा
सृजित पेंशन योग्य पदों पर मौलिक रूप से नियुक्त
किये जायें;
|
(ख़) |
अकेन्द्रीयित सेवाओं के उन समस्त पदधारियों पर जो इस विनियमावली के प्रवृत्त
होने के दिनांक को पालिका
द्वारा
सृजित पेंशन योग्य पदों पर अपनी मौलिक नियुक्ति
पर हों; और |
(ग़) |
अकेन्द्रीयित सेवाओं के उन समस्त पदधारियों पर जो दिनांक
1 अप्रैल,
1979 को उत्तर
प्रदेश पालिका अकेन्द्रीयित सेवा के किसी पद पर स्थायी थे, किन्तु इस विनियमावली के
प्रकाशन के पूर्व सेवा-निवृत्त
हो चुके हैं, बशर्ते
कि वे इस विनियमावली के प्रवृत्ति
होने के दिनांक से
90 दिन के भीतर इस विनियमावली
द्वारा
नियंत्रित
होने के लिए अपना विकल्प दें और उप विनियम
2 की अपेक्षानुसार पात्रता की शर्तें
पूरी करते हों।
2 केवल उन्हीं पदधारियों को जो पात्रता की निम्नलिखित
शर्तों
को पूरी करते हों, उप
विनियम 1 के
उपबन्धों का लाभ प्राप्त होगाः-
(क) |
यदि किसी पदधारी ने अपने भविष्य निधि लेखा में जमा पालिका के अंशदान और बोनस की
धनराशि
का अन्ततः आहरण कर लिया हो तो उसे वह धनराशि
इस विनियमावली के भाग सात के अधीन स्थापित पेंशन निधि में व्याज सहित जमा करनी
होगी; |
(ख) |
यदि किसी पालिका ने पदधारी की भविष्यनिधि में बोनस और अपना अंशदान जमा न किया हो तो
नगरपालिका बोर्ड को उपयुक्त
पेंशन निधि में प्रत्येक ऐसी धनराशि
ब्याज सहित जमा करनी होगी; |
(ग) |
सम्बद्ध कर्मचारी के भविष्य निधि लेखा में जमा किये गये पालिका के अंशदान और बोनस की
धनराशि
का भविष्य निधि लेखा से आहरण किया जायेगा
और उसे नगरपालिका बोर्ड
द्वारा
उपयुक्त
पेंशन निधि में जमा किया जायगा। |
|
|
3 |
|
यदि उपर्युक्त
उपविनियम 2 में निर्दिष्ट शर्त/शर्त पूरी
न की जाय/ जायें तो पेंशन स्वीकृति प्राधिकारी को अपने इस विवेक का प्रयोग करने की
शक्ति
होगी की यह विनियमावली अकेन्द्रीयित
सेवाओं के किसी विशिष्ट
पदधारी पर लागू न होः
परन्तु इस विनियमावली
द्वारा
नियंत्रित
पदधारी उन पर इस विनियमावली के लागू होने के दिनांक से नगरपालिका बोर्ड
द्वारा
उनकी भविष्य निधि में देय बोनस और अंशदान के लाभ को समपहृत कर देंगे। |
भाग-दो
पेंशन और उपदान
4-- |
1- |
अधिवर्षिता, सेवानिवृत्ति ,अक्षम और
प्रतिकर पेंशन या उपदान की धनराशि, अनुलग्नक में दिये गये सूत्र के अनुसार संगणित
समुचित धनराशि होगी |
|
2- |
कोई विशेष अतिरिक्त पेंशन स्वीकृत नहीं की
जाएगी |
|
3- |
पद "अक्षम और प्रतिकर
पेंशन" का वही अर्थ होगा जो उसके लिए सिविल सर्विज रेगुलेशनस में दिया गया है
|
भाग-तीन
मृत्यू एवं सेवानिवृत्ति उपदान
5- |
1 |
किसी पदधारी को सेवानिवृत्त होने पर उपदान
दिया जायेगा, जिसकी धनराशि परिलब्धियों में अर्हकारी सेवा की पूर्ण छमाही अवधि की
कुल संख्या से गुणा करने पर, जो धनराशि हो, सके एक -चौथाई के बराबर मृत्यु एवं
सेवानिवृत्ति उपदान धनराशि होगी, किन्तु परिलब्धियों की अधिकतम साढे सोलह गुना से
अधिक न होगी नगरपालिका बोर्ड के पद धारियों की परिलब्धियें में समय-समय पर स्वीकृत
महंगाई भत्ता और अतिरिक्त महंगाई भत्ता होगा |
|
2 |
कदि ऐसे पदधारी की, जो इस विनियमावली के भाग-2
के अधीन पेंशन पाने का हकदार हे गया हो, सेवा में रहते हुए मृत्यु हो जाय, तो उपदान
का भुगतान एकसे व्यक्ति या व्यक्तियों को जिसे या जिन्हें बिनियम
6 के उपनियम
1 से 8 कि अधीन नाम-निर्देशन द्वारा उपदान पाने का अधिकार प्रवृत्त किया जायेगा और
यदि ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है तो उसका भुगतान विनियम
6 के उपविनियम
9 में इंगित रीति
से किया जायेगा जिसकी धनराशि पदधारी की परिलब्धियों के न्यूनतम बरह गुना और
अधिकतम सढे सोलह गुना धराशि हो उसके एक -चौथाई के बराबर धनराशि होगी |
|
3 |
यिदि किसी ऐसे पदधारी की, जो इस विनियमावली के
भाग-दो के अधीन पेंशन या उपदान प्राप्त करने के लिए पात्र हो गाया हो
या जिसने वस्तुत उसे प्राप्त कर लिया हो, सेवानिवृत्ति के दिनांक से पांच वर्ष की
अवधि के भीतर मृत्यु हो जाय और मृत्यु के समय तक उसे ऐसे उपदान या पेंशन के मद्धे
अनुमन्य या वस्तुत प्राप्त धनराशि और उप विनियम 1 के अधीन स्वीकृत उपदान और उसके
द्वारा संराशीकरण करायी गयी पेंशन के किसी भाग का संराशीकृत मुल्य कुल मिलाकर उसकी
परिलब्धियों की बारह गुना धरराशि से कम हे तो उप विनिमय 2 में निर्दिष्ट व्यक्ति या
व्यक्तियों को ऐसी कम धरराशि क बराबर उपदान स्वीकृत किया जायेगा |
|
4 |
उपविनियकम 2 के अनुसार अनुमान्य उपदान की धनराशि
किसी भी स्थिति में 30000 से अधिक न होगी
|
नाम निर्देशन
6- |
1 |
प्रत्येक
पदधारी जैसे ही वह इस विनियमावली का विकल्प करे या जैसे ही यह विनियमावली उस पर
लागू हो जाय, नाम-निर्देशन करेगा जिसमें एक या अधिक व्यक्तियों को कोई ऐसा उपदान जो
विनियम 5 के उपविनियम 2 या उव विनियम 3 के अधीन स्वीकृत किया जाय और ऐसा उपदान
जिसका विनियम 5 के उपविनियम 1 के अधीन उसे अनुमन्य हो जाने के पश्चात उसकी मृत्यु
के पूर्व भुगतान किया गया हो, प्रापत करने का अधिकार प्रदान किया जायेगा
परन्तु यदि नाम-निर्देशन करते समय पदधारी का
परिवार हो तो नाम-निर्देशन उसके परिवार के किसी एक या अधिक सदस्यों से भित्र
किसी अन्य व्यक्ति के पक्ष में नहीं किया जायेगा
टिप्ण्णी- पदधारी द्वारा नाम-निर्देशन या
नाम-निर्देशनमें कोई परिवर्तन पेंशन स्वीकृत्ति प्राधिकारी के अनुमोदन से अपने
सेवाकाल मेंया सेवा-निबृत्ति के पश्चात किया जा सकता है। |
|
2 |
यदि कोई पदधारी उपविनियम 1 के अधीन एक से अधिक
वयक्ति को नाम-निर्दिष्ट करें, तो वह नाम-निर्देशन पत्र में प्रत्येक नाम-निदिर्ष्ट
व्यक्ति को देय ध्नीराशि या ऐसी रीति से विनिर्दिष्ट करेगा जिससे उसके अर्न्तगत
उपदान की सम्पूर्ण धराशि आ जाय। |
|
3 |
कोई पदधारी नाम-निर्देशन में यह व्यवस्था कर
सकता है कि:-
क- |
किसी विनिर्दिष्ट
नाम-निर्देशिती को पदधारी के पूर्व मृत्यु हो जाने पर उस नाम-निर्दिष्ट व्यक्ति को
प्रदत्त अधिकार ऐसे अन्य व्यक्ति को अन्तरित हो जायेगा जिसे नाम-निर्देशन पत्र में
विकनर्दिष्ट किया जाय:
परन्तु यदि
नाम-निर्देशन करते समय पदधारी के परिवार में एक से अधिक सदस्य हो तो इस प्रकार
विनिर्दिष्ट व्यक्ति उसके सदस्य से भित्र व्यक्ति न होगा
|
ख |
नाम-निर्दिष्ट व्यक्ति का नलाम- निर्देशन उसमें
विनिर्दिष्ट आकस्मिक घटना होने की ददशा में अविधिमान्य हो जायेगा। |
|
|
4 |
किसी ऐसे पदधारी द्वारा जिसका नाम-निर्देशन
करते समय परिवार न हो, किया गया नाम-निर्देशन या किसी ऐसे पदधारी द्वारा,जिसके
परिवार में नाम-निर्देशन करने के दिनांक को केवल एक सदस्य हो,उपविनियम 3 के खण्ड क
के अधीन नाम-निर्देशन में की गयी व्यवस्था उस दशा में अविधिमान्य हो जायेगी जब बाद
में पदधारी का यथास्थिति, परिवार हे जाय या उसके परवार में कोई अतिरिक्त सदस्य हो
जाय। |
|
5- |
क |
प्रत्येक नाम-निर्देशन प्रपत्र -क से घ तक
के किसी एक ऐसे प्रपत्र में हेगा जो उस मामले की पकरस्थिति के अनुसार उपयुक्त हो। |
ख- |
कोई पदधारी किसी भी समय पेंशन स्वीकृति
प्राधिकारी को लिखित नोटिस भेजकर नाम-निर्देशन रद्द कर सकता है। परन्तु
पदधारी ऐसी नोटिस के साथ इस विनियमावली के अनुसार किया गया नया नाम- निर्देशन
भेजेगा। |
|
|
6 |
किसी ऐसे नाम-निर्दिष्ट व्यक्ति की, जिसके
संबंध में उपविनियम 3 के खण्ड क के उधीन नाम-निर्देशन मे किसी दूसरे व्यक्ति को
उसके अधिकार अन्तरित हो जाने के संबंध में कोई व्यवस्था न की गई हो, मृत्य हो जाने
परी तुरन्त या किसी ऐसी घटना के हो जाने पर जिसके कारण नाम-निर्देशन उपविनियम 3 के
खण्ड ख या उपविनियम 4 के अनुसारण में अविधिमान्य हो जाय, पदधारी पेंशन
स्वीकृति प्राधिकारी को औपचारिक रूप से नाम-निर्देशन रद्द करने की लिखित
नोटिस के साथ इस विनियमपवली के अनुसार किया गया नया नाम-निर्देशन भी भेजेगा। |
|
7 |
किसी पदधारी द्वारा किया गया प्रत्येक
नाम-निर्देशन और रद्द करने के लिए दी गयी प्रत्येक नोटिस पेंशन स्वीकृति
प्राधिकारी ो भेजी जायेगी जो उसमें प्राप्ति का दिनांक इंगित करते हुए उस पर प्रति
हस्ताक्षर करेगा और उसे अपनी अभिरक्षा में रखेगा। |
|
8 |
किसी पदधारी द्वारा किया गा प्रत्येक
नाम-निर्देशन और रद्द किये जाने के लिए दी गयी प्रत्येक नोटिस जहां तक कि वह
विधिमान्य हो उपविनियम
7 मे उल्लिखित प्राधिकारी को प्राप्त होने के दिनांक से
प्रभावी होगी। |
|
9 |
यदि किसी पदधारी की, जिसका कोई परिवार हो ऐसा
नाम-निर्देशन किये बिना जिसमें उसके परिवार के एक या अधिक सदस्यों को मृत्यु एवं
सेवानिवृत्ति उपदान की धनराशि प्राप्त करनें का अधिकार प्रदत्त किया गया हो, मृत्यु
हो जाये तो वह उसके परिवार के उन जीवित सदस्यों को बराबर बराबर अंशों में दिया
जायगा जो, विधिवा पुत्रियों को छोडकर विनियम 2 के खण्ड च में उल्लिखित श्रेणी एक से
चार के अन्तर्गत आतें है जहॉ कोई ऐसे जीवित सदस्य ना हो किन्तु विधवा पुत्रयों और
ऐसे पदाधारी के विनियम दो के खण्ड च मे उल्लिखित श्रेणी 5 से 8 के परिवार का/के एक
या अधिक सदस्य जीवित हो या हो वहॉ उपदान ऐसे व्यक्तियों को या ऐसे समस्त व्यक्तियों
को बराबर बराबर अंशों में दिया जाएगा। |
भाग 4
परिवारिक पेंशन
7-- |
1 |
ऐसे पदधारी के, जिसकी चाहे सेवा - निवृत्ति
के पश्चात या कम से कम 20 वर्ष के अर्हकारी सेवा पूरी करनें के पश्चात सेवामें
रहतें हुए मृत्यु हो जाये, परिवार को 10 वर्ष की अवधि के लिए पारिवारिक पेंशन दी जा
सकती है जिसकी धन राशि उपविनियम 2 में विनिर्दिष्ट धन राशि से अधिक ना होगी
परन्तु पारिवारिक पेंशन दियें जोने की अवधि किसी भी स्थिति में उस दिनांक से जब
मृत्यु पदधारी ने 60 वर्ष की आयु पूरी कर ली होती है, यदि वह सेवामें होता, 5 वर्ष
से आगे नहीं बढ़ाईजायगी परन्तु यह और की यदि पारिवारिक पेंशन स्वीकृत की जाती है तो
उप दान का अनुमान्य हो ऐसा भाग अभियर्पित करना होगा जो उसके दो मास की उन
परिलब्धियों के बराबर होगा जिसके आधार पर उपदान की धनराशि की संगणना की गई हो
किन्तु इस प्रकार अभियर्पित की जानें वाली धन राशि पॉच हजार रूपये से अधिक नहीं
होगी।
टिप्पणी
- |
1- |
पेंशन स्वीकृति प्राधिकारी आपवादिक
परिस्थितियों में, स्वाविवेकानुसार किसी ऐसे पद धारी के परिवार को जिसकी मृत्यु बीस
वर्ष अर्हकारी सेवा पूरी करनें के पूर्व किन्तु कम से कम दस वर्ष की अर्हकारी सेवा
पूरी करने के पश्चात हो जाये, पारिवारिक पेंशन दिये जानें पर विचार कर सकता है। |
|
2- |
ऐसे मामलों में, जहॉ अर्हकारी सेवा विहित
न्यूनतम से कम हो, वहॉ इस कमी को माफ नहीं किया जाना चाहिए।
|
|
|
2- |
पारिवारिक पेंशन की धनराशि-
|
|
|
क- |
सेवा-काल में मृत्यु होने पर, उस अधिवर्षता की
पेंशन की आधी होगी जो परधारी को उस समय अनुमन्य होती यदि वह अपनी मृत्यु के दिनांक
से अगले दिनांक को सेवानिवृत्त होता, और
|
ख- |
सेवानिवृत्त के पश्चात मृत्यु होने पर,
सेवानिवृत्ति के समय उसे स्वीकृत पेशन की आधी होगी :
परन्तु यह और कि किसी भी स्थिति में न्यूनतम
पारिवारिक पेंशन मृत पदधारी को उसकी मृत्यु सेवाकाल में हो जाय, तो पेंशन उससे अधिक
नहीं होगी जो उसे अनूमन्य होती यदि वह अपनी मृत्यु के दिनोंक अगले दिनांक
कोअधिवर्षिक पेंशन पर सेवा निवृत्त होता। |
|
टिप्पणी:- |
पारिवारिक पेंशन का धनराशि में
पेंशनभोगी द्वारा अपनी मृत्यु के पूर्व संराशीकरण की गयी पेंशन की धनराशि, यदि कोई
हो, कम हो जायेगी । उदाहरणर्थ यदि सामान्य पेंशन 90 रूपयें प्रतिमास थी और इसमें से
30 रूपयें की धनराशि का संराशीकरण किया गया था तो पारिवारिक पेंशन की धनराशि
90/2-30.15 रूपये प्रतिमाह होगी। |
|
3- |
विनियमावली के इस भाग के अधीन कोई पेंशन
निम्नलिखित को देय नहीं होगी:-
क- |
उपविनियम 4- के खण्ड ख- में उल्लिखित व्यक्ति
को, जब तक पेंशन स्वीकृत करने वाले प्राधिकारी का यह समाधान हो जाय कि ऐसा
पेंशनभोगी भरण- पोषण के लिए मृत पदधारी पर आश्रित था,
|
ख-
|
परिवार की किसी अविवाहित महिला सदस्य को, उसका
विवाह हो जाने पर
|
ग- |
परिवार की विधवा महिला सदस्य को, उसका
पुनर्विवाह हो जानें पर, |
घ- |
मृत पदधारी के भाई को, 18 वर्ष की आयु को हो
जोने पर , |
ङ- |
ऐसे व्यक्ति को जो मृत पदधारी के परिवार का
सदस्य हो, |
|
|
4- |
उपविनियम 5- के अधीन नाम - निर्देशन
द्वज्त्ररा तथा उपबन्धित के सिवाय:-
क-
|
विनियम के इस भाग के अधीन स्वीकृत पेंशन
निम्नलिखित को दी जायेगी:-
एक -
|
ज्येष्ठतम उत्तरजवी विधवा को, यदि म.त
पदधारी पुरूष पदधारी या पति को, यदि मृत पदधारी महिला पदधारी थी, |
दो-
|
उपर्युक्त - एक- के होने न होने पर ज्येष्ठतम
उत्तरजीवी पुत्र को, और
|
|
ख- |
खण्ड -क- के अधीन पेंशन देय न होने की दशा में
पेशन निम्नलिखित को दी जा सकती है:-
एक -
|
पिता को,
|
दो-
|
उपर्युक्त एक के ना होने पर माता को, |
तीन-
|
उपर्युक्त -एक- और -दो- के न होने पर,18
वर्ष से कम आयू के ज्येष्ठतम उत्तरजीवी भाई को, |
चार-
|
उपर्युक्त - एक- से -चार- के न होने पर
ज्येष्ठतम उत्तरजीवी अविवाहित बहिन को, |
पांच- |
उपर्यूक्त -एक- से -पांच- के न होने पर,
पूर्व मृत पुत्र क बालकों को उसी क्रम में जिस क्रम में दिनांक के अनुसार ज्येष्ठता
के निर्देश में, न कि उत्तरजीवी विधवाओं के की आयु के निर्देश में लगाया जाना
चाहिए। |
|
|
टिप्पणी :-
|
उपर्युक्त खण्ड क में पद "ज्येष्ठतम
उत्तरदायी विधवा" को अथ्र पदधारीके साथ विवाह होनं के दिनांक के अनुसार ज्येष्ठता
के निर्देश में , न कि उत्तरजीवी विधवाओं की आयु के निर्देश में लगया जाना चाहिए। |
|
5- |
प्रत्येक पदधारी अपनं स्थयीकरण के तुरन्त बाद
प्रपत्र "ङ" में नाम निर्देशन करेंगा जिसमें यह इंगित किया गया है कि इस भाग के
अधीन स्वीकृति पेंशन उसके परिवार के सदस्यों को किस क्रम में देय होगी और जिस सीमा
तक वह विधिमान्य होगी, उस सीमा तक वह पेंशन ऐसे नाम- निर्देशन के अनुसार देय होगी,
बशर्ते सम्बद्ध नाम-निर्दिष्ट व्यक्ति उस दिनांक को जब उसे पेंशन देय हो
जाये, उस विनियम 3 के उपबन्धों के अधीन पेंशन प्राप्त करने के लिए अपात्र न
हो। सकद समबद्ध नाम-निर्दिष्ट व्यक्ति उक्त उपविनियम के अधीन पेंशन प्राप्त करने के
लिए अपात्र हो या हो जाय तो पेंशन ऐसे नाम-निर्देशन के क्रम में अगले निम्न व्यक्ति
को स्वीकृत की जायेगी। विनियम 6 के उप-निर्देशन के सम्बन्ध में लागू होंगे। |
|
6 - |
क- |
इस भाग के अधीन प्रदत्त पेंशन मृत
पदधारी के वरिवार के एक से अधिक सदसयों को एक साथ देय न होगी |
ख |
यदि इस भाग के अधीन
प्रदत्त पेंशन उपविनियम 1 के परन्तुक मे उल्लिखित अवधि की समाप्ति के
पूर्व प्राप्तिकर्ता की मृत्यु हो जाने या विवाह हो जाने के कारण या
किसी अन्य कारण से देय हेना समाव्त हे जाय तो वह, यथास्थिति,उपविनियम 4
में, उल्लिखित क्रम में अगले निम्न व्ययिक्त इस भाग को या विनियम 5 के
अधीन किये गये नाम-निर्देशन मे दिखाये गये क्रम मे आगले व्यक्ति को जो
इस भाग के अन्य उपबन्धों का समाधान करें, पुन: स्वीकृत की जायेगी। |
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7 - |
इस भाग के अधीन स्वीकृत पेंशन ऐसी
किसी असाधारण पेंशन, उपदान या प्रतिकर के अतिरिक्त मान्य होगी जो वर्तमान नियमों,
विनियमों या अधिनियमों के अधीन किसी पदधारी के परिवार के सदस्य को स्वीकार की जाय। |
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8 - |
इस भाग के अधीन स्वीकृत पव्येक पेंशन के
लिए यह एक विवक्षित शर्त है कि प्राप्तिकर्ता का भावी आचरण अच्छा हो। सदि
प्राप्तिकर्ता किसी गम्भीर अपराध में सिद्धदोष हो जाय या घोर अपचार का अपराधी हो तो
पेंशन स्वीकृति प्राधिकारी ऐसी पेंशन या एसके किसी भाग को रोक सकता है या वापस ले
सकता है और ऐसे मामलों में एसका विनिश्चय अन्तिम होगा। |
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9 - |
पारिवारिक पेंशन के लिए आवेदन-पत्र प्रपत्र
च में दिया जायेगा। |
भाग- पांच
संराशीकरण
8-- |
पेंशन की
संराशीकरण की सुविधा उत्तर प्रदेश सिविल पेंशन कम्यूटेशन रूल्स
के अनुसार सुलभ होगी किन्तु पेंशन की अधिकतम धनरासश जिसका संराशीकरण किया जाय, इस
विनियमावली के भाग-दो के अधीन अनुमन्य पेंशन की एक तिहाई तक हेगी:
परन्तु संराशीकरण के पश्चात् वस्तुत: देय पेंशन
किसी भी स्थ्िति में सिविल सर्विस रेगुलेशन के अनुच्छेद 474 और 474-ए के अधीन
अनुमन्य पेंशन का कम से कम आधा या 20रूपये , जो भी अधिक हो, होगी। |
भाग- छ:
प्रकीर्ण
उपदान या पेंशन से वसूली
9 - |
पेंशन स्वीकृति प्राधिकारी को सम्बद्ध पदधारी द्वारा नगरपालिका बोर्ड को विधित:
धनराशि को , उसे स्वीकृत उपदान या पेंशन मे वसूल करने का अधिकार होगा। |
10- |
यदि किसी पदधारी को आपराधिक अपचार के कारण
दण्ड दिया गया हो, या वह अपचार, दिवालिया होने या गबन करले के कारण सेवा से पदच्युत
कर दिया गया हो या हटा दिया गया हो, तो उसे सामान्यत: कोई उपदान या पारिवारिक पेंशन
नहीं दी जायेगी, किन्तु पेंशन स्वीकृति प्रधिकारी अनुकम्पा के आधार सपर विनियम 4 के
अधीन अनुमान्य धराशि के आधे तक उपदान सवीकृत कर सकता है।
कतवय मामलों में उपदान / पारिवारिक पेंशन स्वीकृत
नही की जायेगी।
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11- |
1 - |
ऐसे प्रव्येक पदधारी के लिए जो इस
विनियमावली क अधीन पेंशन का हकदार हो, सम्बद्ध पेंशन समबंधी नगरपालिका बार्ड के
अध्यक्ष द्वारा उसके सवेतन के 12 प्रतिशपत के बराबर आर्थिक सहायता देय होगी। |
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2 - |
जिला मजिज्त्रट्रेट , जिसके पास स्थानीय
निकाय निदेशक द्वारा आर्थिक सहायता की धनराशि रखी जाती है , एक संहत बिल
तैयार करेगा जिसमें सम्बद्ध नगरपपलिका बार्ड का नाम, अनुदान की धनराशि ,अनुदान से
पेंशन निधि में जमा की जाने वाली धनराशि, सम्बद्ध नकरपालिका बार्ड के पदधारियों की
संख्या और आर्थिक सहायता की दर उल्लिखित की जायेगी। |
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3 - |
बिल पर "उत्तर प्रदेश प्रदेश नगरपालिका
अकेन्द्रीयित सेवानिवृति लाभ विनियमावली, 1984, पालिका आर्थिक सहायता बिल"
लिखा जायेगा । |
|
4 - |
बिल पेंशन निधि में जमा के लिए पृष्ठांकित
किया जायेगा और साथ ही साथ विनियम 19 क अनुसार चालान भी संलग्न किया जायेगा।
कोषागार अधिकरी बिल पर " केवल पाले वाले के ही लेखा मे देय" लिखने के पश्चात भुगतान
के लिए आदेश देगा। |
|
5 - |
जिला मजिस्ट्रेट इस विनियमावली के अनुसार पेंशन
निधि का लेखा रखेगा । जिला मजिस्ट्रेट एक पृथक रजिस्टर भी रखेगा जिसमें
स्थानीय निकायों को स्वीकृत अपुदान की कुल धनराशि, पेंशन निधि में जमा
की गयी अनुदान की धरराशि और अनुदान का अवशेष पृथक- पृथक आभिलिखित किया जायेगा |
|
6 - |
इस विनियमावली के उपबन्धों के अधीन पेंशनप क
हकदार पदधारियों की भविष्य निधि में इस विनिपयमावली के प्रारम्भ के ठीक
पूर्ववर्ती मास के अन्तिम दिनांक तक जमा की गयी कुल धनराशि और पालिका का अंश्दान,
बोनस की धनराशि, और उन प्रोद्भूत ब्याज को नगरपालिका बार्ड के
अध्यक्ष / प्रशासक द्वारा उक्त लेखा से तुरन्त निकाल लिया जायेगा और उसे इस विषय पर
अनुदेश के अनुसार जिला मजिस्ट्रेट के उक्त लेखा में अन्तरित कर दिया जायेगा
और उसकी व्योरेवार सूची स्थानीय निकाय निदेशक, उत्तर प्रदेश , मण्डल आयुक्त
और जिला मजिस्ट्रेट का प्रसतुत की जायेगी। |
|
7 - |
नगरवपलिका बार्ड की भविष्य निधि नियमावली
में पालिका के अंशदान और बोनस के भुगतान से सम्बन्धित तर्वमान उपबन्ध इस विनियमावली
के प्रवर्तन से प्रवर्ती नही रह जायेंगे। |
12 |
विनियम 11 में उल्लिखित अंशदान और उससे किये
गये विनियेजन का लेखा स्थानीय निकाय निदेशक के निर्देशों के अनुसार रखा और तैयार
किया जायेगा। |
13 |
1 |
प्रत्येक नगरपालिका बोर्ड के विभागाध्यक्ष
पहली जनवरी और पहली जुलाई को अपने-अपने विभागों में अकेन्द्रीयित सेवा के ऐसे समस्त
पदधारियों की जो आगामी दो वर्ष में सेवानिवृत्त होने वाले हों, छमाही
सूची सैयार करेंगे और इस सुची को प्रति वर्ष 31 जनवरी और 31 जुलाई को नगरपालिका
बार्ड के अधिशासी असधकारी को भेजेंगे। विभागाध्यक्ष ,पदधारी के सेवानिवृत्ति होने
के दिनांक के डेढ़ पूर्व से यह भी सुनिश्चत करेंगे कि सम्बद्ध पदधारी से उसके
सेवा-निवृत्त हो ने के दिनांक तक कोई देंय वसूल किये बिना न रह जाय।
नगरजालिका बार्ड का अधिशासी अधिकारी प्रति वर्ष 15 फरवरी और 18 अगस्त तक इस सूची की
एक प्रति मण्डल आयुक्त और जिला मजिस्ट्रेट को निशिचत रूप से भेजेगा। |
|
2 |
अकेन्द्रीयित सेवा के प्रत्येक पदधारी की
सेवानिवृति के दिनांक के एक वष्र पूव्र सम्बद्ध विभाकगाध्यक्ष प्रपत्र ड़ में उसक
आवेदन- पत्र को औ र उसकी पेंशन और उपदान से सम्बन्धित अन्य अभिलेखों को पूरा करेंगे
और उन्हें नगरपालिका के लेखाकार को भेजेंगे। लेखाकार पेंशन और उपदान की धनराशि कीर
जांच करने के पश्चातउसे अधिशासी अधिकारी के माघ्यम से नगरपालिका बोर्ड के
अध्यक्ष को प्रस्तुत करेगा जो पेंशन और उपदान 'क' पत्रादि की संवीक्षा करेगा। इस
पत्रादि की संवीक्षा उसी रीति से की जायेगी जिस रीति से म्युनिसिपिल एकाउन्ट कोड
के अधीन पालिका के दावों की परीक्षा की जाती है। अध्यक्ष इस पत्रदि को पदधारी
की सेवानिवृत्ति के दिनांक के छ: मास पूर्व परीक्षक, स्थानीय निधि लेखा, उत्तर
प्रदेश, के पास पेंशपन आटर उपदान की ध्नरारशि के सत्यानि और पुष्टि के लिए भेजेगा।
परीक्षक स्थानीय निधि लेखा,उत्तर प्रदेश , द्वारा पेंशन और उपदान की धनराशि का
सत्यापन और पुष्टि किये जाने के पश्चात् इन पत्रादि को मण्डल-आयुक्त के पास पेंशन
और उपदान की स्वीकृति और भुगतान के लिए प्रेषित किया जायेगा। |
|
3 |
मण्डल आयुक्त पेंशन पारिवारिक पेंशन और
या उपदान स्वीकृत करने के लिए सक्षम प्राधिकारी होगा। यदि पदधारी का सेवा अभिलेख
संतोषप्रद न हो ता मण्डल आयुक्त को इस कारण पेंशन और/या उपदान मे कटौती करने
का अधिकार हेगा । नगरपालिका बार्ड का अध्यक्ष मण्डल आयुक्त को पेंशन सम्बन्धी
पत्रादि भेजने के पूर्व यह सुनिशिचत करेगा और अपना यह समाधानन करेगा कि संवानिवृत
हो ने वाले पदधारी की सेवा संतोष प्रद रही है और उसे इस विनियमावली के अधीन देय
पेंशन और /या उपदान की सिफारिश करेगा , और यदि सेवा संतोषप्रद न रही हो ता वह यह
सिफारिश करेगा कि पेंशन और /या उपदान में कटौती की जाय या नहीं। |
|
4 |
पेंशन/ पारिवारिक पेंशन/उपदान/मृत्यु एवं
सेवानिवृति उपदान के गलत निर्धारण के कारण अतिरिक्त भुगततान का वापस किया जायगा और
इसे बाध्यकर बनाने के लिये सेवानिवृति होने वाले प्रत्येक पदधारी से
यथास्थिति प्रपत्र "ज" या "झ" में पहले से ही घोषणा करा ली जायेगी। |
|
5 |
पेंश्न की स्वीकृति के लिये आवेदन-पत्र सम्बद्ध
पदधारी द्वारा प्रपत्र " छ" में उचित कमाध्यम से प्रस्तुत किया जायेगा और पदधारी की
मृत्यु होने की स्थिति में उपदान और पारिवारिक पेंशन की स्वीकृति के लिये आवेदन
-पत्र दावेदारों द्वारा विहित प्रपत्र में प्रस्तुत किया जायेगा।
राज्य सरकार के सेवको के लिए बने प्रपत्रों का
उपयोग 14 - यदि इस विनियमावली के अधीन विहित प्रपत्र
पेंशन के मामलों के निसतारण के लिये उप्युक्त हों तो राज्य सरकार के संवकों की
पेंशन सवीकृत करने के लिये विहित प्रपत्रों का उपयोग किया जा सकता है । |
15 - |
1 |
यदि इस विनियमावली के किनही उपबन्धों का
निर्वचन करनले के सम्बन्ध में कोई विवाद या कठिनाई उत्पन्न हो तो उसे राज्य सरकार
को निर्दिष्ट किया जायेगा, जिसका उस पर विनिश्चय अन्तिम और निश्चायक होगा।विवाद या
कठिनाई की स्थिति मे राज्य सरकार का विनिश्चय 2 ऐसे विषय जो इस
विनियमावली के अन्तर्गत आते हों , ऐसे आदेशों द्वारा नियंत्रित होंगे जिन्हें
राज्य सरकार जारी करना उचित समझे। |
भाग-7
पेंशन निधि की स्थापना और भुगतान की प्रक्रिया
पेंशन निधि
16 - |
जिला
मतिस्ट्रेट के नियंत्रण में एक सामानन्य पेंशन निधि की स्थापना की जायेगी जो उत्तर
प्रदेश पालिका अकेन्द्रीयित सेवा पदधारी पेंशन निधि के नाम से जानी जायेगी जिसे
"निधि" कहो गया है। विनियम 11 के अधीन नगरपालिका बोर्ड द्वारा देय पेंशन
सम्बन्धी अंशांकन की धराशि इस निधि में जमा की जायेगी। |
राकढ़ बही रख्ना
|
17 |
निधि
में जमा किया जाने वाले समसत धन और उससे किये जाने वाले समस्त भुगतान की प्रविष्टि
रोकड़ बही में की जायेगी। जिला मजिस्ट्रेट द्वारा रोकड़ बहरी प्रपत्र
"त्र" में रखी जायेगी। |
निधि का बैंक लेखा |
18 |
निधि का
बैंक लेखा भारतीय स्टेट बैंक में रखा जायेगा। |
पेंशन सम्बन्धी अशदान के संबंध मे
प्रक्रिया |
19- |
नगरपालिका बार्ड के प्रध्यक्ष द्वारा पेंशन
सम्बंधी अंशदान की धनराशि प्रतिमास के छठें दिनांक क पूर्व भारतीय स्टेट बैंक
में जमा की जायेगी। चालान प्रपत्र "ट" में तैयार किया जायेगा। चालान के
साथ एक सूची होगी जिसमें पदधारी का पूर्ण विवरण जैसे, नाम, पदनाम, वेतन और
अंशदान की धनराशि दिया जायेकगा। चालान चार प्रतियों में तैयार किये जायेंगे।चालान
की प्रथम और द्वितीय प्रतियां बैंक द्वारा जमा कर्ता को वापस की
जायेंगी और चालान की द्वितीय आटर चतुर्थ प्रतियां सूची क साथ क्रमश: जमाकर्ता
और बैंक द्वारा प्रतिमास के दसवें दिनांक तक जिला मतिस्ट्रेट को भेजी जायेंगी। जिला
मजिस्ट्रेट चालान की इन प्रतियों का मिलान करेगा और रोकड़ बही में अंश्दान की
धनराशि को दर्ज करेगा। |
खाता लेखा का रखा जाना |
20 |
सम्बद्ध पदधारी का खाता लेखा जिला मजिस्ट्रेट द्वारा प्रपत्र "ठ" में रखा
जायेगा । खाता में प्रतिमास पदधारी को भुगतान किये गये वेतन की धनराशि और जमा
किये गये अंशदान की धनराशि दर्ज की जायेगी। खाता में प्रविष्टियां चालान की
प्रतियों से की जायेंगी और प्रत्येक मास के अन्त में खाता में प्रविष्टि किये गये
अंशदान की धनराशि का मिलान राकड़ बही मं प्रविष्टि की गयी वर्तमान धनराशि
से किया जायेगा। खाता का पुनविलोकन यह अभिनिश्चय करने के लिये किया जायेगा कि
समस्त पदधारियों का से सम्बन्धित पेंशन सम्बंधी अंधदान जमा कर दिया गया
है या नही । यदि किसी मामले में उसे जमा नहीं किया गया है तो उसे तुरन्त जमा करया
जायेगा |
पेंशन भुगतान का आदेश |
21 |
इस
विनियमावली के विनियम 13 के अधीन पेंशन/ पारिवारिक पें शन की धनराशि स्वीकृत कर
दिये जाने के पश्चात प्रत्येक मामले में स्वीकृत की गयी पेंशन / पारिवारिक पेंशन के
भुगतान के लिए मण्डल आयुक्त द्वारा इस विनियमावली स सलग्न
प्रपत्र "ड" में पेंशन भुगतान आदेश पें0भु0 आ0 जारी किया जायेगा । इस आदेश की
प्रतियां पेंशनभोगी और उव पालिका को जहां से सम्बिद्ध पदधारी सेवानिवृत हुआ
है और भारतीय स्टेट बैंक को पृष्ठांकित की जायेंगी:-
परन्तु मण्डलायुक्त ,यदि उसका यह समाधान हो जाय
कि किसी वशिष्ट मामले में पेंशन/पारिवारिक पेंशन उपदान स्वीकृत किये
जाने में प्रर्याप्त विलम्ब की संभावना है,, सम्बद्ध पदधारी द्वारा प्रपत्र
"ढ" में की गयी घोषणा के आधार पर अन्तरिम पेंशन / पारिवारिक पेंशन / उपदान स्वीकृत
कर सकता है किन्तु यह धनराशि निर्धाकरत पेंशन और उपदान की धनराशि के 75 प्रतिशत से
अधिक नही होगी। इसी प्रकार अन्तरिम पारिवारिक पेंशन और उपदान स्वीकृत करने
के पूर्व मृत पदधारी के विधिक उत्तररधिकारी से प्रपत्र "ण" में घोषणा कराई जायेगी। |
22 |
पेंशन के प्रथम भुगतान के समय भारतीय स्टेट
बैंक का शाखा प्रबन्धक पेंशन भुगतान आदेश परमुद्रित ब्योरे के अनुसार उस पेंशन भोगी
का वकवरण और पता आदिलिखेगा और पेंशन भुगतान कियास जायेगा और बलि पर ही भुगतान
रसीद ली जायेगी भुगतान करने के पश्चात भारतीय स्टेट बैंक बिल की एक
प्रति जिला मजिस्ट्रेट को भेजेगा |
24 |
जिला मजिस्ट्रेट के कार्यालय में,
भुगतान किये गये बिल की प्रतिया प्राप्त होने पर, जिला मजिस्ट्रेट इन भुगतानों
की प्रविष्टि रोकड़ बही में करेगा और इन बिलों को लेखा-परीक्षा के प्रयोजनार्थ
गार्ड फाइल में सुरक्षित रखा जायेगा। |
25 |
पेंशन भोगियों को पेंशन का समय पर और ठीक -
ठीक भुगतान सुनिशिचत करने के उद्देश्य से जिला मजिस्ट्रेट द्वारा प्रपत्र "घ"
में एक "लेखा परीक्षा जांच रजिस्टर" रखा जायेगा । इस रजिस्टर मं प्रत्येक
पेंशनभोगी का बक पृथक खाता खोला जायेगा। भुगतान किये गये बिल प्राप्त होने पर,
सम्बद्ध पेंशनभोगी के खाते मं भुगतान की प्रविष्टि की जायेगी। |
26 |
इसविनियमावली के निनियम 13 के अधीन उपदान की
धनराशि स्वीकृत किये जाने के पश्चात भारतीय स्टेट बैंक को प्रपत्र "द" मं
उपदान भुगतान आदेश" उ0भु0आ0 जारी किया जायेगा उसकी एक प्रति सम्बद्ध व्यक्ति
को भी पृष्ठांकित की जायेगी । भारतीय स्टेट बैंक आवश्यक संवीक्षा करने के
पश्चात सम्बद्ध व्यक्ति को उसका भुगतान करेगा।और भुगतान करने के पश्चात उसक
हजला मतिस्ट्रेट को वापस भेज दिया जायेगा। |
28 |
उपर्युक्त वितनयम 27 मं निर्दिष्ट
वविरयण पत्र के आतिरिक्त भरीतस स्टेट बैंक प्रतिकात के छठे दिनांक तेक जिला
मजिस्ट्रेट को भी एक मससिक विवरण पत्र भेजेगा जिसमं पिछले मास मं की
कगयी जमा और भुगतान की धनराशि दिखायी जायेगी जिला मजिस्ट्रेट द्वारा उसका
मिलान रोगड़ बही में किया जायेगा |
29 |
रोकड़ बही मं लेखा प्रतिदिन बन्द और संलित
किये जायेंगें और उस पर जिला मजिस्ट्रेट द्वारा हस्ताक्ष्र किया
जायेगा। प्रत्येक मास के अन्त मं प्राय और भुगतान क धनराशि का जैसा रोकड़ बही मं
प्रविष्टि की गयी हो मिलान भारतीय स्टेट बैंक द्वारा प्रस्तुत मासिक
विवरण पत्रों में दिखाये गये तत्समान जमा और भुगतान किया जायेगा। यदि दोनो के
बीच कोई अन्तर हो तो मास के अन्त में स्पष्टीकरण दिया जायेगा। मास के अन्त में
रोकड़ बही को बन्द करने के पश्चात उसे जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष उसका
पुनर्विलोकन और हस्ताक्षर के लिये रखा जायेगा । |
30 |
पेंशन निधि क धराशि सरकारी प्रतिभूति में या
किसी अनुसूचित बैंक /डाक घर की दीर्घावधि जमा/ सावधिक जमा और अन्य बचत लेखा में
जिसे जिला मजिस्ट्रेट उचित समझें, विनियोजन की प्रविष्टि एक विनियोजन रजिस्टर
में की जायेगी जो प्रपत्र "न" में रखा जायेगा |
31 |
स्थानीय निकाय निर्देशक, उत्तर प्रदेश पेंशन
निधि की लेखा परीक्षा प्रतिवर्ष परीक्षक, स्थानीय निधि लेखा, उत्तर प्रदेश
द्वारा की जायेगी, और उससे प्राप्त लेखापरीक्षा प्रतिवेदन और आपात्तियों का अनुमान
जिला मजिस्ट्रेट द्वारा किया जायेगा । |
32 |
स्थानीय निकाय निदेशक, उत्तर प्रदेश पेंशन
निधि के लेखा को क्रमबद्ध रीति से रखने के लिये इस विनियमावली से संलग्न प्रपत्रों
के अतिरिक्त कोई प्रपत्र अन्य विहित कर सकता है। |
परिशिष्ट
विनियम4 -(1)
में निर्दिष्ट
अर्हकारी सेवा क पुर्ण छमाही अवधि
|
उपदान या पेंशन का मानक्रम |
अधिक्तम पेंशन रूपयों मे
प्रति वर्ष |
1-1/2 मास की परिलब्धियां
|
(क) उपदान
|
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रू0 पैसा0 |
तदैव |
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तदेव |
(ख)
पेंशन |
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32औसत परिलब्धियें का
|
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58 औसत परिलब्धियों का तदैव |
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