उत्तर
प्रदेश पालिका केन्द्रीयित सेवा नियमावली, 1966
|
1-संक्षिप्त नाम,
विस्तार तथा प्रारम्भ- |
(i) |
यह
नियमावली उत्तर प्रदेश पालिका केन्द्रीयित सेवा नियमावली,
1966 कहलायेगी
और समस्त निगमों, नगरपालिका/परिषदों और नगर पंचायतों पर लागू होगी। |
(ii) |
यह नियमावली गजट में अन्तिम रूप से प्रकाशित होने के दिन से प्रवृत्त होगी। |
2 -परिभाषायें- |
यदि विषय या प्रसंग से कोई बात प्रतिकूल न हो तो इस नियमावली में
: |
(i) |
"नियुक्ति प्राधिकारी" का तात्पर्य राज्य सरकार से है, |
(ii) |
"केन्द्रीयित सेवाओं" का तात्पर्य ऐसी सेवाओं से है जो नगर निगमों, नगर पालिका
परिषदों और नगर पंचायतों तीनों के लिए नियम-3 के अधीन सृजित हों, |
(iii) |
"भारत का नागरिक" का तात्पर्य ऐसे व्यक्ति से है जो संविधान के भाग दो के
अधीन भारत का नागरिक हो या भारत का नागरिक समझा जाता हो, |
(iv) |
"श्रेणी एक, दो, तीन या चार की नगर पालिका परिषदों का तात्पर्य समय-समय पर
सरकार द्वारा इस प्रकार विनिर्दिष्ट नगर पालिका परिषदों से है, |
(v) |
"आयोग" का तात्पर्य उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग से है, |
(vi) |
"संविधान" का तात्पर्य भारत के संविधान से है, |
(vii) |
"निगम" का तात्पर्य उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम,
1959 की धारा 4 के अधीन
गठित नगर निगम से है, |
(vii) |
"सीधी भर्ती" का तात्पर्य इस नियमावली के भाग
5 में नियम रीति से की गयी भर्ती
से है, |
(ix) |
"सरकार" का तात्पर्य उत्तर प्रदेश सरकार से है, |
(x) |
"सामान्य संवर्ग" का तात्पर्य केन्द्रीयित सेवाओं में पदों के संवर्ग से है जो
पालिका पर्वतीय उप-संवर्ग में सम्मिलित नहीं है, |
(xi) |
"सेवा का सदस्य" का तात्पर्य इस नियमावली के अधीन केन्द्रीयित सेवा के
संवर्ग में किसी पद के प्रति आमेलित या नियुक्त व्यक्ति से है, |
(xii) |
"अधिकारियों" का तात्पर्य नियम
3 के अधीन सृजित केन्द्रीयित सेवाओं के
अधिकारियों से है, |
(xiii) |
"नागरिकों के अन्य पिछ्ड़े वर्गों का तात्पर्य उत्तर प्रदेश लोक सेवा
अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जन-जातियों और अन्य पिछ्ड़े वर्गों के लिए आरक्षण
अधिनियम, 1994 की अनुसूची-एक में विनिर्दिष्ट नागरिकों के पिछ्ड़े वर्गों से है, |
(xiv) |
"पालिका" का तात्पर्य,
यथास्थिति किसी नगर निगम, या नगर पालिका परिषद या नगर पंचायत से है, |
(xv) |
"पालिका पर्वतीय उप-संवर्ग"
का तात्पर्य नियम
43 के अधीन गठित पालिका पर्वतीय उप-संवर्ग से है, |
(xvi) |
"राज्य" का तात्पर्य
उत्तर प्रदेश राज्य से है, |
(xvii) |
"मौलिक नियुक्ति" का तात्पर्य ऐसी नियुक्ति से है जो तदर्थ नियुक्ति
न हो और
इस नियमावली के अनुसार चयन के पश्चात् की गयी हो। |
3- केन्द्रीयित सेवाओं का बनाया जाना- |
निम्नलिखित केन्द्रीयित सेवायें होंगी और
सेवाओं में उनके सामने उल्लिखित पद होंगे- |
(i) |
उत्तर प्रदेश पालिका प्रशासनिक (प्रवर) सेवा |
(एक) |
नगर निगमों के उप नगराधिकारी। |
(दो) |
नगर निगमों के सहायक नगराधिकारी। |
(तीन) |
श्रेणी-एक की नगर पालिका परिषदों के अधिशासी अधिकारी। |
(चार) |
श्रेणी-दो की नगर पालिका परिषदों के अधिशासी अधिकारी। |
(पांच) |
नगर निगम, कानपुर के अनुभागीय अधिकारी। |
(ii) |
उत्तर प्रदेश पालिका प्राशासनिक (अधीनस्थ) सेवा |
(एक) |
श्रेणी-तीन की नगर पालिका परिषदों के अधिशासी अधिकारी। |
(दो) |
श्रेणी-चार की नगर पालिका परिषदों के अधिशासी अधिकारी। |
(तीन) |
नगर पंचायतों के अधिशासी अधिकारी। |
|
|
(iii) |
उत्तर प्रदेश पालिका राजस्व (प्रवर) सेवा |
(एक) |
नगर निगमों के मुख्य कर निर्धारण अधिकारी। |
(दो) |
नगर निगमों के कर निर्धारण अधिकारी। |
(तीन) |
श्रेणी-एक की नगर पालिका परिषदों के कर निर्धारण अधिकारी। |
|
|
(iv) |
उत्तर प्रदेश पालिका राजस्व अधीनस्थ सेवा |
(एक) |
नगर निगमों के कर अधीक्षक। |
(दो) |
श्रेणी-दो की नगर पालिका परिषदों के कर निर्धारण अधिकारी। |
(तीन) |
श्रेणी-एक की नगर पालिका परिषदों के कर अधीक्षक। |
(चार) |
नगर निगमों के सहायक कर अधीक्षक। |
(पांच) |
श्रेणी-तीन और चार की नगर पालिका परिषदों के कर निर्धारण अधिकारी। |
(छ:) |
श्रेणी-एक की नगर पालिका परिषदों के सहायक कर अधीक्षक। |
(सात) |
नगर निगमों के राजस्व/कर निरीक्षक। |
(आठ) |
श्रेणी-दो की नगर पालिका परिषदों के कर अधीक्षक। |
(नौ) |
श्रेणी-तीन की नगर पालिका परिषदों के कर अधीक्षक। |
(दस) |
श्रेणी-दो की नगर पालिका परिषदों के राजस्व/कर निरीक्षक। |
(ग्यारह) |
श्रेणी-तीन की नगर पालिका परिषदों के राजस्व/कर निरीक्षक। |
|
|
(v) |
उत्तर प्रदेश पालिका एलोपैथिक चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवा (पुरूष)
-
नगर निगमों और नगर पालिका परिषदों के ऐलोपैथिक चिकित्साल्यों और औषधालयों और
संक्रामक रोग चिकित्सालयों के वरिष्ठ चिकित्साधिकारी
(पुरूष)।
-
नगर निगमों और नगर पालिका परिषदों के एलोपैथिक चिकित्सालयों और औषधालयों और
संक्रामक रोग चिकित्सालयों के श्रेणी-एक के चिकित्साधिकारी
(पुरूष)।
-
नगर निगमों और नगर पालिका परिषदों के एलोपैथिक चिकित्सालयों और औषधालयों और
संक्रामक रोग चिकित्सालयों के श्रेणी-दो के चिकित्साधिकारी
(पुरूष)।
|
(vi) |
उत्तर
प्रदेश पालिका एलोपैथिक चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवा (महिला)
-
नगर निगमों और नगर पालिका परिषदों के एलोपैथिक चिकित्सालयों और औषधालयों और
संक्रामक रोग चिकित्सालयों की वरिष्ठ चिकित्साधिकारी
(महिला)।
-
नगर निगमों और नगरपालिका परिषदों के एलोपैथिक चिकित्सालयों और औषधालयों और
प्रसूति एवं शिशु कल्याण तथा परिवार नियोजन केन्द्रों की श्रेणी-एक की
चिकित्साधिकारी
(महिला)।
-
नगर निगमों और नगर पालिका परिषदों के एलोपैथिक चिकित्सालयों और औषधालयों और
प्रसूति एवं शिशु कल्याण तथा परिवार नियोजन केनें की श्रेणी-दो की चिकित्साधिकारी
(महिला)।
|
(vii) |
उत्तर प्रदेश पालिका होम्योपैथिक चिकित्सा सेवा
-
नगर निगमों
के होम्योपैथिक औषधालयों के श्रेणी-एक के चिकित्सा अधिकारी।
-
नगर निगमों
के होम्योपैथिक औषधालयों के श्रेणी-दो के चिकित्सा अधिकारी।
|
(viii) |
उत्तर प्रदेश पालिका आयुर्वेदिक चिकित्सा सेवा
-
नगर निगमों
के श्रेणी-एक के वैद्य।
-
नगर निगमों
के श्रेणी-दो के वैद्य।
|
(ix) |
उत्तर प्रदेश पालिका यूनानी चिकित्सा सेवा
-
नगर निगमों
के श्रेणी-एक के हकीम।
-
नगर निगमों
के श्रेणी-दो के हकीम।
|
(x)
|
उत्तर
प्रदेश पालिका लोक स्वास्थ्य सेवा
-
नगर निगमों
और नगर पालिका परिषदों के मुख्य सफाई निरीक्षक।
-
नगर निगमों
और नगर पालिका परिषदों के सफाई निरीक्षक।
|
(xi) |
उत्तर
प्रदेश पालिका पशु-चिकित्सा सेवा
-
नगर निगमों
और श्रेणी-एक और दो की नगर पालिका परिषदों के श्रेणी-एक के सहायक
पशु-चिकित्सक।
-
नगर निगमों
और श्रेणी-एक और दो की नगर पालिका परिषदों के श्रेणी-दो के सहायक
पशु-चिकित्सक।
|
(xii) |
उत्तर प्रदेश पालिका अभियंत्रण (प्रवर) सेवा
-
नगर निगमों
के मुख्य अभियन्ता।
-
नगर निगमों
के अधिशासी अभियन्ता
(सिविल, विद्युत, यांत्रिक या आटोमोबाइल)।
-
नगर निगमों
के सहायक अभियन्ता
(सिविल, विद्युत, यांत्रिक या आटोमोबाइल)।
-
श्रेणी-एक
की नगर पालिका परिषदों के सिविल अभियंता।
-
श्रेणी-दो के (अर्ह)
सिविल अभियंता।
|
(xiii) |
उत्तर प्रदेश पालिका अभियंत्रण
(अधीनस्थ) सेवा
-
श्रेणी दो की नगर पालिका
परिषदों के (अनर्ह) सिविल अभियंता।
-
नगर निगमों और नगर पालिका
परिषदों के (अर्ह) अवर अभियंता सिविल 3 (विद्युत और यांत्रिक)
|
(xiv) |
उत्तर प्रदेश पालिका यांत्रिक अभियंत्रण सेवा नगर/नगर
कानपुर के यात्रिंक अभियंता। |
(xv) |
उत्तर प्रदेश पालिका यातायात अभियंत्रण सेवा
- नगर निगमों के अधिशासी अभियंता (यातायात और परिवहन
नियोजन)
- नगर निगमों के सहायक अभियंता (यातायात और परिवहन
नियोजन)
- नगर निगमों के अवर अभियंता (यातायात और परिवहन
नियोजन)
|
(xvi) |
उत्तर प्रदेश पालिका तरूपालन (प्रवर) सेवा
- नगर निगम कानपुर के तरूपालक
|
(xvii) |
उत्तर प्रदेश पालिका तरूपालन (अधीनस्थ) सेवा
- नगर निगमों और नगर पालिका परिषदों के उद्यान और बाग
अधीक्षक
|
(xviii) |
उत्तर प्रदेश पालिका लेखा (प्रवर) सेवा
- नगर निगमों के लेखा अधिकारी
|
(xix) |
उत्तर प्रदेश पालिका लेखा (अधीनस्थ) सेवा
- नगर निगमों के लेखाकार
- श्रेणी एक की नगर पालिका परिषदों के लेखाकार
|
(xx) |
उत्तर प्रदेश पालिका लेखा परीक्षा (प्रवर) सेवा
- नगर निगमों के मुख्य नगर लेखा परीक्षक
|
|
|
बैड मैटर |
|
|
(xxi) |
उत्तर प्रदेश पालिका लेखा परीक्षा
(अधीनस्थ) सेवा
-
नगर निगमों के लेखा
परीक्षक और सहायक लेखा परीक्षक।
|
(xxii) |
उत्तर प्रदेश पालिका जन सम्पर्क सेवा
-
नगर निगमों के जन सम्पर्क अधिकारी।
|
(xxiii) |
उत्तर प्रदेश पालिका लिपिक वर्गीय सेवा
-
नगर निगमों के कार्यालय अधीक्षक
-
श्रेणी-एक की नगरपालिका परिषदों के कार्यालय अधीक्षक और प्रधान लिपिक।
-
नगर निगमों और श्रेणी-एक की नगरपालिका परिषदों के अनुभागीय/विभागीय प्रधान
लिपिक।
-
श्रेणी-दो की नगरपालिका परिषदों के प्रधान लिपिक/कार्यालय अधीक्षक।
-
श्रेणी-तीन की नगरपालिका
परिषदों के प्रधान लिपिक।
|
स्पष्टीकरण
(1)- नीचे दिये हुए स्तम्भ-1 में उल्लिखित सेवाओं के पदों पर संविलीन
अधिकारी अपने संविलीनीकरण की तिथि से इन पदों के सामने स्तम्भ-2 में उल्लिखित
सेवाओं के पदों पर संविलीन समझे जायेंगे- |
स्तम्भ-1 |
स्तम्भ-2
|
-
उत्तर
प्रदेश पालिका चिकित्सा (प्रवर) सेवा और उत्तर प्रदेश पालिका लोक स्वास्थ्य (प्रवर) सेवा-
नगर निगमों के एलोपैथिक चिकित्सालयों/औषधालयों के श्रेणी-एक
के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी
नगर निगमों के संक्रामक रोग चिकित्सालयों के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी नगर पालिका
परिषदों के संक्रामक रोग चिकित्सालयों के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी।
|
-
उत्तर
प्रदेश पालिका एलोपैथिक चिकित्सा एवं लोक स्वास्थ्य सेवा (पुरूष)-
नगर निगमों और नगर पालिका परिषदों के एलोपैथिक चिकित्सालयों, औषधालयों तथा संक्रामक
रोग चिकित्सालयों के श्रेणी-एक के चिकित्सा अधिकारी
(पुरूष)
|
-
उत्तर प्रदेश पालिका चिकित्सा (प्रवर) सेवा-
1. नगर निगमों के एलोपैथिक चिकित्सालयों/औषधालयों के श्रेणी-दो के चिकित्सा अधिकारी
2. नगर पालिका परिषदों के एलोपैथिक चिकित्सालयों/औषधालयों के प्रभारी
चिकित्सा अधिकारी (पुरूष)
|
-
उत्तर प्रदेश पालिका एलोपैथिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा (पुरूष)-
नगर निगमों और नगर पालिका परिषदों के एलोपैथिक चिकित्सालयों और
औषधालयों एवं
संक्रामक रोग चिकित्सालयों के श्रेणी-एक के चिकित्सा अधिकारी (पुरूष)
|
-
उत्तर प्रदेश पालिका चिकित्सा (प्रवर) सेवा-
नगर निगमों के होम्योपैथिक औषधालयों के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी
उत्तर प्रदेश पालिका चिकित्सा (अधीनस्थ) सेवा-
नगर निगमों के होम्योपैथिक औषधालयों के श्रेणी-एक के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी
|
-
उत्तर प्रदेश पालिका होम्योपैथिक चिकित्सा सेवा-
नगर निगमों के होम्योपैथिक औषधालयों के श्रेणी-दो के चिकित्सा अधिकारी
नगर निगमों के होम्योपैथिक औषधालयों के श्रेणी-दो के चिकित्सा अधिकारी
|
-
उत्तर प्रदेश पालिका चिकित्सा (प्रवर) सेवा-
नगर निगमों के श्रेणी-एक के वैद्य
उत्तर प्रदेश पालिका चिकित्सा
(अधीनस्थ) सेवा-
नगर निगमों के श्रेणी-दो के वैद्य
|
-
उत्तर प्रदेश पालिका आयुर्वेदिक चिकित्सा सेवा-
नगर निगमों के श्रेणी-एक के वैद्य
नगर निगमों के श्रेणी-दो के वैद्य
|
-
उत्तर
प्रदेश पालिका चिकित्सा (प्रवर) सेवा-
|
-
उत्तर
प्रदेश पालिका यूनानी चिकित्सा सेवा-
नगर निगमों के श्रेणी-1 के हकीम
नगर निगम के श्रेणी-2 के हकीम
|
-
बैडमैटर
|
-
उत्तर प्रदेश पालिका
होम्योपैथिक चिकित्सा
एवं स्वास्थ्य सेवा (महिला)
नगर निगमों एवं नगरपालिका परिषदों के एलोपैथिक चिकित्सालयों, औषधालयों
और प्रसूति एवं शिशु कल्याण तथा परिवार नियोजन केन्द्रों की श्रेणी की
चिकित्सा अधिकारी (महिला)
|
-
2. नगर पालिका परिषदों के एलोपैथिक
चिकित्सालयों/औषधालयों के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी (महिला)
|
-
उत्तर प्रदेश पालिका
एलोपैथिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा (महिला)
नगर निगमों एवं नगरपालिका परिषदों के एलोपैथिक चिकित्सालयों, औषधालयों
और प्रसूति एवं शिशु कल्याण तथा परिवार नियोजन केन्द्रों की श्रेणी-2
की चिकित्सा अधिकारी (महिला)
|
- उत्तर प्रदेश पालिका लोक स्वास्थ्य अधीनस्थ सेवा-
1. नगर निगमों एवं श्रेणी-1 एवं
2 में नगरपालिका परिषदों के मुख्य सफाई निरीक्षक
2. नगर निगमों एवं नगर पालिका परिषदों के सफाई निरीक्षक
|
- उत्तर प्रदेश पालिका लोक स्वास्थ्य अधीनस्थ सेवा-
नगर निगम एवं नगरपालिका परिषदों के मुख्य सफाई निरीक्षक
नगर निगमों एवं नगरपालिका परिषदों के सफाई निरीक्षक
|
स्पष्टीकरण-2-
प्रसूति एवं शिशु कल्याण तथा परिवार नियोजन केंद्रों की श्रेणी-3,
(महिला) डाक्टरों के संबंध में वही स्थिति लागू होगी जो केन्द्रीयकरण के पूर्व थी।
4- वेतनमान-केन्द्रीयित सेवाओं के अधीन विभिन्न पदों के लिये वेतनमान वे होंगे जो
सरकार समय-समय पर आदेश द्वारा नियम करे।
5-कर्मचारियों की संख्या-
-
नियम
3 के अधीन सृजित प्रत्येक केन्द्रीयित सेवा के
कर्मचारियों की संख्या उतनी होगी जितनी सरकार द्वारा समय-समय पर नियत की जाये।
-
पालिकाओं के अधीन ऐसे सभी वर्तमान पद, जो केन्द्रीयित सेवाओं के अन्तर्गत आते
हों, इन सेवाओं के वर्तमान कर्मचारियों की संख्या होगी।
-
पालिका को केंद्रीयित सेवाओं के अधीन वर्तमान पदों में से किसी पद को अथवा किसी
ऐसे पद को जो भविष्य में सृजित किया जाय, समाप्त करने का अधिकार न होगा।
6- भर्ती के
स्रोत, वर्तमान अधिकारियों और सेवकों का संविलियन और उनकी सेवा की समांप्ति-
1. उपनियम
2 के उपबन्धों के अधीन रहते हुए-
-
अनुसूची एक में उल्लिखित पद नियम
20 में निर्धारित रीति से पदोन्नति द्वारा भरे
जायेंगे,
-
अनुसूची दो में उल्लिखित पद इस नियमावली के भाग पांच में निर्धारित रीति से सीधी
भर्ती द्वारा भरे जायेंगे,
-
अनुसूची तीन में उल्लिखित पद पर उल्लिखित दो स्रोतों और रीति से बराबर-बराबर
संख्या में भरे जायेंगे किन्तु शेष पद, यदि कोई हो, पदोन्नति द्वारा भरा जायेगाः
परन्तु यदि यथास्थिति पदोन्नति द्वारा सीधी भर्ती द्वारा भर्ती के लिये इस उपनियम
के अधीन अपेक्षित संख्या में उपयुक्त अभ्यर्थी उपलब्ध न हों तो कमी की पूर्ति उक्त
दो स्रोतों में से किसी भी स्रोत से की जा सकती है या सरकार के अधीन कार्य करने
वाले अधिकारियों में से प्रतिनियुक्ति करके अस्थायी नियुक्ति की जा सकती हैः
परन्तु यह और कि अनुसूची-तीन में उल्लिखित सहायक अभियन्ता पदों के सम्बन्ध में,
पदोन्नति द्वारा भरे जाने वाले पदों में से,
5 प्रतिशत रिक्तियां ऐसे अवर
अभियन्ताओं में से भरी जायेंगी, जिनके पास किसी मान्यता प्राप्त संस्था से
अभियांत्रिकी स्नातक की उपाधि हो, या जो इन्स्टीट्यूट आफ इन्जीनियर्स के एसोसिएट
मेम्बर हों ।
2. इस
नियमावली के प्रारम्भ होने के ठीक पूर्व नियम-3 में निर्दिष्ट पदों को धारण
करने वाले उन पदों के कर्तव्यों का पालन करने और कृत्यों को निर्वहन करने वाले
पालिका के अधिकारियों और संवकों का संविलियन या उनकी सेवाओं की समाप्ति निम्नलिखित
उपबन्धों द्वारा नियंत्रित होगीः
-
पालिका के स्थायी अधिकारी और सेवक उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम,
1959 की धारा
377 के खण्ड में निर्दिष्ट अधिकारी और सेवक जब तक कि वे अन्यथा विकल्प न करें, ऐसे
आदेशों के अधीन रहते हुये जो सरकार प्रत्येक मामले में दें, अन्तिम रूप से संविलीन
हो जायेंगे,
-
अन्य अस्थायी अधिकारी और सेवक जब तक कि वे अन्यथा विकल्प न करें, ऐसे आदेशों के
अधीन रहते हुये जो सरकार प्रत्येक मामले में दें, अनन्तिम रूप से संविलीन हो
जायेंगे,
-
उन अधिकारियों और सेवकों को जिन्हें खण्ड एक और दो के अधीन अन्तिम रूप से
संविलीन किया जाय यदि उपयुक्त पाया जाय, सरकार के अनुवर्ती आदेशों से जो
31 अगस्त,
1967 के पूर्व दिये जायेंगे अन्तिम रूप में संविलीन किया जा सकता है,
-
यदि किसी मामले में खण्ड तीन में उल्लिखित दिनांक के पूर्व सरकार द्वारा कोई
प्रतिकूल आदेश न दिया जाय तो अधिकारी या सेवक अन्तिम रूप से संविलीन किया गया समझा
जायेगा,
-
पूर्ववर्ती खण्डें में निर्दिष्ट ऐसे अधिकारियों और सेवकों की जो संविलयन के
लिये विकल्प न करें और उन अधिकारियों और सेवकों की भी जो संविलयन के लिये अनुपयुक्त
पाये जायें सेवायें समाप्त हो जायेगी और उन्हें उनकी किसी ऐसी छुटटी, पेंशन, भविष्य
निधि या आनुतोषिक किसी दावे पर प्रतिकूल प्रभाव डले बिना जो वे यदि यह नियमावली
बनायी न गयी होती तो यथास्थिति, सेवा निवृत्ति या सेवा समाप्त पर लेने या पाने के
हकदार होते, निम्नलिखित प्रतिकर दिया जायेगाः
(क) खण्ड एक में निर्दिष्ट अधिकारियों और सेवकों को-
-
उनकी सेवा की शेष अवधि का वेतन, या
-
उन अधिकारियों और सेवकों की स्थिति में जिनकी इस नियमावली के
प्रारम्भ होने के ठीक पूर्व कुल निरन्तर सेवा दस वर्ष से अधिक हो छः मास का
वेतन और उन अधिकारियों और सेवको की स्थिति में जिनकी उपर्युक्त के अनुसार कुल
निरन्तर सेवा दस वर्ष से अधिक न हो तीन मास का वेतन,
स्पष्टीकरण-1-
खण्ड-एक में निर्दिष्ट ऐसे अधिकारियों और सेवकों को, जिनकी सेवायें
इस खण्ड अधीन समाप्त हो जायें, ग्राह्य पेंशन या आनुतोषिक की, यदि कोई हो, गणना
करने के लिये पेंशन या आनुतोषिक अर्हता प्राप्त करने के उनके सेवाकाल में
निम्नलिखित अवधि बढ़ा दी गयी समझी जायेगी-
पेंशन या आनुतोषिक की अर्हता
प्राप्त करने का उनका सेवाकाल |
अवधि जो बढ़ा दी जायेगी |
एक-पांच वर्ष तक |
एक वर्ष |
दो-पांच वर्ष से अधिक और दस वर्ष तक
|
दो वर्ष |
तीन-दस वर्ष से अधिक और पन्द्रह वर्ष
तक |
तीन वर्ष |
चार-पन्द्रह वर्ष से अधिक |
चार वर्ष |
स्पष्टीकरण-2-
इस खण्ड के प्रयोजनों के लिये वेतन के अन्तर्गत कोई महंगाई भत्ता या
अन्तरिम सहायता के रूप में अन्य तदर्थ वृद्धि, जो ग्राह्य हो, भी है।
-
उपर्युक्त खण्ड पांच में उल्लिखित प्रतिकर का भुगतान उस
पालिका द्वारा किया जायेगा जिसके अधीन अधिकारी या सेवक इस नियमावली के
प्रारम्भ होने के ठीक पूर्व सेवायोजित रहा हो।
-
खण्ड एक और दो में उल्लिखित विकल्प का प्रयोग
15 नवम्बर, 1966 के पूर्व किसी भी
समय किया जा सकता है और उसके प्रयोग की सूचना सरकार को भेजी जायेगी। जब तक कि इसके
प्रतिकूल विकल्प का प्रयोग न किया जाय, अधिकारी या सेवक उपर्युक्त खण्डें के
उपबन्धों के अधीन रहते हुये अनन्तिम रूप से संविलीन हो जायेगा।
3- किसी नगरपालिका का प्रथम वर्ग की नगरपालिका में उयन किये जाने के परिणामस्वरूप
ऐसे व्यक्तियों का, जो उन्नयन किये जाने के ठीक पूर्व कर-अधीक्षक, कार्यालय
अधीक्षक/प्रधान लिपिक और लेखाकार का पद धारण कर रहे हों, संविलयन या अन्य बातें
निम्नलिखित उपबन्धों द्वारा नियंत्रित होगी-
-
कर-अधीक्षक को जब तक वह संविलयन के विरूद्ध विकल्प न करे, यदि उपयुक्त पाया जाय,
पालिका राजस्व अधीनस्थ सेवा में नगर निगम के सहायक कर-अधीक्षक के रूप में संविलीन
कर लिया जायेगा।
-
कार्यालय अधीक्षक या प्रधान लिपिक को, जैसी भी स्थिति हो, जब तक कि वह संविलयन
के विरूद्ध विकल्प न करे, यदि उपयुक्त पाया जाय, पालिका अनुसुचिवीय सेवा में प्रथम
वर्ग की नगरपालिका परिषद के कार्यालय अधीक्षक/प्रधान लिपिक के रूप में संविलीन कर
लिया जायेगा।
-
लेखाकार को, जब तक कि वह संविलयन के विरूद्ध विकल्प न करे, यदि उपयुक्त पाया
जाय, पालिका लेख अधीनस्थ सेवा में नगर निगम और प्रथम वर्ग की नगरपालिका परिषद के
लेखाकार के रूप में संविलीन कर लिया जायेगा।
-
ऐसे कर अधीक्षक, कार्यालय अधीक्षक, प्रधान लिपिक या लेखाकार की सेवायें जो
संविलयन के विरूद्ध विकल्प करें या जिन्हें अनुपयुक्त पाया जाय, समाप्त कर दी
जायेगी।
4- किसी नोटीफाइड एरिया कमेटी या टाउन एरिया कमेटी का चतुर्थ वर्ग या तृतीय वर्ग की
नगरपालिका में परिवर्तन किये जाने के परिणामस्वरूप सचिव, बखशी या अधीक्षक के पद,
यथास्थिति, चतुर्थ या तृतीय वर्ग के कार्यकारी अधिकारी के पद के रूप में परिवर्तित
कर दिया गया समझा जायेगा, और-
-
यदि उपर्युक्त पद तृतीय श्रेणी के कार्यकारी अधिकारी के रूप में परिवर्तित किया
जाय तो-
एक-चतुर्थ वर्ग के ज्येष्ठतम् कार्यकारी अधिकारी की पदोन्नति की जायेगी और उसे उक्त
पद से प्रतिनियुक्त किया जायेगा,
-
यथास्थिति, ज्येष्ठतम सचिव, बखशी या अधीक्षक को चतुर्थ वर्ग कार्यकारी अधिकारी
के रूप में नियुक्त किया जायेगा,
तीन-
-
ओवरसियर या अवर अभियन्ता को जब तक कि वह नियुक्त के विरूद्ध विकल्प न करे पालिका
केन्द्रीयित सेवा से अवर अभियन्ता के रूप में नियुक्त किया जायेगा, यदि सरकार द्वारा
उपयुक्त पाया जाये,
-
सचिव, बखशी, अधीक्षक, ओवरसियर या अवर अभियन्ता की सेवायें, जो नियुक्त के
विरूद्ध विकल्प करें या जिन्हें सरकार द्वारा अनुपयुक्त पाया जाय, समाप्त कर दी
जायेंगी।
-
उपनियम 2 के खण्ड पांच और छः के उपबन्ध ऐसे कर्मचारी के संबंध में, जिसकी
सेवायें उपनियम
3 या उपनियम 4 के अधीन समाप्त की जायें, यथावश्यक परिवर्तन सहित
लागू होंगे।
-
दो-उपनियम 3 और
4 में उल्लिखित विकल्प का प्रयोग किसी नगरपालिका के उन्नयन या किसी
टाउन एरिया कमेटी या नोटीफाइड एरिया कमेटी का नगरपालिका में परिवर्तन होने के
दिनांक से एक मास के भीतर किया जा सकता है और इस प्रकार किये गये विकल्प की सूचना
प्रत्येक व्यक्ति के सम्बद्ध सेवा पुस्तिका और चरित्र पंजी और अन्य वैयक्तिक
पत्रावलियां और उसकी शैक्षिक अर्हता के प्रमाण-पत्रों को अनुप्रमाणित प्रतिलिपियां
भी जिला मजिस्ट्रेट द्वारा सरकार को भेजी जायेंगी। उस जिले का जिला मजिस्ट्रेट
जिसमें स्थानीय निकाय स्थित हो ------
-
ऐसे स्थानीय निकायों के जिनका उन्नयन या परिवर्तन
9 जुलाई, 1996 को या उसके
पश्चात किया गया हो, कर्मचारी भी
15 दिसम्बर, 1979 के पूर्व किसी समय अपने विकल्प
का प्रयोग करने के हकदार होंगे और उसकी सूचना सरकार को भेजी जायेगी। पालिका
केन्द्रीयित सेवाओं में उनके संविलयन नियुक्त के मामलों में या अन्यथा कार्यवाही
उपनियम 3, 4, और 5 के अनुसार की जायेगी।
-
नियम 3 के अधीन केन्द्रीयित सेवाओं में नये पदों को सम्मिलित किये जाने या किसी
नोटीफाइड एरिया या टाउन एरिया कमेटी को किसी वर्ग की नगरपालिका में परिवर्तित किये
जाने के परिणामस्वरूप पालिका/नोटीफाइड एरिया, टाउन एरिया कमेटी के ऐसे अधिकारियों
और सेवकों का, जो उक्त प्रकार से सम्मिलित/परिवर्तित किये जाने के ठीक पूर्व पदों
के कर्तव्यों का पालन और त्यों का निर्वहन करते हों, संविलयन/नियुक्ति का उनकी सेवा
की समाप्ति नीचे खण्ड एक से छः में दिये गये उपबन्धों द्वारा नियंत्रित होंगीः-
-
पालिका के अधिकारी और सेवक, जब तक कि वे अन्यथा विकल्प न करें, ऐसे आदेशों के,
जैसा सरकार द्वारा प्रत्येक मामले में दिया जाय, अधीन रहते हुए अनन्तिम रूप से
संविलीन/नियुक्त हो जायेंगे।
-
उन अधिकारियों और सेवकों को जिन्हें खण्ड एक के अधीन अनन्तिम रूप से संविलीन
किया जाय, यदि उपर्युक्त पाया जाय, सरकार के अनुवर्ती आदेशों से जो केन्द्रीयित
सेवाओं में उनके पद सम्मिलित किये जाने के
180 दिन के भीतर दिये जायें, अन्तिम रूप
से संविलीन किया जा सकता है।
-
यदि किसी मामले में सरकार द्वारा
180 दिन की उपर्युक्त अवधि की समाप्ति के
पूर्व कोई प्रतिकूल आदेश न दिया जाय तो अधिकारियों या सेवकों को अन्तिम रूप से
संविलीन समझा जायेगा।
-
खण्ड एक में उल्लिखित संविलयन/नियुक्ति के लिए विकल्प का प्रयोग केन्द्रीयित
सेवाओं में नये पद के सम्मिलित किये जाने या नोटीफाइड एरिया/टाउन एरिया कमेटी के
किसी वर्ग की नगरपालिका में परिवर्तित किये जाने के दिनांक से
60 दिन की समाप्ति के
पूर्व किसी भी समय किया जा सकता है और उसकी सूचना स्थानीय निकाय निदेशक और सरकार को
भेजी जायेगी।
-
पूर्ववर्ती खण्डों के अधीन प्रयोग किया गया विकल्प नगरपालिका
की स्थिति में, जिला मजिस्ट्रेट द्वारा स्थानीय निकाय निदेशक के माध्यम से और
नगर निगम की स्थिति में, प्रशासक या मुख्य नगर अधिकारी द्वारा प्रत्येक
व्यक्ति के सम्बद्ध सेवा पुस्तिका, चरित्र पंजी और वैयक्तिक पत्रावली और उसकी
शैक्षिक अर्हताओं के प्रमाण-पत्रों की अनुप्रमाणित प्रतियां भी सरकार को भेजी
जायेंगी और ऐसा करते समय उपर्युक्त प्राधिकारी अपनी यह संस्तुति भी कि क्या
कर्मचारी का कार्य, आचरण, अर्हता और उसकी सत्यनिष्ठा के संबंध में सामान्य
ख्याति केन्द्रीयित सेवाओं में उसके संविलयन/नियुक्ति को उचित ठहराती है या
नहीं, भेजेगा।
-
पूर्ववर्ती खण्डों में निर्दिष्ट अधिकारियों और सेवकों की जो
संविलयन के लिए विकल्प न करें और उन अधिकारियों और सेवकों की भी जो
संविलयन/नियुक्ति के लिए अनुपयुक्त पाये जायें, सेवायें समाप्त हो जायेंगी और
उन्हें उनकी किसी ऐसी छुट्टी, पेंशन, भविष्यनिधि या आनुतोषिक के किसी दावे पर
प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, जो वे, यदि यह नियमावली बनायी न गयी होती, तो,
यथास्थिति, सेवी निवृत्ति या सेवा समाप्ति पर लेने या पाने के हकदार होते,
उपनियम 2 के खण्ड पांच में दिये गये फार्मूला के अनुसार प्रतिकर दिया जायेगा।
-
खण्ड छः में उल्लिखित प्रतिकर का भुगतान उस पालिका/नोटीफाइड एरिया/टाउन एरिया
कमेटी द्वारा किया जायेगा जिसके अधीन अधिकारी या सेवक, केन्द्रीयित सेवाओं में अपने
पद के सम्मिलित किये जाने के ठीक पूर्व नियोजित थाः
परन्तु यह उपनियम ऐसे अधिकारियों और सेवकों पर लागू नहीं होगा जिन्हें किसी
केन्द्रीयित पद पर पहले ही संविलीन कर लिया गया हो या जिन्हें अस्थायी आधार पर
नियुक्त किया गया हो।
अनुसूचित जातियों का प्रतिनिधित्व-अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और
नागरिकों के अन्य पिछ्ड़े वर्गों के अभ्यर्थियों के लिए आरक्षण उत्तर प्रदेश लोक
सेवा अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछ्ड़े ऐसे के लिए आरक्षण
अधिनियम, 1994 के अनुसार होगा।
भाग 4-अर्हतायें
8. राष्ट्रीयता-
केन्द्रीयित सेवाओं में किसी पद पर भर्ती के लिए किसी अभ्यर्थी को
निम्नलिखित होना
आवश्यक हैः
-
भारत का नागरिक अथवा
-
ख----
टिप्पणी-वर्ग ग के किसी तिब्बती की नियुक्ति के लिये अन्तिम रूप से अनुमोदित करने
के पूर्व नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा सरकार से विशेष अनुमोदन अवाश्य प्राप्त कर
लिया जायेगा।
9-आयु-
केन्द्रीयित सेवाओं में किसी पद पर सीधी भर्ती के लिये यह आवश्यक है कि
अभ्यर्थी ने उस वर्ग के, जिसमें भर्ती की जाय, अगले अनुवर्ती वर्ष की पहली जनवरी को
21 ऐसे की आयु पूरी कर ली हो या
32 ऐसे की आयु में पूरी की हो ।
प्रतिबन्ध यह है कि
-
किसी ऐसे व्यक्ति की दशा में जिसने किसी भी केन्द्रीयित सेवा अथवा पालिका में एक
ऐसे या उससे अधिक की सेवा कर ली हो, अधिकतम आयु निरन्तर सेवा अथवा सात ऐसे की अवधि,
इसमें जो भी कम हो, की सीमा तक अधिक होगी।
-
यदि कोई अभ्यर्थी जो अपनी आयु के आधार पर किसी ऐसे ऐसे में चयन में उपस्थित होने
के लिये हकदार होता, जिसमें कोई चयन किया गया हो तो वह अपनी आयु के आधार पर अगले
अनुवर्ती चयन में उपस्थित होने के लिये हकदार समझा जायेगा।
-
अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछ्ड़े ऐसे के अभ्यर्थियों की दशा
में अधिकतम आयु सीमा
पाँच वर्ष अधिक होगी।
-
राज्य सरकार किसी सामान्य या विशेष आदेश द्वारा इस नियम में
विहित अधिकतम आयु सीमा को, किसी अभ्यर्थी या अभ्यर्थियों के वर्ग के पक्ष में शिथिल
कर सकती है यदि वह उचित व्यवहार के हित में ऐसा करना आवश्यक समझे।
10-चरित्र-
-
नियुक्ति प्राधिकारी अपना समाधान कर लेगा कि नियुक्ति के लिये
अभ्यर्थी का चरित्र इस प्रकार का है कि उसके कारण वह केन्द्रीयित सेवाओं में
सेवायोजन के लिये सभी प्रकार उपयुक्त हो।
-
भर्ती के लिये प्रत्येक अभ्यर्थी से यह अपेक्षा की जायेगी कि वह उस संस्था के,
जिसमें वह अन्तिम बार पढ़ा हो, मुख्य अध्यक्ष का और दो ऐसे राजपत्रित अधिकारियों का
जो अभ्यर्थी के सम्बन्धी न हों चरित्र प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करे, जो राज्य सरकार या
संघ की सयि सेवा में हों और जो उसके निजी जीवन से भलीभाँति परिचित हों, किन्तु उसके
महाविद्यालय अथवा विश्वविद्यालय के जीवन से संबंधित न हों।
11. शारीरिक स्वस्थता-
केन्द्रीयित सेवाओं में किसी पद पर मौलिक रूप से किसी व्यक्ति
को तब तक नियुक्त नहीं किया जायेगा जब तक कि वह मानसिक और शारीरिक रूप में स्वस्थ न
हो और उसमें कोई ऐसा शारीरिक दोष न हो जिससे उसे अपने सरकारी कार्यों का
दक्षतापूर्वक पालन करने में बाधा पड़ने की सम्भावना हो। प्रवर सेवा में किसी पद पर
सीधी भर्ती द्वारा नियुक्ति के लिये अन्तिम रूप से अनुमोदित किये जाने से पहले किसी
अभ्यर्थी के लिये यह अनिवार्य होगा कि वह राज्य चिकित्सा परिषद के सामने चिकित्सकीय
परीक्षण के लिए उपस्थित होः
प्रतिबन्ध यह है कि अधीनस्थ सेवा में पदों पर भर्ती के लिये अनुमोदित व्यक्ति के यह
अपेक्षा की जायेगी कि वह शारीरिक स्वस्थता के विषय में सिविल सर्जन से, जहाँ वह
नियुक्त किया जाय, एक चिकित्सीय प्रमाण-पत्र प्राप्त करे।
12-अर्हताएं-
केन्द्रीयित सेवाओं के अन्तर्गत किसी पद पर नियुक्ति के लिए अभ्यर्थी
की ऐसी अर्हतायें होनी चाहिये जैसा सरकार समय-समय पर निर्दिष्ट करे।
13-अधिमानन्य अर्हतायें-
अन्य बातों के समान होने पर केन्द्रीयित सेवाओं में सीधी
भर्ती की दशा में उस अभ्यर्थी को अधिमान्यता दी जायेगी जिसने
1 प्रादेशिक सेना में
कम से कम दो वर्ष तक सेवा की हो, या
2 नेशनल कैडेट कोर का बी प्रमाण-पत्र प्राप्त
किया हो।
14-वैवाहिक स्थिति-
कोई पुरूष अभ्यर्थी जिसकी एक से अधिक पत्नी जीवित हो अथवा कोई
महिला अभ्यर्थी जिसने ऐसे पुरूष से विवाह किया हो जिसकी पहले से ही एक पत्नी हो,
केन्द्रीयित सेवाओं में भर्ती के लिए पात्र नहीं होगाः
प्रतिबन्ध यह है कि यदि सरकार को यह समाधान हो जाय कि ऐसा करने के लिये विशेष कारण
है तो वह किसी व्यक्ति को इस नियम के उपबन्धों के प्रवर्तन से मुक्त कर सकती है।
भाग 5-सीधी भर्ती के लिए प्रक्रिया
15-रिक्तियां की संख्या की सूचना देना-
सरकार उस ऐसे की जुलाई में जिसमें भर्ती की
जानी हो, आयोग को भरी जाने वाली रिक्तियां की संख्या को और अनुसूचित जातियों के
अभ्यर्थियों के लिये आरक्षित रिक्तियां की संख्या की भी, यदि कोई हो, सूचना देगी।
16-प्रार्थना पत्र-
-
केन्द्रीयित सेवाओं में भर्ती के लिये प्रार्थना-पत्र आयोग
द्वारा आमंत्रित किये जायेंगे और वे नियत प्रपत्र में दिये जायेंगे जो आयोग के सचिव
से भुगतान करने पर प्राप्त किये जा सकते है तथा वे ऐसे समय के भीतर प्रस्तुत किये
जायेंगे जो नियत किया जाय।
-
केन्द्रीयित सेवाओं में पहले से सेवायोजित अभ्यर्थी अपने
प्रार्थना पत्र उचित माध्यम से सरकार को प्रस्तुत करेगें जो उन्हें अपनी
आवधिक रिर्पोट सहित आयोग को भेज देगी।
17-
भर्ती की रीति, प्रार्थना पत्रों की परिनिरीक्षा, साक्षात्कार
आदि (क) प्रशासी, लेखा तथा अनुसचिवीय सेवाओं के पदों पर भर्ती प्रतियोगिता
परीक्षा के आधार पर ली जायेगी। आयोग प्राप्त प्रार्थना पत्रों की परिनिरीक्षा
करेगा और अर्ह अभ्यर्थियों को प्रतियोगिता परीक्षा में बैठने की अनुज्ञा
देगा। किसी भी अभ्यर्थी को तब तक परीक्षा में प्रवेश नहीं करने दिया जायेगा
जब तक कि उसके पास आयोग द्वारा दिया गया प्रवेश का प्रमाण पत्र न हो, अभ्यर्थियों द्वारा लिखित परीक्षा में प्राप्त अंक सारणीबद्ध कर लिये जाने के
पश्चात आयोग उतने अभ्यर्थियों को
व्यक्तित्व परीक्षा के लिए बुलायेगा जिन्होंने
लिखित परीक्षा में सेवा के लिये अपनी उपयोगिता
प्रदर्शित की हो। व्यक्तित्व परीक्षा
में प्रत्येक अभ्यर्थी को दिये गये अंक उसके द्वारा लिखित परीक्षा में प्राप्त अंको
में जोड़ दिये जायेंगे और उक्त दोनों अंकों के योग से योग्यता-क्रम को निर्धारित
किया जायेगा।
आयोग अनुसूचित जातियों के अभ्यर्थियों के लिए रिक्तियां के आरक्षण से सम्बद्ध
उपबन्ध के अधीन रहते हुए अभ्यर्थियों की एक सूची अधिमान क्रम से तैयार करेगा और उसे
सरकार के पास भेज देगा। इस सूची में नामों की संख्या
घोषित रिक्तियों की संख्या
से कुछ अधिक होगी।
यदि दो या अधिक अभ्यर्थियों को योग में समान अंक प्राप्त हुए हों तो आयोग उनके
नामों को, सेवा के लिए उनकी सामान्य उपयोगिता के आधार पर योग्यता-क्रम में रखेगा।
-
अन्य केन्द्रीयित सेवाओं के लिये भर्ती केवल साक्षात्कार परीक्षा के आधार पर की
जायेगी। आयोग, ऐसे प्रार्थना-पत्रों की परिनिरीक्षा करेगा जो उसे प्राप्त हुए हों
और साक्षात्कार के लिये ऐसे अभ्यर्थियों को बुलायेगा जो सेवाओं में नियुक्ति के
लिये सबसे अधिक अर्ह प्रतीत हों, तत्पश्चात आयोग अभ्यर्थियों की एक सूची
अधिमान-क्रम से तैयार करेगा और उसे सरकार के पास भेज देगा।
-
इस नियमावली में किसी बात के होते हुए भी, सरकार, विशेष परिस्थितियों में, और
आयोग के परामर्श से, आयोग द्वारा संचालित विशेष परीक्षा या साक्षात्कार के परिणाम
पर, केन्द्रीयित सेवाओं में विशेष या आपातकालीन भर्ती कर सकती है। ऐसी भर्ती के
लिये शैक्षिक अर्हताएं, अनुभव और आयु ऐसी होगी जैसी आयोग के परामर्श से सरकार
द्वारा विनिश्चित की जाय। विशेष परीक्षा और साक्षात्कार का संचालन, यथास्थिति,
उपनियम (क) या (ख) में निर्धारित रीति से किया जायेगा। आयोग उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की एक
सूची अधिमान क्रम में तैयार करेगा और उसे सरकार को अग्रसारित करेगा। ऐसे
अभ्यर्थियों की परस्पर ज्येष्ठता, विशेष परीक्षा/साक्षात्कार में, योग्यता-क्रम में
उनके द्वारा प्राप्त स्थान के अनुसार अवधारित की जायेगी और उन्हें ज्येष्ठता उस
विशेष ऐसे में नियमित परीक्षा के परिणाम पर नियु अभ्यर्थियों और इस नियमावली के
नियम 20 के अधीन पदोन्नति द्वारा नियु व्यक्तियों के नीचे दी जायेगी।
18. शुल्क
-
सीधे भर्ती के लिये अभ्यर्थी, आयोग को और चिकित्सा परिषद को ऐसे
शुल्कों का भुगतान करेंगे जो सरकार द्वारा समय-समय पर नियत किये जायें। शुल्कों की
वापसी के लिये कोई भी दावा स्वीकार नहीं किया जायेगा।
-
प्रतियोगिता परीक्षा के संबंध में पाठ्य विवरण तथा नियम सरकार के अनुमोदन से
आयोग द्वारा समय-समय पर नियत किये जायेंगे।
19-अनुमोदित सूची-
नियम 17 के अधीन आयोग द्वारा तैयार की गयी सूची प्राप्त होने पर,
सरकार नियम 7, 10 तथा
20 के उपबन्धों के अधीन रहते हुये एक प्रतीक्षा सूची में
अभ्यर्थी के नाम उसी क्रम में दर्ज करायेगी जिस क्रम से आयोग ने नियुक्ति के लिये
उनके नामों की सिफारिश की हो।
भाग 6-पदोन्नति के लिये प्रक्रिया
20-पदोन्नति-
-
पदोन्नति द्वारा भर्ती एक चयन समिति के माध्यम से उसी केन्द्रीयित
सेवा के ठीक निम्न पदक्रम के सभी पात्र अधिकारियों में से ज्येष्ठता के आधार पर
किन्तु अनुपयुक्त को अस्वीकार करते हुए, की जायेगी और इस प्रयोजन के लिए अधिकारियों
की एक पात्रता सूची उपनियम
2 में दी गयी रीति में तैयार की जायेगी।
-
उपनियम 7 में यथा अन्यथा उपबन्धित के सिवाय सरकार ज्येष्ठतम पात्र अभ्यर्थियों की
एक सूची तैयार करेगी जिसे पात्रता सूची कहा जायेगा, जिसमें यथासम्भव निम्नलिखित
अनुपात में नाम होंगेः-
1 से 5 रिक्तियां के लिए-रिक्तियां की संख्या का दस गुना किन्तु कम से कम
5,
5 से अधिक रिक्तियां के लिए-रिक्तियां की संख्या का दस गुना किन्तु कम से कम
10:
परन्तु यदि भर्ती एक से अधिक
वर्ष के दौरान होने वाली रिक्तियों के लिए की जानी हो,
तो ऐसे प्रत्येक के सम्बन्ध में पृथक पात्रता सूचियां तैयार की जायेंगी। ऐसे मामलों
में, भर्ती के द्वितीय और अनुवर्ती वर्षों के लिए पात्रता सूची तैयार करते समय
पात्रता सूची में सम्मिलित किये जाने वाले अभ्यर्थियों की संख्या निम्नलिखित होगीः
-
द्वितीय वर्ष के लिए-उक्त अनुपात के अनुसार जिसमें प्रथम और द्वितीय वर्षों की
रिक्तियां की संख्या को जोड़ दिया जायेगा,
-
तृतीय ऐसे के लिए-उक्त अनुपात के अनुसार जिसमें प्रथम और द्वितीय वर्षों की
रिक्तियां की संख्या को जोड़ दिया जायेगाः
परन्तु यह और कि ऐसे अभ्यर्थियों को जो प्रथमदृष्टया पदोन्नति के लिए उपयुक्त न
समझे जायें, उक्त अभ्यर्थियों की गणना करने में सम्मिलित नहीं किया जायेगा और इस
आशय की एक टिप्पणी कि उन पर इस प्रकार विचार नहीं किया गया, उनके नाम के सामने लिख
दी जायेगी।
स्पष्टीकरण-
इस नियम में रिक्तियां की संख्या का तात्पर्य एक
वर्ष में होने
वाली मौलिक या अस्थायी रिक्तियां की कुल संख्या से है!
-
उपनियम 1 में निर्दिष्ट चयन समिति में निम्नलिखित होंगे
(क) वर्ग एक और वर्ग दो के पदों पर प्रोन्नति की स्थिति में-
-
एक. सचिव उत्तर प्रदेश सरकार, नगर विकास विभाग, अध्यक्ष
-
सचिव, उत्तर प्रदेश सरकार, कार्मिक विभाग, सदस्य या.उनका नाम निर्देशित जो संयुक्त सचिव से अनिम्न स्तर का हो
-
निदेशक, स्थानीय निकाय, उत्तर प्रदेश, सदस्य
-
यदि उपखण्ड एक से तीन में निर्दिष्ट अधिकारी अनुसूचित जातियों या अन्य पिछ्ड़े
वर्गों का न हो तो उक्त जातियों या वर्गों जिनका प्रतिनिधित्व न हो, के एक अधिकारी
को सचिव, उत्तर प्रदेश सरकार, नगर विकास विभाग द्वारा, ऐसे अधिकारियों में से, जो
कम से कम उस पद से जिसके लिए चयन समिति गठित की जानी है से एक वेतनमान उच्च पद पर
हो, नाम निर्दिष्ट किया जायेगा............. सदस्य
(ख) क में निर्दिष्ट पदों से भिन्न पदों पर पदोन्नति की स्थिति में-
-
सचिव, उत्तर प्रदेश सरकार, नगर विकास विभाग या उनका नाम
निर्देशिती जो विशेष सचिव से अनिम्न स्तर का हो-अध्यक्ष
-
सचिव, उत्तर प्रदेश सरकार, कार्मिक विभाग द्वारा नाम
निर्दिष्ट एक अधिकारी जो संयु सचिव से अनिम्न स्तर का हो-सदस्य
-
निदेशक स्थानीय निकाय,उत्तर प्रदेश-सदस्य
-
यदि उपखण्ड एक से तीन में निर्दिष्ट अधिकारी अनुसूचित जातियों या अन्य पिछ्ड़े
वर्गों का न हो तो उक्त जातियों या वर्गों जिनका प्रतिनिधित्व न हो, के एक अधिकारी
को सचिव, उत्तर प्रदेश सरकार, नगर विकास विभाग द्वारा, ऐसे अधिकारियों में से, जो
कम से कम उस पद से जिसके लिए चयन समिति गठित की जानी है से एक वेतनमान उच्च पद पर
हो, को नाम निर्दिष्ट किया जायेगा-- सदस्य
-
-
सरकार चयन समिति की बैठक के लिए दिनांक नियत करेगी।
-
जहां चयन समिति यह आवाश्यक समझे कि पात्रता सूची में
अभ्यर्थियों का साक्षात्कार उसके द्वारा किया जाना चाहिए तो वह अभ्यर्थियों
का साक्षात्कार भी कर सकती है,
-
चयन समिति प्रत्येक मामले में अभ्यर्थी की चरित्र-पंजी पर विचार करेगी और किसी
अधिमान्य पर विचार कर सकती है, जो उसकी राय में सुसंगत हो।
-
चयन समिति ज्येष्ठता क्रम में दो सूचियां तैयार करेगी, अर्थातः
सूची कः इसमें मौलिक रिक्तियां के प्रति स्थायी नियुक्ति के लिए संस्तुत
अभ्यर्थियों के नाम होंगे।
सूची खः इसमें अस्थायी से स्थानाप नियुक्तियों के लिए संस्तुत अभ्यर्थियों के नाम
होंगेः
परन्तु यदि भर्ती एक से अधिक ऐसे के दौरान होने वाली रिक्तियों के लिए की जाये तो
ऐसे प्रत्येक ऐसे के सम्बन्ध में चयन उस ऐसे के लिए तैयार की गयी पात्रता सूची से
किया जायेगा।
6. क- (एक) सूची क में सम्मिलित अभ्यर्थी मौलिक रिक्तियां के प्रति उसी क्रम में,
जिसमें उनके नाम सूची में आये हो, नियम
21 के उप-नियम 1 के अधीन नियुक्त किये
जायेंगे।
(दो) सूची क में सम्मिलित ऐसे अभ्यर्थी जिनके लिये मौलिक रिक्तियां तुरन्त उपलब्ध न
हों, उक्त क्रम में, अस्थायी या स्थानाप रिक्तियां के प्रति उन अभ्यर्थियों पर जो
सूची ख में सम्मिलित हों अधिमान देकर नियु किये जायेंगे।
(तीन) सूची क में सम्मिलित ऐसे अभ्यर्थियों के नाम जिनके लिए उस ऐसे के दौरान, जिनके
लिए उनको चयन किया गया हो, मौलिक रिक्तियां उपलब्ध नहीं की जा सकतीं, ऐसे के अन्त
में अनुवर्ती ऐसे में रिक्त होने वाली मौलिक रिक्तियां के प्रति नियुक्ति के लिए
अग्रेनीति किये जायेंगे या अनुवर्ती ऐसे के लिए तैयार और अनुमोदित की गयी सूची "क"
के, यदि कोई हो, शीर्ष पर अन्तरित कर दिये जायेंगे।
ख. खण्ड "क" के उपखण्ड दो के उपबन्धों के अधीन रहते हुए, सूची ख में सम्मिलित
अभ्यर्थी उसी क्रम में जिसमें उनके नाम सूची में आए हों, अस्थायी रिक्तियां के
प्रति सूची क के निःशेषित होने के पश्चात नियुक्त किये जायेंगे। उन्हें मौलिक
नियुक्ति के प्रति भी नियुक्त किया जा सकता है किन्तु अस्थायी आधार पर। यदि किसी
समय नियुक्ति प्राधिकारी को यह प्रतीत हो कि सूची "ख " से नियुक्त किसी अधिकारी ने
अवसर का पर्याप्त उपयोग नहीं किया है या संतोष प्रदान करने में अन्यथा विफल रहा है
तो ऐसे अधिकारी को उस पद पर जिससे उसे पदोन्नत किया गया था, बिना कोई कारण बताये,
प्रत्यावर्तित किया जा सकता है।
7. यदि किसी मामले में पदोन्नति द्वारा भरी जाने वाली रिक्तियां की संख्या कम हो,
और नियुक्ति प्राधिकारी ज्येष्ठतम पात्र अभ्यर्थी या अभ्यर्थियों को पदोन्नति के
लिए स्पष्टतः उचित समझे और जहाँ कोई अतिक्रमण अन्तर्वलित न हो तो वह प्रस्ताव को
तुरन्त अनुमोदित कर सकता है। उस स्थिति में किसी चयन समिति के गठन की आवश्यकता नहीं
होगी और इस प्रकार अनुमोदित अभ्यर्थियों के सम्बन्ध में यह समझा जायेगा कि वे
पदोन्नति के लिए सम्यक् रूप से चुन लिए गये हैं।
भाग 7-नियुक्ति, परिवीक्षा और स्थायीकरण
21-नियुक्ति-
-
मौलिक रिक्तियां के होने पर, सरकार केन्द्रीयित सेवाओं में
नियुक्तियां नियम
19 के अधीन तैयार की गयी सूची से और नियम
20 के उपबन्धों के
अनुसार पदोन्नति द्वारा करेगीः
प्रतिबन्ध यह है कि यदि पदोन्नति और सीधी भर्ती दोनों के द्वारा ही नियुक्ति की
जानी हो तो सरकार पदोन्नति और सीधी भर्ती वाले अभ्यर्थियों की दोनों में से
यथासंभव, बारी-बारी से अभ्यर्थी को लेकर ऐसी रिक्तियों में नियुक्त करेगी। अभ्यर्थी
उसी क्रम से लिये जायेंगे जिस क्रम से उनके नाम सूची में हों और पहला अभ्यर्थी
पदोन्नत अभ्यर्थियों की सूची से लिया जायेगा।
-
सरकार ऐसी अस्थायी रिक्तियां में भी, जिनकी अवधि छः सप्ताह से अधिक हो, नियम
20
के अधीन पदोन्नति के लिये चुने गये व्यक्तियों में से नियुक्तियां कर सकती हैः
प्रतिबन्ध यह है कि यदि ऐसी नियुक्ति के लिये कोई आनुमोदित अभ्यर्थी उपलब्ध न हो तो
सरकार ऐसे अभ्यर्थी को नियुक्त कर सकती है जो केन्द्रीयित सेवाओं में स्थायी तौर पर
भर्ती के लिये इस नियमावली के अधीन पात्र हों। इस प्रतिबन्धात्मक खंड के अधीन
नियुक्तियां उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग
(कृत्यों का परिसीमन), विनियम,
1954 में दिये
गये उपबन्धों के अधीन होगी।
21-क-तदर्थ नियुक्तियों का नियमितीकरण-
-
किसी व्यक्ति को-
-
जो सेवा में
1. मई, 1983 के पूर्व तदर्थ आधार पर सीधे नियुक्त किया गया हो और
इस नियमावली के प्रारम्भ के दिनांक को उस रूप में निरन्तर सेवारत हो,
-
जो ऐसी तदर्थ नियुक्ति के समय नियम
12 के अधीन नियमित नियुक्ति के लिये विहित
अपेक्षित अर्हतायें रखता हो, और
-
जिसने यथास्थिति तीन
वर्ष की निरन्तर सेवा पूरी कर ली हो, या पूरी करने के
पश्चात किसी स्थायी या अस्थायी रिक्ति
में जो उपलब्ध हो, नियमित नियुक्ति के लिए
ऐसी रिक्ती में इस नियमावली में निहित उपबन्धों के अनुसार कोई नियमित नियुक्ति करने
के पूर्व, उसके सेवा अभिलेख और उपयुक्तता के आधार पर विचार किया जायेगा।
-
इस नियमावली के अधीन नियमित नियुक्ति करने में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित
जनजातियों, पिछ्ड़े वर्गों और अन्य श्रेणियों के अभ्यर्थियों के लिए आरक्षण भर्ती के
समय प्रवृत्त सरकारी आदेशों के अनुसार किया जायेगा।
-
उपनियम 1 के प्रयोजनार्थ, सरकार एक चयन समिति का गठन करेगी और आयोग से परामर्श
करना आवश्यक न होगा।
-
स्थानीय निकाय निदेशक अभ्यर्थियों की एक पात्रता सूची उस ज्येष्ठतम में तैयार
करेंगे जैसा कि उनकी तदर्थ नियुक्ति के आदेश के दिनांक से अवधारित हो, और यदि दो या
अधिक व्यक्ति एक साथ नियुक्त किये जायें तो उस क्रम में तैयार करेंगे, जिस क्रम में
उसके नाम उक्त नियुक्ति के आदेश से समबद्ध किये गये हों। सूची को अभ्यर्थियों की
चरित्र पंजियों और उनके सम्बन्ध में ऐसे अन्य अभिलेखों सहित, जो उनकी उपयुक्तता को
निर्धारित करने के लिये आवश्यक समझा जाये, चयन समिति के समक्ष रखा जायेगा।
-
चयन समिति अभ्यर्थियों के मामलों पर उपनियम
4 में निर्दिष्ट उनके अभिलेखों के
आधार पर विचार करेगी।
-
चयन समिति चयन किये गये अभ्यर्थियों की एक सूची तैयार करेगी, सूची में नाम
ज्येष्ठता-क्रम में जायेंगे, और वह उसे सरकार और स्थानीय निकाय निदेशक को भेजेगी।
-
राज्य सरकार पर स्थानीय निकाय निदेशक इस नियम के उपनियम
(2) और नियम 6 के उपनियम
1
के उपबन्धों के अधीन रहते हुए, इस नियम के उपनियम
(6) के अधीन तैयार की गई सूची से
नियुक्तियां उस क्रम में करेंगे जिस क्रम में उनके नाम उक्त सूची में रखे गये हों।
-
उपनियम (7) के अधीन की गई नियुक्तियां नियम
21 में दिये गये सुसंगत उपबन्धों के
अधीन की गई समझी जायेंगी।
-
इस नियम के अधीन नियुक्त कोई व्यक्ति इस नियम के अनुसार चयन के पश्चात केवल
नियुक्ति के आदेश के दिनांक से ज्येष्ठता का हकदार होगा और सभी मामलों में उसे इस
नियम के अधीन उसकी नियुक्ति के पूर्व इस नियमावली के भाग
5 में सीधी भर्ती के लिये
निहित प्रक्रिया के अनुसार नियुक्त व्यक्तियों के नीचे रखा जायेगा।
-
यदि दो या अधिक व्यक्ति इस नियम के अधीन एक साथ नियुक्त किये जायें तो उनकी
परस्पर ज्येष्ठता नियुक्ति के आदेश में उल्लिखित क्रम में अवधारित की जायेगी।
-
ऐसे व्यक्ति की सेवा जो तदर्थ आधार पर नियुक्त किया गया हो और जो उपयुक्त न
पाया जाए या जिसका मामला इस नियम के उपनियम
1 के अधीन न आता हो, तत्काल समाप्त कर
दी जायेगी और ऐसी समाप्ति पर वह एक मास का वेतन पाने का हकदार न होगा।
22. परिवीक्षा-
-
केन्द्रीयित सेवाओं में, मौलिक रिक्ति में या उसके प्रति सीधी
भर्ती द्वारा नियुक्त किये जाने पर प्रत्येक व्यक्ति को ऐसे की अवधि के लिये
परिवीक्षा पर रखा जायेगाः
प्रतिबन्ध यह है कि सरकार केन्द्रीयित सेवाओं के संवर्ग में सम्मिलित किसी पद पर
स्थानापन्न और अस्थायी रूप से की गयी लगातार सेवा को पूर्ण अथवा आंशिक रूप से
परिवीक्षा अवधि में जोड़ने की अनुज्ञा दे सकती हैः
प्रतिबन्ध यह भी है कि राज्य सरकार किसी व्यक्ति विशेष के मामले में पर्याप्त
कारणों से जो अभिलिखित किये जायेंगे दो
वर्ष से अनधिक अवधि के लिये परिवीक्षा अवधि
बढ़ा सकती है। बढ़ाने के ऐसे आदेश में वह ठीक अवधि लिखी जायेगी जब तक के लिये उक्त
अवधि बढ़ायी गयी हो।
-
यदि परिवीक्षा अवधि या बढ़ायी गयी परिवीक्षा अवधि में अथवा उसके अन्त में किसी
समय यह पाया जाय कि परिवीक्षाधीन व्यक्ति के अपने अवसरों का पर्याप्त उपयोग नहीं
किया है अथवा अन्य किसी प्रकार से उस कार्य स्तर के संबंध में जिसकी उससे अपेक्षा
की जाती है संतुष्ट करने में असफल रहा है तो उसकी सेवायें यदि वह सीधी भर्ती से
लिया गया हो, समाप्त की जा सकती हैं। जिसके लिये वह किसी नोटिस अथवा प्रतिकर का
हकदार न होगा या यदि वह
पदोन्नति द्वारा नियुक्त किया गया हो तो उसे उस पद पर
प्रत्यावर्तित किया जा सकता है जिससे वह पदोन्नत किया गया हो।
23-स्थायीकरण-
कोई परिवीक्षाधीन व्यक्ति, परिवीक्षा अवधि अथवा बढ़ायी गयी
परिवीक्षा अवधि के अन्त में अपने पद पर स्थायी कर दिया जायेगा, यदि उसका
कार्य और आचरण संतोषजनक हो और उनकी सत्यनिष्ठा प्रमाणित की जाय।
24-ज्येष्ठता-
केन्द्रीयित सेवा में किसी पद पर ज्येष्ठता मौलिक नियुक्ति के दिनांक
से निर्धारित की जायेगी, किन्तु यदि दो या अधिक अभ्यर्थी एक ही दिनांक को नियुक्त
किये जायें तो उनकी ज्येष्ठता उस क्रम से निर्धारित की जायेगी जिस क्रम में उनके
नाम नियम 19 और 20 के अधीन तैयार की गयी सूची में उल्लिखित हों।
25-स्थानान्तरण-
-
राज्य सरकार, केन्द्रीयित सेवाओं के किसी अधिकारी को एक पालिका
से दूसरी पालिका में स्थानान्तरित कर सकती है।
-
डिवीजन का आयु केन्द्रीयित प्रवर सेवाओं के किसी अधिकारी के अतिरि अन्य किसी
अधिकारी को अपने डिवीजन के अन्तर्गत एक पालिका से दूसरे पालिका में स्थानान्तरित कर
सकता है।
-
कोई पालिका केन्द्रीयित सेवा के किसी अधिकारी का स्थानान्तरण करने का निवेदन
पालिका संघटित करने वाले दो तिहाई सदस्यों के बहुमत द्वारा इस आशय का एक विशेष
संकल्प पारित करके कर सकती है।
भाग 8-अन्य उपबन्ध
26-शुल्क प्राधिकारी-
राज्य सरकार द्वारा केन्द्रीयित सेवाओं के अधिकारियों के लिए
निश्चित वेतन तथा भत्ते पालिका द्वारा सीधे अधिकारियों को दिये जायेंगे।
27-परिवीक्षा अवधि में वेतन-
-
परिवीक्षाधीन व्यक्ति, यदि वह पहले से ही किसी
पालिका की स्थायी सेवा में न हो, परिवीक्षा अवधि में प्रथम ऐसे के लिये पद का
न्यूनतम वेतन और वेतन-वृद्धियां, जैसे वे प्रोद्भूत हों, लेगा, किन्तु प्रतिबन्ध यह
है कि यदि संतोषजनक कार्य न करने के कारण परिवीक्षा अवधि बढ़ायी जाय तो बढ़ायी गई
अवधि की गणना वेतन वृद्धि में तब तक नहीं की जायेगी जब तक कि सक्षम प्राधिकारी ऐसा
निर्देश न दे, किन्तु स्थायी हो जाने पर उसे वही वेतन मिलेगा जो उसकी सेवा की अवधि
के अनुसार अनुमन्य होगा।
-
परिवीक्षा अवधि में ऐसे किसी व्यक्ति का, जो केन्द्रीयित सेवा में भर्ती किये
जाने के पूर्व किसी पालिका की सेवा में पहले से ही किसी मौलिक पद पर हो, वेतन
पालिकाओं के कर्मचारियों का वेतन निश्चित करने से सम्बद्ध संगत नियमों के अनुसार
निश्चित किया जायेगा।
28-दक्षता रोक पार करने के लिए मापदंड-
-
केन्द्रीयित सेवाओं के किसी सदस्य को
प्रथम दक्षता-रोक पार करने की तब तक अनुमति न दी जायेगी, जब तक उसके संबंध में यह न
पाया जाय कि उसने संतोषजनक रूप से और अपनी पूरी योग्यता से कार्य किया है तथा उसकी
सत्यनिष्ठा सन्देह से परे प्रमाणित न कर दी जाय।
-
केन्द्रीयित सेवाओं के किसी सदस्य को द्वितीय तथा अनुवर्ती दक्षता रोक पार करने
की तब तक अनुमति न दी जायेगी जब तक कि वह अपने कार्य, आचरण, सत्यनिष्ठा तथा योग्यता
से पूर्णतः संतुष्ट न कर दें:
-
केन्द्रीयित सेवाओं के सदस्यों को दक्षता रोक पार करने की अनुमति का आदेश सरकार
द्वारा जारी किया जायेगा।
-
प्रत्येक अवसर पर जब किसी कर्मचारी को ऐसी दक्षता रोक पार
करने की अनुमति दी जाये, जिस पर वह पहले रोक लिया गया हो, तो दक्षता रोक पार
करने के दिनांक से उसका वेतन समयमान में ऐसे प्रक्रम पर निश्चित किया जायेगा
जो उसे मिलता, यदि वह दक्षता रोक न लिया गया होता।
29-पक्ष समर्थन
भर्ती के लिये इस नियमावली के अधीन अपेक्षित सिफारिशों से
भिन्न सिफारिशों पर चाहे वे लिखित हो या मौखिक विचार नहीं किया जायेगा। किसी
अभ्यर्थी की ओर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपनी अभ्यर्थता के लिये अन्य
उपायों द्वारा समर्थन प्राप्त करने का प्रयास उसे नियुक्ति के लिये अर्ह कर
देगा।
30-अवकाश, अवकाश भत्ता, स्थानापन्न वेतन, शुल्क तथा मानदेय
-
इस नियमावली में अन्यथा उपबंधित व्यवस्था को छोड़कर अवकाश तथा
अवकाश वेतन से सम्बद्ध सभी मामले, समान प्रास्थित के सरकारी सेवकों पर
प्रयोज्य अवकाश संबंधी नियमों में निर्धारित रीति से विनियमित होगें और
समय-समय पर जारी किये गये संशोधन की सभी व्याख्याओं और स्पष्टीकरणों सहित
आवश्यक परिवर्तनों के साथ लागू होगें।
-
वेतन जिसके अन्तर्ग स्थानाप वेतन और अतिरिक्त वेतन भी है,
विशेष वेतन, मानदेय, प्रतिकर भत्ता, निर्वाह भत्ता तथा शुल्कों की स्वीकृति
उन्हीं शर्तों पर विनियमित होगी जो समान प्रास्थिति के सरकारी सेवकों पर यू०
पी० फाइनेनिशयल हैन्ड बुक, खंड 2, भाग 2 से 4 तक तके दिये गये यू० पी०
फंडामेंटल एंड सब्सीड्यिरी रूल्स के अधीन प्रयोज्य हो।
-
इस नियमावली में स्पष्ट रूप से उपबंधित व्यवस्था को छोड़कर
फाइनेनिशयल हैन्ड बुक, खंड 2, भाग 2 से 4 तक में दिये हुए यू० पी० फंडमेंटल
एंड सब्सीड्यिरी रूल्स तथा फाइनेनिशयल हैन्ड बुक, खंड 3 में दिये हुए टेवलिंग
एलाउन्स रूल्स आवश्यक परिवर्तनों के साथ लागू होंगे।
टिप्पणी-तदनुरूप प्राधिकारी, जो इस नियमावली के प्रयोजनों के लिए उक्त फाइनेनिशयल
हैन्ड बुकों के अन्तर्गत विभिन्न अधिकारों का प्रयोग करने के लिए सक्षम हो, वे
होंगे जिन्हे सरकार समय-समय पर आदेश द्वारा निर्धारित करे।
31-तदर्थ एवं अस्थायी स्थानाप नियुक्तियां-
नियम 21 में किसी बात के होते हुए भी
राज्य सरकार मौलिक या अस्थायी रूप से रिक्त होने वाले पदों पर तदर्थ नियुक्तियां कर
सकती हैं या अस्थायी स्थानापन्न व्यवस्था कर सकती है।
32-अवकाश व्यय आदि का आपात-
एक पालिका से दूसरी पालिका में स्थानान्तरित किये गये
किसी अधिकारी का अवकाश व्यय, मार्गस्थ वेतन और
भत्ते जिसके अन्तर्गत यात्रा भत्ता भी
है, निम्नलिखित सिद्धान्तों के अनुसार विनियमित किया जायेगाः
-
जब किसी अधिकारी को एक पालिका से दूसरी पालिका में स्थानान्तरित किया जाय तो,
उसका मार्गस्थ वेतन और भत्ता, जिसके अन्तर्गत भत्ता भी है, उस पालिका द्वारा दिया
जायेगा जहां पर उसका स्थानान्तरण किया जाय।
-
अवकाश वेतन उस पालिका द्वारा दिया जायेगा जहां से अधिकारी अवकाश पर जाय।
33-भविष्य निधि-
सभी केन्द्रीयित सेवाओं के लिये एक सामान्य भविष्य निधि स्थापित कर
दी जाने के समय तक, इस नियमावली द्वारा शासित अधिकारी, जब तक कि इस नियमावली में
अन्यथा व्यवस्था न हो, उस पालिका के जिसमें वह तत्समय तैनात हो भविष्य निधि संबंधि
नियम अथवा नियमों द्वारा शासित होते रहेंगेः
प्रतिबन्ध यह है कि ऐसी पालिका के, नियमों या विनियमों में किसी बात के होते हुए
भी, अधिकारी द्वारा निधि में दिये जाने वाले अंशदान की धनराशि उसकी उपलब्धियों के
सवा छः प्रतिशत की दर से कम न होगी
(पद उपलब्धियों का तात्पर्य फाइनेनिशयल हैन्ड बुक, खंड 2 में यथापरिभाषित
वेतन, अवकाश वेतन या निर्वाह अनुदान से है और पालिका द्वारा जिसमें दिया जाने
वाला अंशदान उपलब्धियों के 6-1/4 प्रतिशत की दर से होगा, तथा दोनों धनराशियां
निकटतम पूरे रूपये में की जायेंगी 50 पैसा या उससे अधिक की गणना अगले उच्च
रूपये में की जायेगी)
प्रतिबन्ध यह भी है कि कोई अधिकारी जो केन्द्रीयित सेवाओं में अपने संविलीन हो जाने
या उसमें नियुक्ति के ठीक पूर्व किसी पेंशन तथा सामान्य भविष्य निधि विनियमों या
किसी पालिका के नियमों द्वारा शासित होता रहा हो, वह इस नियमावली में किसी बात के
होते हुए भी, यथास्थिति ऐसे पेंशन या सामान्य भविष्य निधि विनियमों अथवा नियमों
द्वारा निम्न प्रकार से शासित होता रहेगा:
-
ऐसे अधिकारी के सामान्य भविष्य निधि में अंशदान की धनराशि उस पालिका द्वारा
जिसमें वह तत्समय तैनात हो, प्रतिमाह उसके वेतन में से काट ली जायेगी।
-
उक्त पालिका ऐसी पालिका को जिसमें उक्त अधिकारी केन्द्रीयित सेवा में अपने
संविलीन हो जाने या उसमें नियुक्ति के ठीक पूर्व सेवायोजित था, सामान्य भविष्य निधि
में उसके अंशदान की धनराशि तथा उक्त अधिकारी के संबंध में अपना पेंशन संबंधी अंशदान
संबंधित निधियों में जमा करने के लिये भुगतान करेगा, और
-
जिस पालिका में उक्त अधिकारी अपने केन्द्रीयित सेवाओं में संविलीन हो जाने या
उसमें अपनी नियुक्ति के ढीक पूर्व सेवायोजित रहा हो, वह पालिका उसके सेवानिवृत्त
होने के पाश्चात, यथास्थिति उक्त पेंशन, अनुग्रह धन तथा सामान्य भविष्य निधि का या
उसके परिवार के सदस्यों को अनुग्रह धन तथा पारिवारिक पेंशन का भुगतान करने के लिये
जिम्मेदार होगा।
34-भविष्य निधि के सम्बन्ध में विशेष उपबन्ध-
120 दिन से अधिक के अवकाश की व्यवस्था
में, एक पालिका से दूसरी पालिका में स्थानान्तरण होने पर तुरन्त उस पालिका में,
जहां पर अधिकारी का स्थानान्तरण किया गया हो, उसके नाम से एक नया भविष्य निधि लेखा
खोला जायेगा और उस पालिका का, जहाँ से उसका स्थानान्तरण किया गया हो, मुख्य
नगराधिकारी अथवा यथास्थिति प्रेसीडेंट ऐसे स्थानान्तरण के दिनांक से तीस दिन के
भीतर उस पालिका का जहां पर उसे स्थानान्तरित किया गया हो, अधिकारी के भविष्य निधि
का एक पूर्ण लेखा भेजेगा और पुराने लेखे में उसके नाम से जमा हो गई धनराशि तथा
ब्याज को, जिसकी गणना उस माह तक की जायेगी जिसमें लेखा हस्तान्तरित किया जाय, उसके
नये लेखे में हस्तान्तरित करायेगा। अगले अनुवर्ती माह में ऐसी धनराशि पर आग का कुल
ब्याज उस पालिका द्वारा देना होगा जहां पर नया लेखा खोला गया हो।
35-
नियम 34 में उल्लिखित परिस्थितियों से भिन्न परिस्थितियों में अधिकारी अपने
वर्तमान भविष्य निधि में अंशदान देता रहेगा और ऐसी अतिरि धनराशि भी देगा जो उसके
सम्बन्ध में उससे मांगी जाय और निधि का प्रबन्ध करने वाली पालिका उसमें अपना अंशदान
जमा करती रहेगी और उसे पालिका के लिये, जहां पर अधिकारी का स्थानान्तरण किया गया
हो, यह अनिवार्य होगा कि वह उस पालिका को, जहां से अधिकारी का स्थानान्तरण किया गया
हो, उसकी उपलब्धियों की वास्तविक धनराशि की उचित शीघ्रता से सूचना दे। इसी प्रकार
उसमें प्रत्येक परिवर्तन की भी सूचना तुरन्त दी जायेगी।
36-
किसी धनराशि के देय हो जाने पर उसके भुगतान की जिम्मेदारी उस पालिका की होगी जो
तत्समय भविष्य निधि रखने के लिए उत्तरदायी हो।
37-अनुशासनिक कार्यवाहियां-
-
ऐसे उपान्तरों के अधीन रहते हुये, जो राज्य सरकार समय-समय पर
करे, अनुशासनिक कार्यवाही, दण्ड के विरूद्ध अपील और अभ्यावेदन संबंधी नियम जो
सरकारी सेवकों पर लागू है सेवा के अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों पर लागू
होंगे।
-
केन्द्रीयित सेवा के अधिकारियों पर कोई बड़ा या छोटा दंड आरोपित करने के लिये
राज्य सरकार सक्षम
प्राधिकारी होगी:
प्रतिबन्ध यह है कि कोई छोटा दण्ड देने की शक्ति भी नगरपालिका बोर्ड के अध्यक्ष या
नगर निगम के मुख्य नगराधिकारी में निहित होगीः
अग्रेतर प्रतिबन्ध यह है कि केन्द्रीयित सेवाओं के ऐसे अधिकारियों पर जिनके संबंध
में नियुक्त करने
की शक्ति राज्य सरकार द्वारा उसे प्रत्यायोजित की गई है, बड़ा या छोटा
दण्ड देने की शक्ति भी स्थानीय निकाय निदेशक में निहित होगीः
-
प्रतिबन्ध यह भी है कि किसी ऐसे अधिकारी के संबंध में पदच्युत करने या सेवा से
हटाने या पदावनत करने का कोई आदेश देने के पूर्व आयोग से परामर्श करना आवाश्यक
होगा।
केन्द्रीयित सेवा के किसी अधिकारी को निलम्बित करने की शक्ति का प्रयोग केवल
राज्य सरकार द्वारा किया जायेगा।
-
ऐसे मामलों में जिनमें उपर्युक्त उपनियम
2 के उपबन्धों के अनुसार अध्यक्ष या
मुख्य नगराधिकारी द्वारा किसी अधिकारी के विरूद्ध अनुशासनिक कार्यवाही प्रारम्भ की
जा चुकी हो और जांच के पूरा होने के पश्चात वह इस अन्तःकालीन निश्चय पर पहुंचे कि
पदच्युत करने या सेवा से हटाने या पदावनत करने का दण्ड देना आवाश्यक है, तो वह उस
मामले को अपने निष्कर्षों और सिफारिशों के साथ सरकार को अन्तिम आदेश के लिए
अभिदिष्ट करेगा।
38-सेवा निवृत्ति की आयु-
-
उपनियम (2) और
(3) के उपबन्धों के अधीन रहते हुए, केंद्रीयित
सेवाओं के समस्त अधिकारियों की सेवा से निवृत्ति होने की आयु साठ वर्ष होगी, जिसके
पश्चात साधारणतया किसी को भी पालिका की सेवा में नहीं रखा जायेगा।
-
सरकार, किसी भी समय केन्द्रीयित सेवा के किसी अधिकारी को चाहे वह स्थायी हो या
अस्थायी नोटिस देकर, बिना कोई कारण बताये, उससे पचास साठ वर्ष की आयु प्राप्त कर
लेने के पश्चात्
सेवानिवृत्त हो जाने की अपेक्षा कर सकती है, या ऐसा केन्द्रीयित सेवा का
अधिकारी 50 वर्ष की आयु प्राप्त कर लेने के पश्चात् या बीस वर्ष की अर्ह सेवा पूरी कर लेने पर किसी भी समय सरकार को
नोटिस देकर स्वेच्छा से सेवा-निवृत्त हो सकता है।
-
ऐसी नोटिस की अवधि तीन मास होगीः
प्रतिबन्ध यह है किः-
क. किसी ऐसे केन्द्रीयित सेवा के अधिकारी को पचास ऐसे की आयु प्राप्त कर लेने के
पश्चात किसी भी समय सरकार के आदेश से, ऐसी नोटिस के बिना या अल्पावधि की नोटिस पर
तत्काल सेवा-निवृत्ति किया जा सकता है, और ऐसी सेवा-निवृत्ति पर केन्द्रीयित सेवा
का अधिकारी, नोटिस की अवधि के लिये या, यथास्थिति, ऐसी नोटिस तीन मास से जितनी कम
हो उतनी अवधि के लिए, उसी दर पर अपने वेतन और भत्ते की, यदि कोई हो, राशि के बराबर
धनराशि का दावा करने का हकदार होगा जिस दर पर वह उनको अपनी सेवा-निवृत्ति के ठीक
पहले पा रहा था।
ख. यदि सरकार चाहे तो वह किसी केन्द्रीयित सेवा के अधिकारी को किसी नोटिस के बिना
या अल्पावधि की नोटिस पर, और नोटिस के बदले में उससे किसी शास्ति का भुगतान करने की
अपेक्षा किये बिना, सेवा निवृत्त होने की अनुज्ञा दे सकता हैः
अग्रतर प्रतिबन्ध यह है कि ऐसी केंद्रीयित सेवा के अधिकारी द्वारा, जिसके विरूद्ध
अनुशासनिक कार्यवाही विचाराधीन या आवेक्षित हो, दी गयी नोटिस तभी प्रभावी होगी जब
वह सरकार द्वारा स्वीकार कर ली जाये, किन्तु किसी आवेक्षित अनुशासनिक कार्यवाही की
स्थिति में केन्द्रीयित सेवा के अधिकारी को उसकी नोटिस स्वीकार न किये जाने की
सूचना नोटिस की समाप्ति के पूर्व दे दी जायेगीः
प्रतिबन्ध यह भी है कि स्वेच्छ से सेवा-निवृत्त होने के लिए उपनियम
(2) के अधीन
केंद्रीयित सेवा के अधिकारी द्वारा एक बार दी गयी नोटिस उसके द्वारा, सरकार की
अनुज्ञा के सिवाय वापस नहीं ली जा सकेगी।
-
प्रत्येक केंद्रीयित सेवा के अधिकारी को जो इस नियम के अधीन सेवा-निवृत्त होता
है या जिससे सेवा-निवृत्त होने की अपेक्षा की जाती है या जिसे सेवा-निवृत्त होने की
अनुज्ञा दी जाती है, उस पर लागू सुसंगत नियमों के उपबन्धों के अनुसार और उनके अधीन
रहते हुए, सेवा-निवृत्ति पेंशन और या सेवा-निवृत्त संबंधी अन्य लाभ, यदि कोई हों,
उपलब्ध होंगे।
स्पष्टीकरणः-(1) उपनियम
(2) के अधीन सरकार का केंद्रीयित सेवा के अधिकारी से
सेवा-निवृत्त होने की, जैसा कि उसमें विनिर्दिष्ट है, अपेक्षा करने का निर्णय सरकार
के द्वारा यह बात लोक हित में प्रतीत होने पर लिया जायेगा किन्तु यहां पर दी गयी
किसी बात से यह नहीं समझा जायेगा कि आदेश में इसका उल्लेख करने की अपेक्षा की गयी
है कि ऐसा निण्रय लोकहित में लिया गया है।
(2) प्रत्येक ऐसा निर्णय, जब तक कि इसके प्रतिकूल साबित न कर दिया जाय लोकहित में
लिया गया उपधारित किया जायेगा।
(3) सरकार का प्रत्येक आदेश, जिसमें केंद्रीयित सेवा के अधिकारी से इस नियम के
उपनियम 3 के प्रतिबन्धात्मक खंड
(क) के अधीन तत्काल सेवा-निवृत्त होने की अपेक्षा
की गयी हो, जारी किये जाने के दिनांक के अपरान्ह से प्रभावी होगा, प्रतिबन्ध यह है
कि यदि उसके जारी किये जाने के पश्चात सम्बद्ध केंद्रीयित सेवा का अधिकारी सदाशयता
से और उस आदेश की अनभिज्ञता से अपने पद के कर्तव्यों का पालन करता है तो उसके
कार्यों को इस तथ्य के होते हुए भी कि वह पहले ही सेवा-निवृत्त हो गया विधिमान्य
समझा जायेगा।
39-----
40-
-
यदि इस नियमावली के
किसी उपबन्धों के निर्वचन के संबंध में कोई विवाद उठे या
कठिनाई उत्पन्न हो तो सरकार को अभिदिष्ट किया जायेगा जिसका उस पर निर्णय अंतिम तथा
निश्चायक होगा।
-
इस नियमावली के अन्तर्गत न आने वाले विषय ऐसे आदेशों द्वारा शासित होंगे जिन्हें
राज्य सरकार जारी करना उचित समझें।
41-निर्वाचन और अन्य विषयों का विनियमन-
इस नियमावली में दी गयी किसी बात के होते
हुये भी यदि सरकार का यह समाधान हो जाय कि इस नियमावली के किन्ही उपबन्धों को लागू
करने से किसी विशेष मामले में अन्याय होता है तो वह आदेश द्वारा उक्त उपबन्ध की
अपेक्षाओं को उस सीमा तक तथा ऐसी शर्तों के अधीन रहते हुये जो वह उस मामले में
न्यायपूर्ण तथा साम्यिक
(equitable) रूप से कार्यवाही करने के लिये आवाश्यक समझ,
मुक्त, या शिथिल कर सकती हैं।
42-शक्तियों तथा कृत्यों का प्रतिनिधान-
सरकार इस नियमावली के अधीन अपनी शक्तियां
तथा कृत्य निदेशक, स्थानीय निकाय अथवा किसी अन्य अधिकारी को, जिसे वह उचित समझे
प्रतिनिहित कर सकती है।
43-पालिका पर्वतीय उपसंवर्ग का गठन-
-
इस नियमावली में किसी बात के होते हुए भी अनुसूची-4 क
स्तम्भ-1 में उल्लिखित केन्द्रीयित सेवा का एक पृथक पालिका पर्वतीय उप संवर्ग
होगा जिसमें उसके स्तम्भ-2 में उनके सामने उल्लिखित पद होंगे।
-
ऐसे पदों के पदधारी उक्त उप संवर्ग में उनके आवंटन के पश्चात
नियम-4 के अनुसार पर्वतीय जिलों अर्थात अल्मोड़ा, चमोली, देहरादूर, नैनीताल,
पौड़ी गढ़वाल, टेहरी गढ़वाल, उधमसिंह नगर, पिथौरागढ़ और उत्तरकाशी के बाहर
स्थानान्तरित होने के दायी नहीं होंगे।
-
उपनियम 1 में निर्दिष्ट प्रत्येक केन्द्रीयित सेवा की पालिका पर्वतीय उप संवर्ग
की सदस्य संख्या उतनी होगी जितनी सरकार समय-समय पर सामान्य या विशेष आदेश द्वारा
नियत करे।
44-सेवा के सदस्यों का पालिका पर्वतीय उपसंवर्ग को आवंटन-
-
अनुसूची चार के
स्तम्भ-2 में उल्लिखित पदों पर सेवा कर रहे केन्द्रीयित सेवा के वर्तमान सदस्यों से
उत्तर प्रदेश पालिका केन्द्रीयित सेवा बीसवाँ संशोधन नियमावली,
1996 के प्रारम्भ
होने के दिनांक से तीन मास के भीतर नियुक्त प्राधिकारी द्वारा यह अपेक्षा की जायेगी
कि वे पालिका पर्वतीय उप संवर्ग में आवंटन के लिये या सामान्य संवर्ग में बने रहने
के लिए अपने विकल्प का प्रयोग करें।
-
एक बार दिया गया विकल्प अन्तिम और अप्रतिसंहरणीय होगा।
-
यदि उपनियम
(1) में विनिर्दिष्ट समय के भीतर विकल्प का प्रयोग न किया जाय तो यह
समझा जायेगा कि केन्द्रीयित सेवा का सदस्य सामान्य संवर्ग में रहना चाहता है और
अपना आवंटन पालिका पर्वतीय उप संवर्ग में नहीं चाहता।
-
नियुक्त प्राधिकारी ऐसे व्यक्तियों की जिन्होंने पालिका पर्वतीय उप-संवर्ग में
आवंटन के लिए अपने विकल्प का प्रयोग किया है, केन्द्रीयित सेवाओं में उनकी
ज्येष्ठता के अनुसार एक सूची तैयार करेगा।
-
पालिका पर्वतीय उप- संवर्ग में व्यक्तियों का आवंटन नियुक्त प्राधिकारी द्वारा
उस क्रम में किया जाएगा जिस क्रम में उनके नाम उपनियम
4 के अधीन तैयार की गयी सूची
में आये हों और यदि ऐसी सूची में व्यक्तियों की संख्या पदों की संख्या से अधिक हो
तो पदों की संख्या से अधिक व्यक्तियों की एक प्रतीक्षा सूची तैयार की जायेगी और जब
कभी पालिका पर्वतीय उप-संवर्ग में कोई रिक्त हो उनका उक्त उप संवर्ग में आवंटन किया
जायेगा।
-
यदि उपनियम 4 के अधीन तैयार की गयी सूची में व्यक्तियों की
संख्या पालिका पर्वतीय उप-संवर्ग में पदों की संख्या से कम हो तो शेष रिक्त
पदों को इस नियमावली के अनुसार भरा जायेगा:
45. पालिका पर्वतीय उप-संवर्ग में भर्ती-
पालिका पर्वतीय उप-संवर्ग में पदों पर
भर्ती यथास्थिति सीधी भर्ती द्वारा या पदोन्नति द्वारा इस नियमावली के अनुसार की
जायेगीः
परन्तु जहाँ पालिका पर्वतीय उप-संवर्ग में आने वाले किसी पद पर भर्ती पदोन्नति
द्वारा की जानी हो तो पालिका पर्वतीय उप-संवर्ग के सदस्यों की पृथक पात्रता सूची
तैयार की जायेगी और उससे भर्ती की जायेगी।
46. पालिका पर्वतीय उप-संवर्ग के व्यक्तियों की ज्येष्ठता-
पालिका पर्वतीय उप-संवर्ग
की किसी सेवा में मौलिक रूप से नियुक्त व्यक्तियों की ज्येष्ठता इस नियमावली के
अनुसार अवधारित की जायेगी।
47. अन्य विषयों का विनियमन-
ऐसे विषयों के सम्बन्ध में जो विनिर्दिष्ट रूप से इस
नियमावली के अन्तर्गत न आते हों, केन्द्रीयित सेवाओं में नियुक्त व्यक्ति जिसमें
पालिका पर्वतीय उप-संवर्ग सम्मिलित है राज्य के कार्यकलापों के सम्बन्ध में सेवारत
सरकारी सेवाओं पर सामान्य लागू नियमों, विनियमों और आदेशों द्वारा नियंत्रित होंगे।
48.. व्ययवृत्ति-
इस नियमावली की किसी बात का कोई प्रभाव ऐसे आरक्षण और अन्य रियायतों
पर नहीं पड़ेगा, इस सम्बन्ध में जिनके लिए सरकार द्वारा समय-समय पर जारी किये गये
आदेशों और नियम-7 के अनुसार अनुसूचित जातियों अनुसूचित जन जातियों और पिछ्ड़े ऐसे
के नागरिकों के लिए उपबन्ध किया जाना अपेक्षित हो।
अनुसूचि एक
नियम 6. (1) (एक) देखिए |
|
|
केन्द्रीयित सेवा का नाम |
पदों का नाम |
उत्तर प्रदेश पालिका
प्रशासनिक (प्रवर) सेवा |
नगर निगमों के उप नगर अधिकरी |
उत्तर
प्रदेश पालिका एलोपैथिक (अवर) सेवा उत्तर प्रदेश पालिका एलोपैथिक
चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवा(पुरूष) |
नगर निगमों
और नगर पालिका परिषदों के एलोपैथिक चिकित्सालयों/औषधालयों और संक्रामक
रोग चिकित्सालयों के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी
(पुरूष) |
उत्तर
प्रदेश पालिका एलोपैथिक चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवा(महिला) |
नगर निगमों और नगर पालिका परिषदों के एलोपैथिक चिकित्सालयों/औषधालयों और संक्रामक
रोग चिकित्सालयों के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी
(महिला) |
उत्तर प्रदेश पालिका
आयुर्वेदिक चिकित्सा सेवा |
नगर निगमों के
(श्रेणी-एक) वैद्य |
उत्तर प्रदेश पालिका यूनानी
चिकित्सा सेवा |
नगर निगमों के
(श्रेणी-एक) हकीम |
उत्तर प्रदेश पालिका
होम्योपैथिक चिकित्सा |
नगर निगमों के होम्योपैथिक औषधालयों के
(श्रेणी-एक) के चिकित्सा अधिकारी |
उत्तर प्रदेश पालिका लोक
स्वास्थ्य सेवा |
नगर निगमों और नगरपालिका परिषदों के मुख्य सफाई निरीक्षक
|
|
(एक) नगर निगमों के मुख्य अभियन्ता
(दो) नगर निगमों के मुख्य अभियन्ता |
उत्तर प्रदेश पालिका
अभियंत्रण सेवा |
नगर निगमों के अधिशासी अभियन्ता
(यातायात एवं परिवहन नियोजन) |
उत्तर प्रदेश पालिका यांत्रिक अभियंत्रण
(प्रवर) सेवा
|
नगर निगम कानपुर के यांत्रिक अभियन्ता |
उत्तर प्रदेश पालिका लेखा परीक्षा
(प्रवर) सेवा
|
नगर निगमों के मुख्य नगर लेखा परीक्षक |
उत्तर प्रदेश पालिका लिपिक वर्गीय सेवा |
(एक) नगर निगमों के कार्यालय अधीक्षक
(दो) श्रेणी-एक की नगर पालिका परिषदों के प्रधान
लिपिक या कार्यालय अधीक्षक |
उत्तर प्रदेश पालिका प्राशासी
(अधीनस्थ) सेवा |
श्रेणी-चार
की नगरपालिका परिषदों के अधिशासी अधिकारी |
उत्तर प्रदेश पालिका राजस्व
(अधीनस्थ) सेवा |
श्रेणी-तीन की नगरपालिका परिषदों के राजस्व और कर निरीक्षक। |
अनुसूची- दो
नियम 6 (1) (दो) देखिए |
|
|
केन्द्रीयित सेवा का नाम |
पदों का नाम |
|
|
उत्तर प्रदेश पालिका एलोपैथिक चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवा
(पुरूष) |
नगर निगमों और नगरपालिका परिषदों के एलोपैथिक चिकित्सालयों/औषधालयों और संक्रामक
रोग चिकित्सालयों के श्रेणी-दो के चिकित्सा अधिकारी
(पुरूष) |
उत्तर प्रदेश पालिका एलोपैथिक चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवा
(महिला) |
नगर निगमों और नगरपालिका परिषदों के एलोपैथिक चिकित्सालयों/औषधालयों और संक्रामक
रोग चिकित्सालयों के श्रेणी-दो के चिकित्सा अधिकारी
(महिला) |
उत्तर प्रदेश पालिका आयुर्वेदिक चिकित्सा सेवा
|
नगर निगमों के
(श्रेणी-दो) वैद्य |
उत्तर प्रदेश पालिका यूनानी चिकित्सा सेवा |
नगर निगमों के
(श्रेणी-दो) हकीम |
उत्तर प्रदेश पालिका होम्योपैथिक चिकित्सा सेवा
|
नगर निगमों के होम्योपैथिक औषधालयों के श्रेणी-दो चिकित्सा अधिकारी |
उत्तर प्रदेश पालिका लोक स्वास्थ्य सेवा |
नगर निगमों और नगरपालिका परिषदों के सफाई निरीक्षक |
उत्तर प्रदेश पालिका पशु चिकित्सा सेवा
|
(एक) नगर निगमों के
(श्रेणी-दो) सहायक पशु चिकित्सक
(दो) श्रेणी-एक और दो की नगरपालिका परिषदों के
(श्रेणी-दो) सहायक पशु चिकित्सक |
उत्तर प्रदेश पालिका अभियंत्रण
(अधीनस्थ) सेवा |
एक-निगमों और नगरपालिका परिषदों के अवर अभियन्ता
(सिविल, विद्युत एवं यांत्रिक)
(अर्ह)
(दो) नगर निगमों के अवर अभियन्ता
(यातायात और परिवहन नियोजन)
(तीन) नगर पंचायतों के अवर अभियन्ता
(सिविल, विद्युत एवं यांत्रिक)
(अर्ह) |
उत्तर प्रदेश पालिका यातायात अभियंत्रण सेवा |
नगर निगमों के अवर अभियन्ता
(यातायात और परिवहन नियोजन) |
उत्तर प्रदेश पालिका तरूपालन
(प्रवर) सेवा |
कानपुर के लिये तरूपालक |
उत्तर प्रदेश पालिका तरूपालन
(अधीनस्थ) सेवा
|
नगर निगमों और नगरपालिका परिषदों के उद्यान और बाग अधीक्षक |
उत्तर प्रदेश पालिका जन सम्पर्क सेवा |
नगर निगमों के जन-सम्पर्क अधिकारी |
उत्तर प्रदेश पालिका लिपिक वर्गीय सेवा
|
श्रेणी-तीन की नगरपालिका की परिषदों के
प्रधान लिपिक |
उत्तर प्रदेश पालिका लेखा
(अधीनस्थ) सेवा
|
श्रेणी दो की नगरपालिका परिषदों के लेखाकार |
उत्तर प्रदेश पालिका लेखा परीक्षा
(अधीनस्थ) सेवा |
नगर निगमों के सहायक लेखा परीक्षक। |
अनुसूची तीन
नियम 6 (1) (तीन) देखिये |
|
|
केन्द्रीयित सेवा का नाम
|
पदों का नाम |
|
|
उत्तर प्रदेश पालिका प्राशासनिक
(प्रवर) सेवा |
-
नगर निगमों के सहायक नगर अधिकारी
-
श्रेणी एक की नगरपालिका के अधिशासी अधिकारी
-
नगर निगम, कानपुर के अनुभागीय अधिकारी
|
उत्तर प्रदेश पालिका प्राशासनिक अधीनस्थ सेवा |
-
श्रेणी तीन और चार की नगरपालिका परिषदों के अधिशासी अधिकारी
-
नगर पंचायतों के अधिशासी अधिकारी
|
उत्तर प्रदेश पालिका राजस्व
(प्रवर) सेवा |
नगर निगमों और नगरपालिका परिषदों के कर निर्धारण अधिकारी |
उत्तर प्रदेश पालिका राजस्व
(अधीनस्थ) सेवा
|
-
नगर निगमों के कर अधीक्षक
-
श्रेणी दो की नगरपालिका परिषदों के कर निर्धारण अधिकारी
-
श्रेणी एक की नगरपालिका परिषदों के कर अधीक्षक
-
नगर निगमों के सहायक कर अधीक्षक
-
श्रेणी तीन और चार की
नगरपालिका परिषदों के कर निर्धारण अधिकारी
-
श्रेणी एक की नगरपालिका परिषदों के सहायक कर अधीक्षक
-
श्रेणी दो की नगरपालिका परिषदों के कर अधीक्षक
-
श्रेणी तीन की नगरपालिका परिषदों के कर अधीक्षक
-
नगर निगमों और श्रेणी एक
के राजस्व/कर निरीक्षक
-
श्रेणी दो की नगरपालिका परिषदों के राजस्व/कर निरीक्षक
|
उत्तर प्रदेश पालिका एलोपैथिक चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवा
(पुरूष) |
नगर निगमों और नगरपालिकाओं के एलोपैथिक चिकित्सालयों/औषधालयों और संक्रामक रोग
चिकित्सालयों के श्रेणी एक के चिकित्सा अधिकारी
(पुरूष) |
उत्तर प्रदेश पालिका एलोपैथिक चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवा
(महिलायें) |
नगर निगमों और नगरपालिकाओं के एलोपैथिक चिकित्सालयों/औषधालयों और संक्रामक रोग
चिकित्सालयों के श्रेणी एक के चिकित्सा अधिकारी
(महिला) |
उत्तर प्रदेश पालिका पशु चिकित्सा सेवा
|
(एक) नगर निगमों के श्रेणी एक के सहायक पशु चिकित्सक
(दो) नगर निगमों के श्रेणी दो और नगरपालिका परिषदों के श्रेणी एक और दो के सहायक पशु
चिकित्सक |
उत्तर प्रदेश पालिका अभियंत्रण
(प्रवर) सेवा |
(एक) नगर निगमों के सहायक अभियन्ता सिविल,विद्युत,यांत्रिक या आटोमोबाइल
(दो) नगर निगमों
3, सहायक अभियन्ता यातायात और परिवहन नियोजन
(तीन) श्रेणी-एक की नगर पालिका परिषदों के अर्ह. सिविल अभियन्ता |
उत्तर प्रदेश पालिका लेखा
(प्रवर) सेवा |
(एक) नगर निगमों के लेखाधिकारी
(दो) वर्ग एक की नगर पालिका परिषदों के सहायक लेखाधिकारी |
उत्तर प्रदेश पालिका लेखा
(अधीनस्थ) सेवा |
(एक) नगर निगमों के लेखाकार
(दो) श्रेणी-एक की नगरपालिका परिषदों के लेखाकार |
उत्तर प्रदेश पालिका लेखा परीक्षा
(अधीनस्थ) सेवा |
नगर निगमों के लेखा परीक्षक। |
अनुसूची-चार
नियम 43 (1) और 44 (1) देखिए |
|
|
केन्द्रीयित सेवा का नाम
|
पदों का नाम |
|
|
उत्तर प्रदेश पालिका प्राशासनिक
(प्रवर) सेवा |
(एक) श्रेणी-एक की नगरपालिका परिषदों के अधिशासी अधिकारी
(दो) श्रेणी-दो की नगरपालिका परिषदों के अधिशासी अधिकारी |
उत्तर प्रदेश पालिका प्राशासनिक
(अधीनस्थ) सेवा |
(एक) श्रेणी-तीन की नगरपालिका परिषदों के अधिशासी अधिकारी
(दो) श्रेणी-चार की नगरपालिका परिषदों के अधिशासी अधिकारी
(तीन) नगर पंचायत का अधिशासी अधिकारी |
उत्तर प्रदेश पालिका राजस्व
(अधीनस्थ) सेवा |
(एक) श्रेणी-एक की नगरपालिका परिषदों के कर निर्धारण अधिकारी
(दो) श्रेणी-दो की नगरपालिका परिषदों के कर निर्धारण अधिकारी
(तीन) श्रेणी-एक की नगरपालिका परिषदों के कर अधीक्षक
(चार) श्रेणी-एक की नगरपालिका परिषदों के सहायक कर अधीक्षक
(पांच) श्रेणी-दो की नगरपालिका परिषदों के कर अधीक्षक
(छः) श्रेणी-दो और तीन की नगरपालिका परिषदों के कर निर्धारण अधिकारी
(सात) श्रेणी-तीन की नगरपालिका परिषदों के कर अधीक्षक
आठ- श्रेणी-एक और दो की नगरपालिका परिषदों के राजस्व/कर निरीक्षक
(नौ) श्रेणी-तीन की नगरपालिका परिषदों के राजस्व/कर निरीक्षक |
उत्तर प्रदेश पालिका एलोपैथिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा
(पुरूष) |
(एक) श्रेणी-एक की नगरपालिका परिषदों के चिकित्सा अधिकारी
(पुरूष)
(दो) श्रेणी-दो की नगरपालिका परिषदों के चिकित्सा अधिकारी
(पुरूष) |
उत्तर प्रदेश पालिका एलोपैथिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा
(महिला) |
(एक) श्रेणी-एक की नगरपालिका परिषदों की चिकित्सा अधिकारी
(महिला)
(दो) श्रेणी-दो की नगरपालिका परिषदों की चिकित्सा अधिकारी
(महिला) |
उत्तर प्रदेश पालिका लोक स्वास्थ्य सेवा |
(एक) नगरपालिका परिषदों के मुख्य सफाई निरीक्षक
(दो) नगरपालिका परिषदों के
सफाई निरीक्षक |
उत्तर प्रदेश पालिका पशु चिकित्सा सेवा |
नगर पालिका परिषदों के सहायक पशु चिकित्सक
(श्रेणी-एक/दो)
|
उत्तर प्रदेश पालिका अभियंत्रण
(प्रवर) सेवा |
(एक) श्रेणी-एक की नगरपालिका परिषदों के सिविल अभियन्ता
(दो) श्रेणी-दो की नगरपालिका परिषदों के सिविल अभियन्ता
(अर्ह) |
उत्तर प्रदेश पालिका अभियंत्रण
(अधीनस्थ) सेवा |
(एक) श्रेणी-दो की नगरपालिका परिषदों के सिविल अभियन्ता
(अर्ह)
(दो) नगरपालिका परिषदों/नगर पंचायतों के अवर अभियन्ता सिविल विद्युत और यांत्रिक
(अर्ह) |
उत्तर प्रदेश पालिका तरूपालन
(अधीनस्थ) सेवा |
नगर पालिका परिषदों के उद्यान एवं बाग अधीक्षक |
उत्तर प्रदेश पालिका लेखा
(अधीनस्थ) सेवा |
श्रेणी-एक की नगरपालिका परिषदों के लेखाकार
|
उत्तर प्रदेश पालिका लिपिक वर्गीय सेवा |
(एक) श्रेणी-एक की नगरपालिका परिषदों के कार्यालय अधीक्षक और प्रधान लिपिक
(दो) श्रेणी-दो की नगरपालिका परिषदों के अनुभागीय/विभागीय प्रधान लिपिक
(तीन) श्रेणी-दो की नगरपालिका परिषदों के प्रधान लिपिक/कार्यालय अधीक्षक
(चार) श्रेणी-तीन की नगरपालिका परिषदों के प्रधान लिपिक। |
|