उत्तर प्रदेश पालिका (केन्द्रीयित) सेवा-निवृत्ति लाभ नियमावली, 1981
U.P. PALIKA (CENTRALISED) SERVICES RETIREMENT
BENEFIT RULES, 1981
1- संक्षिप्त नाम
और प्रारम्भ-
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यह नियमावली उत्तर
प्रदेश पालिका
(केन्द्रीयित) सेवा सेवा-निवृत्ति लाभ नियमावली, 1981 कही जायेगी।
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यह सरकारी गजट में
प्रकाशित होने के दिनांक से प्रवृत्त होगी।
2- परिभाषाये-
जब तक विषय या सन्दर्भ में कोई प्रतिकूल बात न हो, इस नियमावली में-
2(1)
"अधिनियम" का तात्पर्य सन्दर्भ के अनुसार उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम, 1959
या उत्तर प्रदेश नगर पालिका अधिनियम,1916 से है;
(2) "औसत
परिलब्धियाँ" का तात्पर्य उस दिनांक के जब सम्बद्ध अधिकारी को सेवा निवृत्त
होना हो, ठीक पूर्ववर्ती पिछ्ले दस महीने के दौरान सम्बद्ध अधिकारी को देय
परिलब्धियों के मासिक औसत से है,
परन्तुः-
(एक) यदि सेवा के
अन्तिम 12 मास के दौरान कोई अधिकारी बिना छुट्टी ड्यूटी से अनुपस्थित रहा
हो या ऐसी परिस्थितियों में निलम्बित किया गया हो, कि निलम्बन की अवधि की गणना सेवा
के रूप में न की जाय तो इस प्रकार व्यतीत की गयी अवधि की गणना नहीं की जायेगी और
अन्तिम 10 मास के ठीक पूर्व की उतनी ही अवधि को सम्मिलित किया जायेगा; और
(दो) यदि सेवा के
अन्तिम 10 मास के दौरान कोई अधिकारी सहित छुटटी पर ड्यूटी से अनुपस्थित रहा हो
या निलम्बित किये जाने पर, सेवा का समपहरण किये बिना सेवा में बहाल किया गया हो तो
औसत का करने के प्रयोजनार्थ उसकी ऐसी परिलब्धियों की गणना की जायेगी जो
उस दशा में होती यदि वह ड्यूटी से अनुपस्थित न रहा होता या निलम्बित न किया गया
होता।
स्पष्टीकरण-
इस खण्ड में पद भत्ता के अन्तर्गत वेतन और समस्त ऐसे
भत्ते हैं जो किसी अधिकारी को
अनुमन्य हों।
3- "केन्द्रीयित सेवा" का तात्पर्य नगर पालिका परिषद और नगर निगमों के लिये
उत्तर प्रदेश पालिका केन्द्रीयित सेवा नियमावली, 1966 के नियम 3 के अधीन सृजित
उभयनिष्ठ सेवाओं से है;
4- "परिलब्धि"
का तात्पर्य फाइनेंशियल हैण्ड बुक, खण्ड दो,भाग दो से चार के फण्डमेंटल रूल 9 (21)
में यथा परिभाषित वेतन से है;
टिप्पणी- यदि कोई अधिकारी अपनी सेवा-निवृत्ति या मृत्यु के ठीक पूर्व भत्ता सहित
छुट्टी पर ड्यूटी से अनुपस्थित रहा हो तो सेवा उपदान और/या मृत्यु एवं
सेवा-निवृत्ति उपदान की गणना करने के प्रयोजनार्थ उसकी ऐसी परिलब्धियों की गणना की
जायेगी जो उस दशा में होती यदि वह ड्यूटी से अनुपस्थित न होताः
परन्तु उपदान की धनराशि वेतन में वृद्धि के कारण जिसका आहरण वास्तव में न किया गया
हो, बढ़ न जाय और यह कि
उच्चतर न या अस्थायी वेतन का लाभ तभी दिया जाय जब
यह प्रमाणित हो कि वह उच्चतर,
न या अस्थायी पद धारण किये होता यदि वह
छुट्टी पर न गया होता:
(5) "परिवार"
का तात्पर्य किसी अधिकारी के निम्नलिखित सम्बन्धियों से है-
(एक) किसी पुरूष
अधिकारी की स्थिति में,पत्नी;
(दो) किसी महिला अधिकारी की स्थिति में, पति;
(तीन) पुत्र, अविवाहिता और विधवा पुत्रियां (जिसके अन्तर्गत सौतेले बालक और दत्तक
बालक भी हैं);
(चार) 18 ऐसे से कम आयु के भाई और अविवाहित और विधवा बहनें (जिसके अन्तर्गत सौतेले
भाई और सौतेले बहनें भी है;)
(पाँच) पिता;
(छः) माता;
(सात) विवाहित पुत्रियां
(जिसके अन्तर्गत सौतेली पुत्रियां भी हैं;) और
(आठ) पूर्व मृत पुत्र के बालक;
(6) "प्रपत्र"
का तात्पर्य इस नियमावली से संलग्न प्रपत्र से है;
(7) "अधिकारी"
का तात्पर्य पालिका
(केन्द्रीयित) सेवा के ऐसे अधिकारी या सेवक से है
(चाहे वरिष्ठ या
अवर सेवा का हो) जिसका केन्द्रीयित सेवा के अधीन किसी स्थायी पेंशनयुक्त पद पर
धारणाधिकार हो या जिसका ऐसे पद पर धारणाधिकार होता यदि इसका धारणाधिकार निलम्बित न
किया गया होता;
(8) "पालिका"
का तात्पर्य सन्दर्भ की अपेक्षानुसार किसी नगर निगम या नगरपालिका परिषद
(म्युनिसिपल बोर्ड)या दोनों से
है
(9) "पेंशन-योग्य
पद" का तात्पर्य ऐसे पद से है जिसके सम्बन्ध में निम्नलिखित तीन शर्तें पूरी
होती हैं-
(एक) पद उत्तर प्रदेश
पालिका (केन्द्रीयित) सेवा नियमावली, 1966 के किसी
संवर्ग में हो;
(दो) नियोजन मौलिक और स्थायी हो; और
(तीन) सेवा कार्य के लिये भुगतान किसी पालिका द्वारा किया जाता हो।
(10) "अर्हकारी
सेवा" का तात्पर्य ऐसी सेवा से है जो निम्नलिखित को छोड़कर, समय-समय पर यथा-
संशोधित सिविल सर्विस रेगुलेशन्स के अनुच्छेद 368 के उपबन्धों के अनुसार पेंशन के
लिये अर्हता प्रदान करती हो-
(एक) किसी नगर पालिका परिषद
या नगर निगम के अधीन पेंशन रहित अधिष्ठान में अस्थायी या स्थानापत्र सेवा
की अवधि;
(दो) किसी कार्य-प्रभारित अधिष्ठान में सेवा की अवधि; और
(तीन) किसी ऐसे पद पर जिसके लिये आकस्मिकता निधि से भुगतान किया जाता है, सेवा की
अवधि;
परन्तु किसी नगर निगम या नगर पालिका परिषद के अधीन निरन्तर अस्थायी या स्थानापत्र
सेवा की अवधि की गणना अर्हकारी सेवा के रूप में की जायेगी यदि उसी या किसी अन्य पद
पर सेवा के किसी व्यवधान के बिना बाद में उसे स्थायी कर दिया जाय।
टिप्पणी- यदि किसी पेंशन रहित
अधिष्ठान में, कार्य प्रभारित अधिष्ठान में या आकस्मिकता निधि से भुगतान किये जाने
वाले किसी पद पर की गयी सेवा किसी पेंशनयुक्त अधिष्ठान में अस्थायी सेवा की दो अवधि
के बीच या किसी पेंशनयुक्त अधिष्ठान में अस्थायी सेवा और स्थायी सेवा की अवधि के
बीच पड़ती हो तो वह सेवा का व्यवधान नहीं होगी।
(11)
"सेवानिवृत्ति" का तात्पर्य किसी अधिकारी के केन्द्रीयित सेवा से अधिवार्षिता
पर, अनिवार्यतः या स्वेच्छा से सेवानिवृत्त होने पर या स्थायी पद या स्थायी नियुक्ति
की समाप्ति पर,यदि अधिकारी की नियुक्ति किसी अन्य पद पर न की जाय या उसे उसके
पूर्ववर्ती मौलिक पद पर, यदि कोई हो, प्रत्यावर्तित करना सम्भव न हो, सेवामुक्त
होने से है;
टिप्पणी- सेवा से
स्वेच्छ्या सेवानिवृत्ति का तात्पर्य समय-समय पर यथा संशोधित उत्तर प्रदेश पालिका
(केन्द्रीयित) सेवा नियमावली, 1966 के नियम 38 में विनिर्दिष्ट आयु प्राप्त करने के
पश्चात सेवानिवृत्त से है।
(12) "सेवा-निवृत्ति पेंशन" का तात्पर्य
ऐसी पेंशंन से है जो ऐसे अधिकारी को स्वीकृत की
जाय, जिसे अधिवर्षिता की आयु प्राप्त करने के पूर्व सेवा-निवृत्त होने की अनुज्ञा
दी जाय और इसके अन्तर्गत ऐसी पेंशन भी है जो ऐसे अधिकारी को स्वीकृत की जाय जिससे
अधिवर्षिता की आयु प्राप्त करने के पूर्व सेवानिवृत्त होने की अपेक्षा की जाय;
(13) "अधिवर्षिता की पेंशन" का तात्पर्य किसी ऐसे अधिकारी को स्वीकृत पेंशन
से है जो उत्तर प्रदेश पालिका (केन्द्रीयित) सेवा नियमावली, 1966 के नियम 38 के
अधीन निर्धारित विशिष्ट आयु प्राप्त होने पर या उपर्युक्त नियमावली के नियम 39 के
अधीन स्वीकृत सेवा में विस्तार की अवधि समाप्त होने पर सेवा-निवृत्त होने का हकदार
हो।
3- नियमों का लागू होना-
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यह नियमावली ऐसे
समस्त अधिकारियों पर अनिवार्यतः लागू
होगी जो दिनांक 9 जुलाई, 1966 को या उसके
पश्चात उत्तर प्रदेश पालिका (केन्द्रीयित) सेवा नियमावली, 1966 के नियम 21 के खण्ड
(1) के अधीन नियुक्त किये गये हों और केन्द्रीयित सेवा में किसी पद पर स्थायी हो
जायेंगे।
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ऐसे अधिकारियों को
जिन्हें उत्तर प्रदेश पालिका (केन्द्रीयित) सेवा नियमावली, 1966 के नियम 6 के खण्ड
(2) के अधीन केन्द्रीयित सेवा में किसी पद पर अन्ततः संविलीन कर लिया गया हो, यह
चुनने का विकल्प होगा कि क्या वे पालिका की वर्तमान पेंशन/भविष्य निधि नियमावली
द्वारा नियंत्रित होना चाहेंगे जैसा अब तक होता रहा या इस नियमावली द्वारा
नियंत्रित होना चाहेंगे। इस विकल्प का प्रयोग इस नियमावली के प्रवर्तन से नब्बे दिन
के भीतर किया जायेगा और एक बार किया गया विकल्प अन्तिम होगा।
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यदि इस नियमावली का
विकल्प करने वाले किसी अधिकारी ने अपने भविष्य निधि लेखे में जमा पालिका के अंशदान
और बोनस की धनराशि का अन्ततः आहरण कर लिया हो तो उसे वह धनराशि इस नियमावली के भाग
छः के अधीन स्थापित पेंशन निधि में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा समय-समय पर निर्धारित
दर पर ब्याज सहित जमा करनी होगी।
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यदि किसी पालिका ने
इस नियमावली का विकल्प करने वाले अधिकारी की भविष्य निधि में बोनस और अपना अंशदान
जमा न किया हो तो पालिका को उपर्युक्त पेंशन निधि में ऐसी धनराशि उसी दर पर जैसा
उपनियम (3) में उल्लिखित है, ब्याज सहित जमा करनी होगी।
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इस नियमावली का
विकल्प करने वाले अधिकारी की निगम पेंशन निधि में पड़ी हुई धनराशि और ऐसी धनराशि भी
जो ऐसे अधिकारी के उक्त विकल्प के दिनांक तक उक्त निधि में जमा की जानी हो,
नगर निगम
द्वारा इस नियमावली के भाग छः के अधीन स्थापित पेंशन निधि में जमा की जायेगी।
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सम्बद्ध अधिकारी के
भविष्य निधि लेखे में जमा किए गए पालिका के अंशदान और बोनस की धनराशि का पालिका
द्वारा भविष्य निधि लेखे से आहरण किया जायगा और उसे उपर्युक्त पेंशन निधि में
पालिका द्वारा जमा किया जायगा।
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यह नियमावली ऐसे
किसी अधिकारी पर लागू नहीं होगी जो विहित समय सीमा के भीतर इसका विकल्प नहीं करता
या जो ऐसे युक्तियुक्त समय के भीतर जो स्थानीय निकाय निदेशक द्वारा दिया जाय,
उपनियम 3. में उल्लिखित शर्तों को पूरा नहीं करता।
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इस नियमावली द्वारा
नियंत्रित अधिकारी, उन पर इस नियमावली के लागू होने के दिनांक से, पालिका द्वारा
उनकी भविष्य निधि में देय बोनस और अंशदान के लाभ से बंचित हो जायेंगे।
भाग-एक
पेंशन और उपदान
4- पेंशन और उपदान की गणना-
(1) अधिवार्षिता,
सेवा-निवृत्ति,अक्षम और प्रतिकर पेंशन या उपदान की धनराशि उत्तर प्रदेश सरकार के
कर्मचारियों पर लागू प्रक्रिया और सूत्र के अनुसार संगणित समुचित धनराशि होगी।
(2) कोई विशिष्ट अतिरिक्त-पेंशन स्वीकृत नहीं की जाएगी।
(3) पद "अक्षम और प्रतिकर
पेंशन" का वही अर्थ होगा जो सिविल सर्विस रेगुलेशन्स में उसके लिए दिया गया है।
भाग-दो
मृत्यु एवं सेवा निवृत्ति उपदान
5- मृत्यु एवं सेवा-निवृत्ति उपदान-
(1) किसी अधिकारी की
सेवा निवृत्त होने पर उपदान दिया जायगा, जिसकी धनराशि परिलब्धियों को अर्हकारी सेवा
की पूर्ण छ्माही अवधि की कुल संख्या
से गुणा करने पर जो धनराशि हो, उसके एक-चौथाई
के बराबर धनराशि होगी, किन्तु परिलब्धियों की अधिकतम 16.5 गुणा से अधिक न होगी।
(2) यदि ऐसे अधिकारी की
जो इस नियमावली के भाग एक के अधीन पेंशन या उपदान पाने का हकदार हो गया हो, सेवा
में रहते हुए मृत्यु हो जाए, तो उपदान का भुगतान ऐसे व्यक्ति या व्यक्तियों को जिसे
या जिन्हें नियम 6 के उपनियम (1) से (8) के अधीन उपदान पाने का अधिकार प्रदान किया
गया हो, और यदि ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है तो उसका भुगतान नियम 6 के उपनियम (9)
में इंगित रीति से किया जायगा जिसकी धनराशि अधिकारी की परिलब्धियों को अर्हकारी
सेवा की छ्माही अवधि की कुल संख्या से गुणा करने पर जो धनराशि हो उसके एक-चौथाई के
बराबर धनराशि होगी, किन्तु न्यूनतम 12 गुना और अधिकत्म 16.5 गुना होगी।
(3) यदि किसी ऐसे अधिकारी
की, जो इस नियमावली के भाग एक के अधीन पेंशन या उपदान प्राप्त करने के लिए पात्र हो
गया हो या जिसने वस्तुतः उसे प्राप्त कर लिया हो सेवा-निवृत्ति के दिनांक से पांच
वर्ष की अवधि के भीतर मृत्यु हो जाय और मृत्यु के समय तक उसे ऐसे उपदान या पेंशन के
मद अनुमन्य या वस्तुतः प्राप्त धनराशि और उपर्युक्त उपनियम (1) के अधीन स्वीकृत
उपदान और उसके द्वारा संराशिकरण कराई गई पेंशन के किसी भाग का संराशिकृत मूल्य कुल
मिलाकर उसकी परिलब्धियों की बारह गुना धनराशि से कम हो तो उपनियम (2) में निर्दिष्ट
व्यक्ति या व्यक्तियों को ऐसी कम धनराशि के बराबर उपदान स्वीकृत किया जायगा।
(4) उपर्युक्त उपनियम (2)
के अनुसार अनुमन्य उपदान की धनराशि किसी भी स्थिति में 30,000 रूपये से अधिक न
होगी।
6-
(1) प्रत्येक अधिकारी, जैसे ही वह इस नियमावली का विकल्प करे या जैसे ही यह नियमावली
उस पर लागू हो जाय, नाम-निर्देश न करेगा जिसमें एक या अधिक व्यक्तियों को कोई ऐसा
उपदान जो नियम 5 के उपनियम (2) या उपनियम 3. के अधीन स्वीकृत किया जाय और ऐसा उपदान
जिसका नियम 5. के उपनियम 1. के अधीन उसे अनुमन्य हो जाने के पश्चात उसकी मृत्यु के
पूर्व भुगतान न किया गया हो, प्राप्त करने का अधिकार प्रदान किया गया होः
परन्तु यदि नाम-निर्देशन करते समय अधिकारी का परिवार हो तो नाम-निदेशक उसके परिवार
के किसी एक या अधिक सदस्यों से भिन्न किसी अन्य, व्यक्ति के पक्ष में नहीं किया
जायगा।
टिप्पणी- अधिकारी द्वारा नाम-निर्देशन या नाम-निर्देशन में कोई परिवर्तन निदेशक,
स्थानीय निकाय के अनुमोदन से अपने सेवाकाल में या सेवा-निवृत्ति के
पश्चात किया
जायगा।
(2)
यदि कोई अधिकारी उपर्युक्त उपनियम 1. के अधीन एक से अधिक व्यक्ति का नाम-निर्देशन
करे, तो वह नाम-निर्देशन-पत्र में प्रत्येक नाम-निर्दिष्ट, व्यक्ति को देय धनराशि
या अंश ऐसी रीति से विनिर्दिष्ट करेगा जिससे कि उसके अन्तर्गत उपदान की सम्पूर्ण
धनराशि आ जाय।
(3)
कोई अधिकारी नाम-निर्देशन में यह व्यवस्था कर सकता है कि-
(क)
किसी नाम-निर्दिष्ट व्यक्ति की अधिकारी के पूर्व मृत्यु हो जाने पर उस नाम
निर्दिष्ट व्यक्ति को प्रदत्त अधिकारी नाम-निर्दिष्ट ऐसे अन्य व्यक्ति को अन्तरित
हो जायगा जिसे नाम-निर्देशन-पत्र में विनिर्दिष्ट किया जाय:
परन्तु यदि नाम-निर्देशन करते समय अधिकारी के परिवार में एक से अधिक सदस्य हों तो
इस प्रकार विनिर्दिष्ट व्यक्ति उसके परिवार के सदस्य से भिन्न व्यक्ति न होगा;
(ख)
नाम-निर्दिष्ट व्यक्ति का नाम-निर्देशन उसमें विनिर्दिष्ट आकस्मिक
घटना होने की दशा में अविधिमान्य हो जायगा।
-
किसी ऐसे अधिकारी द्वारा जिसका नाम-निर्देशन करते समय परिवार न हो, किया गया
नाम-निर्देशन या किसी ऐसे अधिकारी द्वारा, जिसके परिवार में नाम-निर्देशन करने के
दिनांक को केवल एक सदस्य हो, उपनियम (3) के खण्ड (क) के अधीन नाम-निर्देशन में की
गई व्यवस्था उस दशा में अविधिमान्य हो जायगी जब बाद में अधिकारी का यथास्थिति
परिवार हो जाय या उसके परिवार में कोई अतिरिक्त सदस्य हो जाय।
(5)
(क) प्रत्येक नाम-निर्देशन (क) से (घ) तक के किसी एक ऐसे प्रपत्र में होगा जो उस
मामले की परिस्थिति के अनुसार उपयुक्त हो;
(ख) कोई अधिकारी किसी भी समय नीचे उपनियम (7) में उल्लिखित समुचित प्राधिकारी को
लिखित नोटिस भेजकर नाम-निर्देशन रद्द कर सकता है, परन्तु अधिकारी ऐसी नोटिस के साथ
इस नियमावली के अनुसार किया गया नया नाम-निर्देशन भेजेगा।
(6)
किसी ऐसे नाम-निर्दिष्ट व्यक्ति की जिसके सम्बन्ध में उपनियम (3) के खण्ड (क) के
अधीन नाम-निर्देशन में किसी दूसरे व्यक्ति को उसका अधिकार अन्तरित हो जाने के
सम्बन्ध में कोई व्यवस्था न की गई हो, मृत्यु हो जाने पर तुरन्त ही या किसी ऐसी
घटना के हो जाने पर जिसके कारण नाम-निर्देशन उपनियम (3) के खण्ड (ख) या उपनियम 4 के
अनुसरण में अविधिमान्य हो जाय, अधिकारी समुचित प्राधिकारी को औपचारिक रूप से
नाम-निर्देशन रद्द करने की लिखित नोटिस के साथ इस नियमावली के अनुसार किया गया नया
नाम-निर्देशन भी भेजेगा।
(7)
किसी अधिकारी द्वारा दिया गया प्रत्येक नाम-निर्देशन और रद्द करने की प्रत्येक
नोटिस निदेशक, स्थानीय निकाय को भेजी जायगी जो उसमें प्राप्ति का दिनांक इंगित करते
हुए उस समय प्रतिहस्ताक्षरित करेगा और उसे अपनी अभिरक्षण में रखेगा।
(8)
किसी अधिकारी द्वारा किया गया प्रत्येक नाम-निर्देशन और रद्द किए जाने के लिए दी गई
प्रत्येक नोटिस, जहां तक कि वह विधिमान्य हो, उपनियम(7) में उल्लिखित प्राधिकारी को
प्राप्त होने के दिनांक से प्रभावी हो
(9)
यदि किसी अधिकारी की, जिसका कोई परिवार हो, ऐसा नाम-निर्देशन किए बिना जिसमें उसके
परिवार के एक या अधिक सदस्यों को मृत्यु एवं सेवा-निवृत्ति उपदान की धराशि प्राप्त
करने का अधिकार प्रदान किया गया हो, मृत्यु हो जाय तो वह उसके परिवार के उन जीवित
सदस्यों को बराबर-बराबर अंशों में दिया जायगा जो विधवा पुत्रियों को छोड़कर नियम-2
के उपनियम (5) में उल्लिखित श्रेणी एक से तीन के अन्तर्गत आते हों। जहाँ कोई ऐसे
जीवित सदस्य न हों, किन्तु विधवा पुत्री और या ऐसे अधिकारी के नियम 2 के उपनियम (5)
में उल्लिखित श्रेणी चार से आठ के परिवार का एक या अधिक सदस्य जीवित हो/हों, वहां
उपदान ऐसे व्यक्ति को या ऐसे समस्त व्यक्तियों को बराबर-बराबर अंशों में दिया
जायगा।
भाग-तीन
पारिवारिक पेंशन
7- पारिवारिक पेंशन-
किसी केन्द्रीयित
सेवा में नियुक्त किसी व्यक्ति के परिवार की पारिवारिक पेंशन उत्तर प्रदेश राज्य के
कार्यकलापों के सम्बन्ध में सेवारत सरकारी सेवकों पर लागू संयुक्त नियमों द्वारा
विनियमित होगी।
(भाग-चार)
राशिकरण
(8)- पेंशन के राशिकरण
की सुविधा उत्तर प्रदेश सिविल पेंशन कम्युटेशन. रूल्स के अनुसार राशिकरण के भाग एक
के अधीन अनुमन्य पेंशन की एक तिहाई तक होगीः
परन्तु राशिकरण के
पश्चात वस्तुतः देय पेंशन किसी भी दशा में सिविल सर्विस रेगुलेशन्स के अनुच्छेद 474
और 474-ए के अधीन अनुमन्य पेंशन का कम से कम आधा या 20 रूपये, जो भी अधिक हो, होगी।
(भाग-पांच)
प्रकीर्ण
9- उपदान या पेंशन
से बसूली-
निदेशक, स्थानीय
निकाय, उत्तर प्रदेश को सम्बद्ध अधिकारी द्वारा पालिका को विधितः देय धनराशि की उसे
स्वीकृत उपदान या पेंशन से वसूल करने का अधिकार होगा।
10- कतिपय मामलों
में उपदान/पारिवारिक पेंशन स्वीकृत नहीं की जायेगी-
यदि अधिकारी को
आपराधिक अवचार के कारण दण्ड दिया गया हो या अवचार दिवालिया होने या गबन करने के
कारण सेवा से पदच्युत किया गया हो या हटाया गया हो तो उसे समान्यतः कोई उपदान या
पारिवारिक पेंशन नहीं दी जायेगी, किन्तु निदेशक, स्थानीय निकाय अनुकम्पा के आधार
नियम ४ के अधीन अनुमन्य धनराशि के आधे तक उपदान स्वीकृत कर सकता है।
11- पेंशन
सम्बन्धी अंशदान-
ऐसे प्रत्येक अधिकारी
के सम्बन्ध में जो नियमावली के अधीन पेंशन का हकदार हो, नगर निगम में मुख्य
नगराधिकारी और नगर पालिका में अध्यक्ष, प्रतिमास उस निधि से जिससे अधिकारी का वेतन
देय हो, अधिकारी के वेतन के बारह प्रतिशत धनराशि के बराबर पेंशन सम्बन्धी अंशदान का
आहरण करेगा और उसे निदेशक, स्थानीय निकाय द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार जमा
करेगा। इस अंशदान की धनराशि प्रत्येक मास के छठे दिन के पूर्व जमा की जायगी।
12- पेंशन
सम्बन्धी अंशदान का लेखा-
उपर्युक्त नियम 11
में उल्लिखित अंशदान और उससे किए गए विनियोजन का लेखा निदेशक, स्थानीय निकाय के
निर्देशों के अनुसार रखा और तैयार किया जाएगा।
13- सेवा-निवृत्त
होने वाले अधिकारियों के सम्बन्ध में अग्रिम कार्यवाही-
(1) पालिकाओं के
विभागाध्यक्ष या जहां कोई विभागाध्यक्ष न हो, वहां ऐसे कार्यालय अधीक्षक/प्रधान
लिपिक जिन्हें अधिष्ठान का कार्य सौंपा गया हो, 1 जनवरी और 1 जुलाई को केन्द्रीयित
सेवा के ऐसे समस्त अधिकारियों की जो आगामी दो
वर्ष में सेवा-निवृत्त होने वाले हों,
छ्माही सूची तैयार करेंगे और इस सूची को प्रति
वर्ष 31 जनवरी और 31 जुलाई को नगर
निगम के मुख्य नगराधिकारी को और नगरपालिका के कार्यपालक अधिकारी को भेजेंगे।
यथास्थिति, विभागाध्यक्ष या कार्यालय अधीक्षक/प्रधान लिपिक, अधिकारी के
सेवा-निवृत्त होने के दिनांक के डेढ़
वर्ष पूर्व यह भी सुनिश्चित करेंगे कि सम्बद्ध
अधिकारी से उसके सेवा-निवृत्त होने के दिनांक तक कोई देय वसूल किए बिना न रह जाय।
नगर निगमों के मुख्य नगराधिकारी और नगरपालिकाओं के कार्यपालक अधिकारी प्रति
वर्ष 15 फरवरी और 15 अगस्त तक इस सूची की एक प्रति निदेशक, स्थानीय निकाय को
निश्चित रूप से
भेजेंगे।
(2) केन्द्रीयित सेवा के प्रत्येक अधिकारी की सेवा-निवृत्ति के दिनांक
के एक वर्ष पूर्व, यथास्थिति, विभागाध्यक्ष या कार्यालय अधीक्षक/प्रधान लिपिक
प्रपत्र "छ" में उसके आवेदन-पत्र को और उसकी पेंशन और उपदान से सम्बन्धित अन्य
अभिलेखों को पूरा करेंगे और उन्हें नगर निगमों में लेखा अधिकारी को और नगरपालिकाओं
में लेखाकार को भेजेंगे। यथास्थिति लेखाकार पेंशन और उपदान की धनराशि की जांच करने
के पश्चात उसे
मुख्य नगराधिकारी या कार्यपालक अधिकारी के माध्यम से नगर निगम के उप
नगर प्रमुख/नगर पालिका के अध्यक्ष को प्रस्तुत करेगा, जो पेंशन और उपदान के पत्रादि
की संवीक्षा करेगा। इन पत्रादि की संवीक्षा उसी रीति से की जायगी जिस रीति से
यू०पी० महापालिका लेखा नियमावली/म्युनिसिपल एकाउन्ट कोड के अधीन पालिका निधि के
दावों की परीक्षा की जाती है।
उप नगर प्रमुख/अध्यक्ष इन पत्रादि को अधिकारी की
सेवा-निवृत्ति के दिनांक के छः मास पूर्व निदेशक, स्थानीय निकाय को अवश्य भेजेगा।
(3)निदेशक स्थानीय निकाय पेंशन और/या उपदान स्वीकृत करने के लिए सक्षम
प्राधिकारी होगा। यदि अधिकारी का सेवा अभिलेख सन्तोषप्रद न हो तो निदेशक, स्थानीय
निकाय को पेंशन और/या उपदान में कटौती करने का अधिकार होगा। यथास्थिति नगर निगम का
उप नगर प्रमुख या नगरपालिका का अध्यक्ष, निदेशक, स्थानीय निकाय को पेंशन पत्रादि
भेजने के पूर्व यह सुनिश्चित करेगा और अपना यह समाधान करेगा कि सेवा-निवृत्त होने
वाले अधिकारी की सेवा सन्तोषप्रद रही है और इस नियमावली के अधीन देय पूर्ण पेंशन
और/या उपदान की सिफारिश करेगा और यदि सेवा सन्तोषप्रद न रही हो तो वह
यह सिफारिश
करेगा कि पेंशन और/या उपदान में कोई कटौती की जाय या नहीं। जहां पेंशन और/या उपदान
में कटौती करने
की कोई ऐसी सिफारिश प्राप्त हुई हो, वहां निदेशक, स्थानीय निकाय
सिफारिश के सार के सम्बन्ध में अपना समाधान करने के उद्देश्य से सम्बद्ध अधिकारी को
स्पष्टीकरण देने का अवसर देगा।
(4)
(5) सम्बद्ध अधिकारी द्वारा प्रपत्र "घ" में पेंशन की स्वीकृति के लिए
आवेदन-पत्र उचित माध्यम से प्रस्तुत किया जायगा और अधिकारी की मृत्यु होने की दशा
में, उपदान/पारिवारिक पेंशन की स्वीकृति के लिए आवेदन-पत्र दावेदार द्वारा विहित
प्रपत्र में प्रस्तुत किया जायगा।
14-राज्य सरकार के सेवकों के लिए बने प्रपत्रों का उपयोग-
यदि इस नियमावली के अधीन विहित प्रपत्र पेंशन के मामलों के निस्तारण
के लिए अपर्याप्त हों तो राज्य सरकार के सेवकों की पेंशन स्वीकृत करने के लिए विहित
प्रपत्रों का उपयोग किया जा सकता है।
15- विवाद या कठिनाई की दशा में राज्य सरकार का विनिश्चय-
(1) यदि इस नियमावली के किन्हीं उपबन्धों का निर्वचन करने के सम्बन्ध
में कोई विवाद या कठिनाई उत्पन्न हो तो उसे राज्य सरकार को निर्दिष्ट किया जायगा,
जिसका उसके सम्बन्ध में विनिश्चय अन्तिम और निश्चायक होगा।
(2) ऐसे विषय जो इस नियमावली के अन्तर्गत न आते हों, ऐसे आदेशों द्वारा
नियन्त्रित होंगे जिन्हें राज्य सरकार जारी करना उचित समझे।
(भाग-छः)
पेंशन निधि की स्थापना और भुगतान की प्रक्रिया
16- पेंशन निधि-
निदेशक, स्थानीय निकाय के नियंत्रण में एक सामान्य पेंशन निधि
स्थापित की जायेगी जो उत्तर प्रदेश पालिका केन्द्रीयित सेवा अधिकारी पेंशन निधि के
नाम से जानी जायगी जिसे आगे निधि कहा गया है। नियम 11 के अधीन पालिकाओं द्वारा देय
पेंशन सम्बन्धी अंशदान की धनराशि इस निधि में जमा की जायगी।
17- रोकड़ बही रखना-
निधि में जमा किया जाने वाला समस्त धन और उससे किए जाने वाले समस्त
भुगतान की प्रविष्टि रोकड़ बही में की जायगी। निदेशक, स्थानीय निकाय द्वारा रोकड़ बही
इस नियमावली से संलग्न-प्रपत्र
"अ" में रखी जायगी।
18- पेंशन निधि का बैंक में रखा जाना-
निधि का बैंक लेखा, स्टेट बैंक आफ इंडिया में रखा जायगा।
19- पेंशन अंशदान के सम्बन्ध में प्रक्रिया-
नगर निगम के
मुख्य नगराधिकारी और नगर पालिका के अध्यक्ष द्वारा पेंशन
सम्बन्धी अंशदान की धनराशि प्रति मास के छ्ठे दिनांक के पूर्व
स्टेट बैंक आफ इंडिया में
जमा की जायगी। इस नियमावली से संलग्न प्रपत्र (ट) में चालान तैयार किया जायगा।
चालान के साथ एक सूची होगी जिसमें अधिकारी का नाम, पद नाम, वेतन और अंशदान की
धनराशि का पूर्ण विवरण दिया जायगा। यह चालान चार प्रतियों में तैयार किय जायेंगे।
चालान की प्रथम और द्वितीय प्रतियां बैंक द्वारा
जमाकर्ता को वापस दी जायगी और चालान
की तृतीय ओर चतुर्थ प्रतियां सूची के साथ क्रमशः जमाकतर और बैंक द्वारा प्रति मास
के दसवें दिनांक तक निदेशक, स्थानीय निकाय को भेजी जायेंगी। स्थानीय निकाय निदेशालय
का लेखा अधिकारी चालान की इन प्रतियों का मिलान करेगा और रोकड़ बही में अंशदान की
धनराशि की प्रविष्टि करेगा। चालान की प्रतियां लेखा-परीक्षा के प्रयोजनार्थ गार्ड
फाइल में सुरक्षित रखी जायेंगी।
20- लेखा-बही का रखा जाना-
सम्बद्ध अधिकारी का खाता लेखा भी इस नियमावली से संलग्न प्रपत्र
(ठ) में रखा जायगा। खाता-बही में प्रतिमास अधिकारी को भुगतान किए गए वेतन की धनराशि
और जमा किए गए अंशदान की धनराशि प्रविष्ट की जायगी। खाता-बही में प्रविष्टियां
चालान की प्रतियों से की जायेंगी और प्रत्येक मास के अन्त में खाताबही में प्रविष्ट
किए गए अंशदान की धनराशि का मिलान रोकड़ बही में प्रविष्ट की गई तत्समान धनराशि से
किया जायगा। खाता-बही का
पुनर्विलोकन यह अभिनिश्चित करने के लिए किया जायगा कि
समस्त अधिकारियों से सम्बन्धित पेंशन सम्बन्धी अंशदान जमा कर दिया गया है या नहीं।
यदि किसी मामले में उसे जमा नहीं किया गया है तो उसे तुरन्त जमा कराया जायगा।
21- पेंशन भुगतान आदेश-
इस नियमावली के नियम 13 के अधीन पेंशन/पारिवारिक पेंशन/उपदान की
धनराशि स्वीकृत कर दिए जाने के पश्चात प्रत्येक मामले में स्वीकृत की गई
पेंशन/पारिवारिक पेंशन/उपदान के भुगतान के लिए निदेशक, स्थानीय निकाय द्वारा इस
नियमावली से संलग्न प्रपत्र (ड) में पेंशन भुगतान आदेश जारी किया जायगा। इस आदेश की
प्रतियां पेंशन भोगी, और उस पालिका को जहां से सम्बद्ध अधिकारी सेवा-निवृत्त हुआ है
और स्टेट बैंक आफ इंडिया को पृष्ठांकित की जायेंगीः
परन्तु निदेशक, स्थानीय निकाय यदि उनका यह समाधान हो जाय कि किसी
विशिष्ट मामले में पेंशन/पारिवारिक पेंशन/उपदान स्वीकृत किए जाने में पर्याप्त
विलम्ब की सम्भावना है, सम्बन्ध अधिकारी द्वारा प्रपत्र "ढ" में की गई घोषणा के
आधार पर अन्तरिम पेंशन/पारिवारिक पेंशन/उपदान स्वीकृत कर सकता है, किन्तु यह धनराशि
निर्धारित पेंशन और उपदान की धनराशि के 75 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी। इसी प्रकार
अन्तरिम पारिवारिक पेंशन और उपदान स्वीकृत करने के पूर्व मृत अधिकारी के विधिक
उत्तराधिकारी से प्रपत्र "ण" में घोषणा कराई जायगी।
22- पेंशन के प्रथम भुगतान का अभिलेख-
पेंशन के प्रथम भुगतान के समय स्टेट बैंक आफ इंडिया का अभिकर्ता
(एजेन्ट) पेंशन भुगतान आदेश पर मुद्रित व्यौरे के अनुसार उस पेंशन भोगी का विवरण और
पता आदि लिखेगा और पेंशन भुगतान आदेश पर, दिये गये निर्देश के अनुसार पेंशन का
मासिक भुगतान अभिलिखित किया जायेगा।
23- पेंशन के मासिक भुगतान की प्रक्रिया-
पेंशन-भोगी प्रति मास प्रपत्र "त" में दो प्रतियों में अपना बिल
स्टेट बैंक आफ इण्डिया को प्रस्तुत करेगा। बिल की संवीक्षा करने के पश्चात स्टेट
बैंक आफ इंडिया द्वारा पेंशनभोगी को भुगतान किया जायेगा और बिल पर ही भुगतान की
रसीद ली जायेगी। भुगतान करने के पश्चात स्टेट बैंक आफ इंडिया बिल की एक प्रति
निदेशक, स्थानीय निकाय को भेजेगा।
24-निदेशालय में भुगतान का अभिलेख-
स्थानीय निकाय निदेशालय में भुगतान किये गये बिल की प्रतियां
प्राप्त होने पर लेखा अधिकारी रोकड़ बही में इन भुगतानों की प्रविष्टि करेगा और इन
बिलों को लेखा-परीक्षा के प्रयोजनार्थ गार्ड फाइल में सुरक्षित रखा जायेगा।
25-लेखा-परीक्षा जांच रजिस्टर-
पेंशनभोगियों को पेंशन का समय पर और ठीक-ठीक भुगतान सुनिश्चित करने
के उद्देश्य से स्थानीय निकाय निदेशालय में प्रपत्र "थ" में एक लेखा-परीक्षा जांच
रजिस्टर रखा जायेगा। इस रजिस्टर में प्रत्येक पेंशनभोगी का एक पृथक खाता खोला
जायेगा। भुगतान किये गये बिल प्राप्त होने, पर, सम्बद्ध पेंशनभोगी के बही-खातों में
भुगतान की प्रविष्टि की जायेगी।
26-उपदान भुगतान आदेश-
उपदान स्वीकृत किये जाने के पश्चात स्टेट बैंक आफ इण्डिया को
प्रपत्र "द" में उपदान भुगतान आदेश (उ०भू०आ०) जारी किया जायेगा। उसकी एक प्रति
सम्बद्ध व्यक्ति को भी पृष्ठांकित की जायेगी। स्टेट बैंक आफ इण्डिया आवश्यक
संवीक्षा करने के पश्चात सम्बद्ध व्यक्ति को उसका भुगतान करेगा और भुगतान करने के
पश्चात उसे स्थानीय निकाय निदेशालय को वापस भेज दिया जायेगा।
27-उपदान और पेंशन के भुगतान का विवरण-
पत्र-स्टेंट बैंक आफ इण्डिया प्रति माह पांचवें दिनांक तक स्थानीय
निकाय निदेशालय को प्रपत्र "घ" में एक विवरण-पत्र भेजेगा जिसमें पिछ्ले मास में
भुगतान की गई पेंशन और उपदान की धनराशि दिखायी जायेगी। स्थानीय निकाय निदेशालय में
इस विवरण-पत्र का मिलान रोकड़-बही और जांच रजिस्टर में की गयी प्रविष्टियों से किया
जायेगा।
28-प्राप्ति और भुगतान का मासिक विवरण-पत्र-
उपर्युक्त नियम 27 में निर्दिष्ट विवरण-पत्र के अतिरि स्टेट बैंक आफ
इण्डिया प्रतिमास के छठे दिनांक तक स्थानीय निकाय निदेशक को मासिक विवरण-पत्र भी
भेजेगा जिसमें पिछ्ले मास में की गयी जमा और भुगतान की धनराशि दिखायी जायेगी।
स्थानीय निकाय निदेशालय में उसका मिलान रोकड़-बही से किया जायेगा।
29-रोकड़-बही-
रोकड़-बही में लेखे प्रतिदिन बन्द और संतुलित किये जायेंगे और उस पर
स्थानीय निकाय निदेशालय के लेखा अधिकारी द्वारा हस्ताक्षर किये जायेंगे। प्रत्येक
मास के अन्त में रोकड़-बही में प्रविष्ट की गयी आय और भुगतान का मिलान स्टेट बैंक आफ
इण्डिया द्वारा प्रस्तुत मासिक विवरण-पत्र में दिखाये गये तत्समान जमा और भुगतान से
किया जायेगा। यदि दोनों के बीच कोई अन्तर हो तो मास के अन्त में स्पष्टीकरण
प्रविष्ट किया जायेगा। मास के अन्त में रोकड़-बही को बन्द करने के पश्चात उसे
निदेशक, स्थानीय निकाय के समक्ष उसके पुनर्विलोकन के लिये रखा जायेगा।
30-पेंशन-निधि का विनियोजन-
पेंशन निधि की धनराशि सरकार प्रतिभूति में या किसी अनुसूचित
बैंक/डाक घर की दीर्घावधि जमा सावधिक जमा और अन्य बचत लेखे में, जिसे निदेशक,
स्थानीय निकाय उचित समझे विनियोजित की जायेगी, किन्तु चालू खातें में अतिविशेष सदैव
उतना रखा जायेगा जितना कि अधिकारियों को दिये जाने वाले उपदान और मासिक पेंशन की
आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये पर्याप्त हो। विनियोजन की प्रविष्टि एक विनियोजन
रजिस्टर में की जायेगी जो प्रपत्र "म" में रखा जायेगा।
31-लेखा-परीक्षा-
पेंशन निधि की प्रति ऐसे परीक्षक, स्थानीय निधि लेखा, उत्तर प्रदेश
द्वारा लेखा परीक्षा की जायेगी और उससे प्राप्त परीक्षा प्रतिवेदन और आपत्तियों का
स्थानीय निकाय निदेशालय के लेखा अधिकारी द्वारा निराकरण किया जायेगा।
32-अतिरिक्त प्रपत्र-
निदेशक, स्थानीय निकाय पेंशन निधि के लेखे को क्रमबद्ध रीति से रखने
के लिये इस नियमावली से संलय प्रपत्रों के अतिरि कोई अन्य प्रपत्र विहित कर सकता
है।
प्रपत्र-"क"
नियम 6 (5) देखिये
मृत्यु एवं सेवा-निवृत्ति उपदान के लिए नाम-निर्देशन
(जब अधिकारी का परिवार हो और वह उसके एक सदस्य को नाम-निर्देशित
करना चाहे)
मैं नीचे उल्लिखित व्यक्ति को, जो मेरे परिवार का एक सदस्य है,
एतदद्वारा नाम-निर्देशित करता हूँ, और उसे कोई उपदान, जो सेवा में रहते हुए मेरी
मृत्यु हो जाने की दशा में निदेशक द्वारा मुझे स्वीकृत किये जायें, प्राप्त करने का
अधिकार और मेरी मृत्यु हो जाने पर कोई ऐसा उपदान प्राप्त करने का अधिकार प्रदान
करता हूँ, जो सेवा-निवृत्त होने पर मुझे अनुमन्य हो जाने पर, मेरी मृत्यु के समय
अदत्त रह जाय।
नाम-निर्देशित व्यक्ति का नाम और पता |
अधिकारी के
साथ सम्बन्ध |
आयु |
आकस्मिकतायें जिनके कारण नाम-निर्देशन अविधिमान्य हो जायेगा |
उस व्यक्ति का उन
व्यक्तियों का, यदि कोई हो, नाम, पता और सम्बन्ध जिसे/जिन्हें
नाम-निर्देशित व्यक्ति की अधिकारी के पूर्व मृत्यु हो जाने या
नाम-निर्देशित व्यक्ति की मृत्यु, अधिकारी की मृत्यू होने के पश्चात्
किन्तु उपदान का भुगतान प्राप्त करने के पूर्व हो जाने की दशा में
नाम-निर्देशित व्यक्ति को प्रदत्त व्यक्ति को प्रदत्त अधिकारी, अन्तरित
हो जायेगा। |
प्रत्येक
को देय उपदान की धनराशि का अंश |
यह नाम-निर्देशन मेरे द्वारा पहले ...................को किये गये नाम-निर्देशन का,
जो रद्द हो जायेगा, अतिक्रमण करता है।
दिनांक ........................
19 स्थान....................................
साक्षी के हस्ताक्षर
अधिकारी के हस्ताक्षर
1.......................................
2....................................... (नियुक्ति प्राधिकारी
द्वारा भरा जायेगा
............................................................द्वारा नाम-निर्देशन
पदनाम.....................................................
नियुक्ति प्राधिकारी के हस्ताक्षर
कार्यालय .......................................
दिनांक .....................................
पदनाम..............................
स्तम्भ-6- यह स्तम्भ इस प्रकार भरा जाना चाहिये कि इसके
अन्तर्गत उपदान की सम्पूर्ण धनराशि आ जाय।
प्रपत्र "ख"
नियम 6 (5) देखिये
मृत्यु एवं सेवा-निवृत्ति उपदान के लिए नाम-निर्देशन
(जब अधिकारी का परिवार हो और वह उसके एक से अधिक सदस्य को
नाम-निर्देशित करना चाहे)
नीचे उल्लिखित व्यक्तियों को, जो मरे परिवार के सदस्य हैं एतदद्वारा
नाम-निर्देशित करता हूँ और उन्हें कोई उपदान जो सेवा में रहते हुए मेरी मृत्यु हो
जाने की दशा में निदेशक द्वारा स्वीकृत किया जाय,
नाम-निर्देशित व्यक्ति का नाम और पता |
अधिकारी से
सम्बन्ध |
आयु |
प्रत्येक
को देय उपदान की धनराशि या अंश |
आकस्मिकतायें जिनके कारण नाम-निर्देशन अविधिमान्य हो जायेगा |
उस व्यक्ति का, कोई हो,
नाम, पता और सम्बन्ध जिसे नाम-निर्देशित व्यक्ति की अधिकारी के पूर्व
मृत्यु हो जाने या नाम-निर्देशित व्यक्ति की अधिकारी की मृत्यु, होने के
पश्चात् किन्तु उपदान का भुगतान प्राप्त करने के पूर्व हो जाने की दशा
में नाम-निर्देशित व्यक्ति को प्रदत्त अधिकार, अन्तरित हो जायेगा। |
प्रत्येक
को देय उपदान की धनराशि या अंश |
यह नाम-निर्देशन मेरे द्वारा पहले ....................... को किये गये
नाम-निर्देशन का, जो रद्द हो जायेगा, अतिक्रमण करता है।
अवधेय-अधिकारी को अन्तिम प्रविष्टि के नीचे रि स्थान के आर-पार लाइन
खींच देना चाहिये जिससे कि उसके हस्ताक्षर हो जाने के पश्चात किसी का नाम सम्मिलित
न किया जा सके।
दिनांक ..................... 19
स्थान ....................................
साक्षी के हस्ताक्षर
1......................................
2.......................................
अधिकारी के हस्ताक्षर
यह स्तम्भ इस प्रकार भरा जाना चाहिये कि इसके अन्तर्गत उपदान की
सम्पूर्ण धनराशि आ जाय।
इस स्तम्भ में प्रदर्शित उपदान की धनराशि/अंश के अंतर्गत
मूल-नाम-निर्देशित व्यक्ति को देय सम्पूर्ण धनराशि/अंश आ जाना चाहिये।
(नियुक्ति अधिकारी द्वारा भरा जायेगा।)
............................................... द्वारा-नाम-निर्देशन
पदनाम...................................
नियुक्ति प्राधिकारी के हस्ताक्षर
कार्यालय ......................................
दिनांक ............................
पदनाम .........................................
प्रपत्र "ग"
नियम 6 (5) देखिये
मृत्यु एवं सेवा-निवृत्ति उपदान के लिये नाम-निर्देशन
(जब अधिकारी का परिवार न हो और किसी एक व्यक्ति को नाम-निर्देशित
करना चाहे)
मैं, जिस का परिवार नहीं है, नीचे उल्लिखित व्यक्ति को एतद्द्वारा
नाम-निर्देशित करता हूँ और उसे कोई उपदान जो सेवा में रहते हुए मेरी मृत्यु हो जाने
की दशा में निदेशक द्वारा स्वीकृत किया जाय, प्राप्त करने का अधिकार और मेरी मृत्यु
होने पर कोई ऐसा उपदान प्राप्त करने का अधिकार प्रदान करता हूँ, जो सेवा-निवृत्ति
होने पर मुझे अनुमन्य हो जाने पर मेरी मृत्यु के समय अदत्त रह जाय।
नाम-निर्देशित व्यक्तियों का नाम और पता |
अधिकारी के
साथ सम्बन्ध |
आयु |
आकस्मिकतायें जिनके कारण नाम-निर्देशन अविधिमान्य हो जायेगा |
उस व्यक्ति का उन
व्यक्तियों का, यदि कोई हो, नाम, पता और सम्बन्ध जिसे/जिन्हें
नाम-निर्देशित व्यक्ति को अधिकारी के मृत्यु हो जाने या नाम-निर्देशित
व्यक्ति की अधिकारी की मृत्यु, होने के पश्चात् किन्तु उपदान को भुगतान
प्राप्त करने के पूर्व हो जाने की दशा में नाम-निर्देशित व्यक्ति को
प्रदत्त अधिकार, अन्तरित हो जायेगा। |
प्रत्येक
को देय उपदान की धनराशि का अंश |
यह नाम-निर्देशन मेरे द्वारा पहले ............................ को किये गये
नाम-निर्देशन का, जो रद्द हो जायेगा, अतिक्रमण करता है।
दिनांक ....................................19
स्थान ..............................
साक्षी के हस्ताक्षर
1...................................................................
अधिकारी के हस्ताक्षर
2.....................................................................
4-स्थानीय निकाय का पता, ग्राम, नगर, जिला और राज्य
प्रदर्शित करते हुये .....................................
(फोटो पत्नी)
5- (क)वर्तमान या अन्तिम नियुक्ति
................................................................................
(ख)वर्तमान या अन्तिम मौलिक नियुक्ति
...................................................................
6- (क)सेवा प्रारम्भ करने का दिनांक
..............................................................................
(ख)सेवा समाप्ति करने का दिनांक
.......................................................
7- नगर निगम/नगरपालिका जिसके अधीन नियोजन के क्रम में सेवा की
गयी है .....................
9- आवेदित पेंशन या उपदान का वर्ग और आवेदन का कारण
..................................................
10- औसत परिलब्धियाँ
........................................................................................
11- प्रस्तावित पेंशन या
उपदान............................................................................
12- प्रस्तावित मृत्यु एवं
सेवा-...............................................................................
13- दिनांक जब से पेंशन प्रारम्भ होना है
..........................................................
14-भुगतान का स्थान
.....................................................................
15-नाम-निर्देशन निम्नलिखित में से किसके लिये किया गया हैः-
-
पारिवारिक पेंशन, और
........................................................................................................
-
मृत्यु एवं सेवा-निवृत्ति उपदान
...........................................................................................
16- ईसवीं सन के अनुसार आवेदक के जन्म का
दिनांक.......................................................................
17- ऊंचाई
....................................................................
18- (क) अभिज्ञान चिन्ह
(ख) बायें हाथ के अंगूठे और
अंगुलियों के निशान
.............................................................................
अंगुष्ठ |
तर्जनी |
मध्यमा |
अनामिका |
कनिष्ठिका |
19-
दिनांक जब आवदेक के पेंशन/उपदान के लिये आवेदन किया
.............................................................
20-
यदि आवेदक भविष्य निधि का सदस्य हो तो उसकी लेखा संख्या उदधृत कीजिये
.............................
21-
...........................................................................................................................................
आवदेक के हस्ताक्षर |
मुख्य नगर अधिकारी/अध्यक्ष के हस्ताक्षर |
यह
निश्चित रूप से ज्ञात हो तो इसे सर्वोत्तम सूचना या अनुमान के आधार पर उल्लिखित
करना चाहिये।
ऐसे
अधिकारियों से जो अंग्रेजी, हिन्दी या अन्य क्षेत्रीय भाषा में हस्ताक्षर कर सकते
हों, अपने अंगूठे और उंगलियों के निशान लगाना अपेक्षित न होगा।
सेवावृत्त ......................................................के व्यवधान
प्रदाश्रित करते हुये .................................. जन्म का
दिनांक
............................................................................
अधिष्ठान |
नियुक्त |
वेतन |
कार्यकारी
भत्ता |
प्रारम्भ का दिनांक |
समाप्ति का दिनांक |
अवधि जिसकी गणना सेवा के रूप में की गई |
अवधि जिसकी गणना सेवा के रूप में नहीं की
गयी |
अभ्युक्ति |
किस प्रकार सत्यापित की गयी |
स्थानीय निधि लेखा परीक्षक, उत्तर प्रदेश
द्वारा अभ्युक्ति |
(क) कार्यालयाध्यक्ष/विभागाध्यक्ष द्वारा अभ्युक्ति-
-
आवेदक के चरित्र और विगत आचरण के संबंध में
-
किसी निलम्बन या पदावनति का स्पष्टीकरण
-
आवेदक द्वारा पहले प्राप्त किसी उपदान या पेंशन के संबंध में
-
कोई अन्य अभ्युक्ति-
-
कार्यालयाध्यक्ष/विभागाध्यक्ष की यह विनिर्दिष्ट राय कि क्या दावा
की गई सेवा प्रमाणित है और उसे स्वीकार किया जाना चाहिये या नहीं।
(ख) पेंशन स्वीकृत करने वाले प्राधिकारी के आदेश अधोहस्ताक्षरी अपना
यह समाधान होने पर कि श्री ......................................... द्वारा की गई
सेवा पूर्णतया सन्तोषप्रद रही है, एतदद्वारा नियमों के अधीन यथा अनुमन्य पूर्ण
पेंशन/उपदान की, जो निदेशक, स्थानीय निकाय द्वारा स्वीकार किया जाय, स्वीकृति के
आदेश प्रदान करते हैं। पेंशन की स्वीकृति दिनांक ...................... से
प्रारम्भ होगा।
या
अधोहस्ताक्षरी अपना यह समाधान होने पर कि श्री
..........................................द्वारा की गई सेवा पूर्णतया सन्तोषप्रद
नहीं रही है एतदद्वारा आदेश देते है कि विनियमों के अधीन यथा अनुमन्य पूर्ण
पेंशन/उपदान की, जो निदेशक, स्थानीय निकाय द्वारा स्वीकार किया जाय
.................................................. यहां विनिर्दिष्ट धनराशि या
प्रतिशत का उल्लेख करें कम कर दिया जायेगा। इस पेंशन की स्वीकृति
दिनांक....................... से प्रारम्भ होगीं।
सेवा अवधि.......................................................
पेंशन, उपदान और मृत्यु एवं सेवा-निवृत्ति उपदान, यदि कोई हो
............................................................. में देय है,
और पेंशन निधि पर प्रभार्य है।
यह आदेश इस शर्त के अधीन है कि यदि निदेशक, स्थानीय निकाय द्वारा
यथा प्राधित पेंशन की धनराशि बाद में उस धनराशि से जिसका नियमों के अधीन पेंशन-भोगी
हकदार है, अधिक पाई जाय तो, उससे ऐसी अतिरिक्त धनराशि को वापस करने को कहा जायेगा,
इस शर्त को स्वीकार करते हुए सेवा-निवृत्त होने वाले अधिकारी से एक घोषणा-पत्र
प्राप्त कर लिया गया है और वह संलग्न है/घोषणा-पत्र प्राप्त कर लिया जायेगा और उसे
पृथक रूप से प्रस्तुत किया जायेगा।
निदेशक,
स्थानीय निकाय, उ० प्र०,
लखनऊ के हस्ताक्षर
ग-लेखा परीक्षा मूल्यांकन
-
अर्हकारी सेवा की कुल अवधि जो अधिवार्षिकी/सेवा-निवृत्ति पेंशन
स्वीकृत करने के लिये स्वीकार की गई हो और ऐसे कारण जिनसे सेवा की किसी अवधि की,
यदि कोई हो, गणना न की गयी हो, जो सेवा की ऐसी अवधि से, यदि कोई हो, भिन्न हो,
जिसकी गणना न किये जाने के कारणों को निदेशक, स्थानीय निकाय द्वारा द्वितीय पृष्ठ
पर अभिलिखित किया गया हो।
टिप्पणी-दिनांक................. से प्रारम्भ होकर और सेवा-निवृत्ति के दिनांक तक
की सेवा का सत्यापन अभी तक नहीं हुआ है। यह कार्य पेंशन स्वीकृत करने वाले
प्राधिकारी द्वारा किया जाना चाहिये, जिसके पश्चात सेवा-निवृत्ति वेतन भुगतान आदेश
जारी किया जायेगा।
-
अधिवार्षिकी/सेवा-निवृत्ति पेंशन की धनराशि जो स्वीकार की गई
........................... रूपया।
-
निम्नलिखित रूप में घटाने के पाश्चात अधिवार्षिकी/सेवा-निवृत्ति
पेंशन की धनराशि .................................. स्वीकृत करने वाले प्राधिकारी
द्वारा पेंशन में घटायी गई धनराशि ..................................... रूपया।
मृत्यु एवं सेवा-निवृत्ति उपदान में निगम/पालिका के अंशदान के समतुल्य पेंशन की
धनराशि .................................................... रूपया।
कुल घटायी गई धनराशि .................................. रूपया।
शुद्ध पेंशन की धनराशि ....................................... रूपया।
-
अर्हकारी सेवा की कुल अवधि, जो विशेष अतिरि पेंशन की स्वीकृति के
लिये साबित हुई है।
-
विशेष अतिरि पेंशन की धनराशि, यदि कोई हो।
-
दिनांक जब से अधिवार्षिकी/सेवा-निवृत्ति पेंशन/मृत्यु एवं
सेवा-निवृत्ति उपदान अनुमन्य है।
-
लेखा शीर्षक जिस पर पेंशन/उपदान और मृत्यु एवं सेवा-निवृत्ति उपदान
प्रभार्य है।
निदेशक, स्थानीय निकाय,
उत्तर प्रदेश
(संक्षिप्त विवरण)
पेंशन या उपदान के लिये आवेदन-पत्र
-
आवेदन-पत्र का दिनांक ....................
-
आवदेक का
नाम..........................
-
अन्तिम पद
.....................................
-
पेंशन या उपदान का
वर्ग .....................................
-
स्वीकृति प्राधिकारी
.....................................
-
स्वीकृत उपदान की
धनराशि .....................................
-
प्रारम्भ का दिनांक
.....................................
-
स्वीकृति का दिनांक
.....................................
स्वीकृति प्राधिकारी के
हस्ताक्षर और पदनाम
प्रपत्र "ज"
नियम 13 (4) देखिये
(सेवा-निवृत्त होने
वाले अधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित किया जायेगा)
चूंकि निदेशक,
स्थानीय निकाय ने दिनांक............................... से मेरी पेंशन के रूप में
मुझे................................. रूपया प्रति मास की धनराशि स्वीकृत करने की
सम्मति दी है। अतएव, मैं एतदद्वारा अभिस्वीकार करता हूँ कि उक्त धनराशि धनराशियों
को स्वीकार करने में, मैं पूर्णतया समझता हूँ, अधिक पाये जाने पर पुनरीक्षण के अधीन
होंगी और मैं वचन देता हूँ कि मैं ऐसे पुनरीक्षण के लिये कोई आपत्ति नहीं करूंगा।
मैं ऐसी धनराशि को, जो मुझे उस धनराशि से, जिसका मैं अन्ततः हकदार पाया जाँ, अधिक
भुगतान की गई हो, वापस करने का वचन भी देता हूँ।
सेवा-निवृत्त होने वाले अधिकारी के हस्ताक्षर
-
साक्षी का हस्ताक्षर,
पता और व्यवसाय-
-
...........................................
-
...........................................
-
...........................................
-
साक्षी का हस्ताक्षर,
पता और व्यवसाय-
-
.........................................................
-
.........................................................
-
...........................................
इस घोषणा-पत्र के उस
नगर, ग्राम या परगना के, जिसमें आवेदक निवास करता है, दो प्रतिष्ठित व्यक्ति साक्षी
होने चाहिये।
प्रपत्र "झ"
नियम 13 (4) देखिये
मृत अधिकारी के विधिक
उत्तराधिकारी या परिवार के सदस्य द्वारा हस्ताक्षरित किया जायेगा
चूंकि निदेशक, स्थानीय निकाय ने श्री.............................पदनाम जो दिनांक
.....................को सेवा-निवृत्त हुए और जिनकी मृत्यु दिनांक
............................... को हुई, के उपदान/मृत्यु एवं सेवा-निवृत्ति उपदान
पारिवारिक पेंशन की धनराशि के रूप में मुझे ..................................
रूपये की धनराशि स्वीकृत करने की सम्मति दी है, अतएव, मैं एतदद्वारा अभिस्वीकार
करता हू कि उक्त धनराशि धनराशियों को स्वीकार करने में, मैं पूर्णतया समझता हूँ, कि
यह पेंशन/उपदान और मृत्यु एवं सेवा-निवृत्त उपदान/पारिवारिक पेंशन, उस धनराशि से
जिसका मैं नियमों के अधीन हकदार हूँ अधिक पाये जाने पर पुनरीक्षण के अधीन होंगी और
मैं वचन देता हूँ कि मैं ऐसे पुनरीक्षण के लिये कोई आपत्ति नहीं करूंगा। ऐसी धनराशि
को, जो मुझे उस धनराशि से, जिसका मैं अन्ततः हकदार पाया जाऊं, अधिक भुगतान की गई
हो, वापस करने का वचन देता हूँ।
मृत अधिकारी के विधिक,
उत्तराधिकारी या परिवार
के सदस्य के हस्ताक्षर
1-साक्षी का हस्ताक्षर, पता और व्यवसाय-
एक
.....................................
दो
.....................................
तीन
.....................................
2-साक्षी का हस्ताक्षर, पता और व्यवसाय-
एक
.....................................
दो
.....................................
तीन
.....................................
इस घोषणा-पत्र के उस
नगर, ग्राम या परगना के, जिसमें आवेदक निवास करता है, दो प्रतिष्ठित व्यक्ति साक्षी
होने चाहिये।
प्रपत्र 'ञ'
नियम १७ देखिये
रोकड़-बही, आय-पक्ष
दिनांक |
उस स्थानीय निकाय का नाम, जो
अंशदान करे |
उस अधिकारी का नाम और पदनाम,
जिसके लिये अंशदान जमा किया जाय |
चालान की संख्या और दिनांक |
धनराशि |
योग |
बैंक में जमा करने का दिनांक |
धनराशि |
व्यय-पक्ष |
व्यय वाउचर की संख्या |
भुगतान का पूर्ण विवरण |
धनराशि |
योग |
उस बैंक का नाम जिससे भुगतान किया
जाय |
प्रपत्र "ट"
नियम 19 देखिये
चालान की संख्या.................................................................
स्टेट बैंक आफ
इण्डिया...............................................
जिला..................................
इस चालान की धनराशि
स्टेट बैंक आफ इण्डिया.......................... में जमा कर दी गई।
लेखा अधिकारी/लेखाकार द्वारा भरा
जायेगा |
कार्यपालक अधिकारी/मुख्य
नगराधिकारी द्वारा भरा जायेगा |
जिसके द्वारा जमा किया गया |
स्थानीय निकाय का नाम |
जमा की गयी धनराशि का पूर्ण विवरण |
धनराशि रू० पै० |
लेखा शीर्षक जिसमें धनराशि जमा की
जायेगी |
बैंक के लिये अनुदेश |
कृपया धनराशि प्राप्त
करें और उसकी अभिस्वीकृति दें।
योग............................................... कार्यपालक अधिकारी/मुख्य
नगराधिकारी के हस्ताक्षर
धनराशि शब्दों में ...........................................
प्राप्त धनराशि
शब्दों में ....................................
रोकड़िया, स्टेट बैंक आफ इण्डिया
|
लेखाकार, स्टेट बैंक आफ इण्डिया |
अभिकर्ता, स्टेट बैंक आफ इण्डिया |
निदेशक, स्थानीय
निकाय के कार्यालय में भरा जायेगा
प्रमाणित किया जाता है कि इस चालान की धनराशि रोकड़-बही में दिनांक
..................... को जमा की गयी थी और अंशदान की धनराशि बही-खाता में
उपरिलिखित प्रत्येक व्यक्ति के समक्ष दर्ज की गयी है।
लेखाकार, लेखा अधिकारी,
स्थानीय निकाय निदेशालय स्थानीय निकाय निदेशालय।
यह विवरण-पत्र अंशदान जमा करने के चालान से संलग्न किया जायेगाः
1-स्थानीय निकाय का नाम
2-मास
क्रम संख्या |
अधिकारी का नाम |
अधिकारी का पदनाम |
पालिका में वर्तमान तैनाती का
दिनांक |
उस स्थानीय निकाय का नाम जिसमें
वह वर्तमान तैनाती के पूर्व नियुक्त था |
वह मांस जिसके लिये वेतन आहरित
किया गया |
जमा किये गये अंशदान की धनराशि
|
अन्य अभ्युक्ति |
प्रपत्र 'ठ'
नियम 20 देखिए
पेंशन निधि का बहीखाता
मास का नाम
क्रम संख्या |
अधिकारी का नाम |
अधिकारी का पदनाम |
वह मास जिसके लिए
वेतन आहरित किया गया |
जमा किए जाने वाले
अंशदान की धनराशि |
वास्तव में जमा किए
गए अंशदान की धनराशि |
उस पालिका का नाम
जिसने अंशदान जमा किया |
चालान की संख्या और
उसका दिनांक |
उस बैंक का नाम जहां
धनराशि जमा की गई |
प्रपत्र 'ड'
नियम 21 देखिए
पेंशन भुगतान आदेश
स्थानीय निकाय निदेशालय, उत्तर प्रदेश, लखन।
संख्या/पेंशन भुगतान
आदेश......................................... |
दिनांक ........................... |
सेवा में,
अभिकर्ता,
स्टेट बैंक आफ इण्डिया।
महोदय,
अग्रतर नोटिस दिए जाने तक और प्रत्येक मास की समाप्ति पर श्री
....................................... को रूपये की धनराशि आय कर को घटाकर का
जो...................................... के रूप में उसके पेंशन की धनराशि है, इस
आदेश की पेंशन भोगी की प्रति प्रस्तुत करने पर भुगतान करें और दावेदार से सामान्य
प्रपत्र के अनुसार उस धनराशि की रसीद लें। भुगतान दिनांक ........................
से प्रारम्भ होना चाहिए।
२-श्री ...................................................... की मृत्यु होने की
दशा में, श्रीमती को श्री ............................. की मृत्यु के दिनांक के
अनुवर्ती दिनांक से............................... रूपए प्रतिमास की पारिवारिक
पेंशन का भुगतान विधवा से मृत्यु प्रमाण-पत्र और आवेदन-पत्र का प्रपत्र प्राप्त
होने पर उसके पुनर्विवाह या उसकी मृत्यु होने के जो भी पहले हो, दिनांक तक किया जा
सकता है।
भवदीय,
हस्ताक्षर
पदनाम
प्रतिलिपि नीचे दिए
गए पेंशन भुगतान आदेश का पेंशन-भोगी के भाग के साथ श्री
पेंशन-भोगी को
अग्रसारित। उसे भुगतान प्राप्त करने के लिए अभिकर्ता, स्टेट बैंक आफ
इण्डिया.................................... के समक्ष उपस्थित होना चाहिए।
पेंशन भागी का नाम
नाम |
पेंशन का वर्ग और प्रारम्भिक
दिनांक |
मुख या सिर पर वैयकि चिन्ह यदि
कोई हो |
ऊँचाई |
जन्म का दिनांक |
धर्म और राष्ट्रीयता |
निवास स्थान जिसमें ग्राम और
परगना दिखाया जायेगा |
मासिक पेंशन की धनराशि रू० पै० |
हस्ताक्षर
.............................
पदनाम
..............................
प्रतिलिपि नगर
पालिका/निगम के अध्यक्ष/मुख्य नगराधिकारी को भी उसके पत्र संख्या दिनांक
के निर्देश में
सूचनार्थ अग्रसारित।
हस्ताक्षर ..............................
पदनाम
.................................
प्रथम भुगतान के समय
पेंशनभोगी का हस्ताक्षर लिए जाने के लिए स्थानः
नाम |
पेंशन का वर्ग और प्रारम्भिक
दिनांक |
मुख या सिर पर वैयक्तिक चिन्ह यदि
कोई हो |
ऊँचाई |
जन्म का दिनांक |
धर्म और राष्ट्रीयता |
निवास स्थान जिसमें ग्राम और
परगना दिखाया जायेगा |
मासिक पेंशन की धनराशि रू० पै० |
1-
...............................................................
2-पारिवारिक पेंशन .................................
3-पेंशन भोगी का जन्म
दिनांक .................................................
(स्टेट बैंक आफ
इण्डिया के अभिकर्ता द्वारा भरा और अभिप्रमाणित किया जायेगा)
पेंशन की धनराशि ................................ रूपया शब्दों में रूपया
..................................
यह दस्तावेज सवितरण अधिकारी अभिकर्ता, स्टेट बैंक आफ इण्डिया द्वारा प्राधिकार के
प्रवृा रहने तक ऐसी रीति से रखा जायेगा कि पेंशनभोगी उस तक पहुँच न सके। प्रत्येक
पृथक भुगतान नीचे अभिलिखित किया जायेगाः
वर्ष.......................19..............................
वर्ष........................ 19...........................
मांस जिसके लिए पेंशन देय हो |
भुगतान का दिनांक |
भुगतान की गई धनराशि |
संवितरण अधिकारी का आद्याक्षर |
भुगतान का दिनांक |
भुगतान की गई धनराशि |
संवितरण अधिकारी का आद्याक्षर |
अभ्युक्ति |
मार्च
.....................................................................................................................
अप्रैल
...................................................................................................................
मई
..................................................................................................................
जून
..................................................................................................................
जुलाई
..................................................................................................................
अगस्त
..................................................................................................................
सितम्बर
..................................................................................................................
अक्टूबर
..................................................................................................................
नवम्बर
..................................................................................................................
दिसम्बर
..................................................................................................................
जनवरी
..................................................................................................................
फरवरी
..................................................................................................................
पेंशन भोगी के
अभिज्ञान सम्बन्धी टिप्पणी जो प्रति ऐसे अपेक्षित है
टिप्पणी-1. पेंशनभोगी के प्रति किसी मांग के लिए जमाकर्ता के अनुरोध पर भारत के
किसी न्यायालय की प्रक्रिया द्वारा पेंशन का अभिग्रहण, उसकी कुर्की, उसे परिबद्ध
नहीं किया जायेगा धारा 11, ऐक्ट संख्या 23 सन 1871।
2-निम्नलिखित अपवादों के अधीन रहते हुए इस आदेश के अधीन भुगतान केवल पेंशनभोगी को
व्यगित रूप से किया जायेगा-
क-ऐसे व्यक्ति जिन्हें सरकार द्वारा विशेष रूप से छूट दी गई हो,
ख-ऐसी महिलाएं जो जनता के बीच उपस्थित होने की आदी न हों और ऐसे पुरूष जो बीमारी या
शारीरिक आशता के कारण उपस्थित होने में असमर्थ हों।
उपर्युक्त क और ख दोनों ही दशाओं में भुगतान, जीवित होने का प्रमाण-पत्र, जो सरकार
के उत्तरदायी अधिकारी या अन्य सुप्रसिद्ध और विश्वसनीय व्यक्ति द्वारा हस्ताक्षरित
किया गया हो, प्रस्तुत करने पर किया जाय।
ग-कोई ऐसा व्यक्ति, को दण्ड प्रक्रिया संहिता के अधीन मजिस्ट्रेट की शक्तियों का
प्रयोग करने वाले किसी व्यक्ति द्वारा या रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1908 के अधीन
नियुक्त किसी रजिस्ट्रार द्वारा या किसी ऐसे पेंशनभोगी अधिकारी द्वारा जिसने
सेवानिवृत्त होने के पूर्व मजिस्टेट की शक्तियों का प्रयोग किया हो या किसी मुन्सिफ
द्वारा या पुलिस थाने के प्रभारी सब-इन्सपेक्टर के पद से अन्यून किसी पुलिस अधिकारी
द्वारा या किसी डाकपाल द्वारा या भारतीय रिजर्व बैंक के किसी प्रथम वर्ग के
अधिकारियों, स्टेट बैंक आफ इण्डिया के किसी स्टाफ अधिकारी या स्टाफ असिस्टेन्ट
द्वारा हस्ताक्षरित जीवित होने का प्रमाण-पत्र भेजें।
घ-भारत में निवास करने वाला कोई ऐसा व्यक्ति, को किसी ऐसे अभिकर्ता के माध्यम से
अपनी पेंशन आहरित करता हो जिसने अधिक भुगतान को वापस करने के लिए इस शर्त पर
बन्ध-पत्र निष्पादित किया हो कि पश्चातवर्ती व्यक्ति कम से कम ऐसे में एक बार खण्ड
ग में उल्लिखित किसी व्य द्वारा हस्ताक्षरित जीवित रहने का प्रमाण-पत्र प्रस्तुत
करेगा।
ड. -खण्ड क, ख और ग में निर्दिष्ट सभी मामलों में संवितरण अधिकारी कम से कम ऐसे में
एक बार पेंशनभोगी के निरन्तर जीवित रहने के ऐसे सबूत की अपेक्षा करेगा जो जीवित
होने के प्रमाण-पत्र द्वारा प्रस्तुत किए गए सबूत से अलग होगा। खण्ड घ में
निर्दिष्ट मामलों में अन्तिम प्राप्त जीवित होने के प्रमाण-पत्र के दिनांक के
पश्चात एक ऐसे से अधिक लेखा अवधि की पेंशन का भुगतान नहीं किया जायेगा और संवितरण
अधिकारी को किसी पेंशनभोगी की मृत्यु की प्रमाणिक सूचना के लिए सजग रहना चाहिए और
ऐसी सूचना प्राप्त होने पर अग्रतर भुगतान तुरन्त बन्द करे देगा।
प्रपत्र 'ढ'
नियम 29 का परन्तुक देखिये
घोषणा-पत्र का प्रपत्र
चूंकि निदेशक, स्थानीय निकाय, उत्तर प्रदेश में आवाश्यक जांच और सही धनराशि के
अवधारण को अन्तिम रूप दिये जाने की प्रत्याशा में मुझे श्री
.................................... उपदान के रूप में
.................................... रूपयें और पेंशन के रूप
में................................. रूपये प्रतिमास अग्रिम अन्तरिम भुगतान करने
की सहमति दे दी है, अतएव मैं इस करार के माध्यम से स्वीकार करता हूँ उपदान और मासिक
पेंशन की अग्रिम धनराशि लेने में मैं पूर्णतया समझता हूँ कि यह मुझे अनुमन्य उपदान
और पेंशन की धनराशि के सम्बन्ध में आवश्यक जांच पूरी होने के पश्चात पुनरीक्षण के
अधीन होगी, और मैं पुनरीक्षण पर इस आधार पर कोई आपत्ति न उठाने का वचन देता हूँ कि
अन्तरिम उपदान और पेंशन की धनराशि जो इस समय मुझे भुगतान की जा रही है, उपदान और
मासिक पेंशन की उस धनराशि से अधिक है जो मुझे अन्तिम रूप से स्वीकृत की जायेगी। मैं
अन्तिम रूप से स्वीकृत उपदान और मासिक पेंशन की धनराशि से अधिक भुगतान की गई धनराशि
को, यदि कोई हो, तुरन्त वापस करने का भी वचन देता हूँ।
साक्षियों का हस्ताक्षर और पता-
1-......................................................................................
2-......................................................................................
हस्ताक्षर
......................................................................................
दिनांक
.......................................................................................
प्रपत्र 'ण'
नियम 21 का परन्तुक देखिये
मृत अधिकारी के विधिक उत्तराधिकारी द्वारा दिया जाने वाला घोषणा का प्रपत्र
चूंकि निदेशक, स्थानीय निकाय, उत्तर प्रदेश में आवश्यक जांच पूरी होने और सही
धनराशि के अवधारण को अन्तिम रूप दिये जाने की प्रत्याशा में मुझे
नाम............................................ पारिवारिक पेंशन के रूप
में...................................... रूपये प्रतिमास और उपदान के रूप
में....................................... रूपये की धनराशि का, जो मृतक को देय
है, अग्रिम अन्तरिम भुगतान करने की सहमति दे दी है, अतएव मैं इस करार के माध्यम से
स्वीकार करता हूँ उपदान और मासिक पारिवारिक पेंशन की अग्रिम धनराशि लेने में, मैं
पूर्णतया समझता हूँ कि यह मुझे अनुमन्य उपदान और पेंशन की धनराशि के सम्बन्ध में
आवश्यक जांच पूरी होने के पश्चात पुनरीक्षण के अधीन होगी, और मैं इस पुनरीक्षण पर
इस आधार पर कोई आपत्ति न उठाने का वचन देता हूँ कि अन्तरिम उपदान और पारिवारिक
पेंशन की धनराशि जो इस समय मुझे दी जा रही है, उपदान और मासिक पेंशन की उस धनराशि
से अधिक है जो मुझे न्तिम रूप से सवीकृत की जायेगी, मैं अन्तिम रूप से स्वीकृत
उपदान और मासिक, पारिवारिक पेंशन की धनराशि से अधिक भुगतान की गई धनराशि को, यदि
कोई हो, तुरन्त वापस करने का भी वचन देता हूँ।
साक्षियों का हस्ताक्षर और पता-
1-.......................................................................................................
2-......................................................................................
हस्ताक्षर......................................................................................
दिनांक......................................................................................
प्रपत्र 'त'
नियम 23 देखिये
बिल
उत्तर प्रदेश पालिका केन्द्रीयित सेवा के अधिकारियों की पेंशन/पेंशन भुगतान आदेश
संख्या
अधिवार्षिकी भत्ता और पेंशन
स्टेअ बैंक आफ इण्डिया
वाउचर संख्या
.......................................
दिनांक
..............................
रूपया प्राप्त किया
जो मास........................ 19...................... के लिये मुझे देय पेंशन
की धनराशि है
दावे की पूर्ण
धनराशि......................................................................................रू०
आय-कर.....................................................
पूरा पदनाम
......................................................................................
स्थानीय निकाय निदेशालय, उत्तर प्रदेश में प्रयोग के
लिये......................................................................................
रूपया ग्रहण किया गया।
पेंशनभोगी के बहीखाता में दर्ज किया गया।
लेखाकार
लेखा अधिकारी
प्रपत्र 'थ'
नियम 25 देखिये
लेखा परीक्षा जांच रजिस्टर
स्टेट बैंक आफ इण्डिया में देय पेंशन
पेंशन भुगतान आदेश संख्या |
पेंशनभोगी का नाम |
जन्म दिनांक |
अन्तिम आहरित वेतन |
पेंशन का वर्ग |
पेंशन की मासिक धनराशि |
प्रारम्भ का दिनांक |
अभ्युक्ति |
पेंशन के भुगतान का
दिनांक
मास |
वर्ष |
लेखा अधिकारी का हस्ताक्षर |
वर्ष |
लेखा अधिकारी का हस्ताक्षर |
वर्ष |
लेखा अधिकारी का हस्ताक्षर |
जनवरी
..................................................................................................................
फरवरी
..................................................................................................................
मार्च
..................................................................................................................
अप्रैल
..................................................................................................................
मई
..................................................................................................................
जून
..................................................................................................................
जुलाई
..................................................................................................................
अगस्त
..................................................................................................................
सितम्बर
..................................................................................................................
अक्टूबर
..................................................................................................................
नवम्बर
..................................................................................................................
दिसम्बर
..................................................................................................................
प्रपत्र 'द'
नियम 26 देखिये
स्थानीय निकाय निदेशालय, उत्तर प्रदेश
उपदान भुगतान आदेश
दिनांक
सेवा में,
स्टेट बैंक आफ इण्डिया,
महोदय,
मुझे आप से यह अनुरोध करना है कि पया उत्तर प्रदेश पालिका, केन्द्रीयित सेवा
कर्मचारी पेंशन-निधि से श्री ...................... को आय-कर घटाकर
......................रूपये............................... रूपये में की धनराशि
का जो उसे स्वीकृत उपदान की धनराशि है, भुगतान करने का प्रबन्ध करें। उसके अभिज्ञान
के सम्बन्ध में विवरण नीचे दिये गये हैः
जन्म का दिनांक |
पिता का नाम |
अभिज्ञान का व्यगित चिन्ह |
ऊँचाई |
मूल वंश पथ और जाति |
निवास स्थान, जिसमें ग्राम और
परगना भी दिया जायेगा |
कृपया इस आदेश की
प्राप्ति स्वीकार करें।
भवदीय,
लेखा अधिकारी
हस्ताक्षर या अंगूठे का निशान
पदनाम ....................................
निदेशक स्थानीय निकाय
के कार्यालय में प्रयोग के लिये
प्रमाणित किया जाता है कि दिनांक ........................... को भुगतान रोकड़ बही
में नामे लिख दिया गया है और अन्य सहायक अभिलेखों में अंकित कर दिया गया है।
लेखाकार
लेखा अधिकारी
प्रपत्र 'घ'
नियम 27 देखिये
उपदान और पेंशन के भुगतान का मासिक विवरण-पत्र
1-मास
2-स्टेट बैंक आफ इण्डिया,
क्रम संख्या |
भुगतान का दिनांक |
भुगतान का कार्यालय |
पेंशन भुगतान आदेश संख्या |
प्राप्तकतर का नाम |
प्राप्तकतर का पूरा पता |
भुगतान का प्रकार |
भुगतान की गई धनराशि |
अन्य अभ्युक्ति यदि कोई हों |
प्रपत्र 'न'
नियम 30 देखिये
विनिधान रजिस्टर
क्रम संख्या |
यथास्थिति, विनिधान अर्थात प्रतिभूमि के म का दिनांक या जमा आदि का दिनांक |
विनिधान का विवरण और सरकारी प्रतिभूति की स्थिति में उसकी संख्या और दिनांक |
धनराशि रू० पै० |
ब्याज की दर |
स्थानीय निकाय निदेशालय के लेखा अधिकारी का आद्याक्षर |
ब्याज की वसूली और लेखे में समायोजन का दिनांक |
ब्याज की वसूली की धनराशि और लेखे का समायोन |
स्थानीय निकाय निदेशालय के लेखा अधिकारी का आद्याक्षर |
उत्तर प्रदेश पालिका और जल संस्थान जलकल अभियंत्रण (केन्द्रीयित)
सेवा नियमावली, 1996
(U.P. PALIKA AND JAL
SANSTHAN WATER WORKS ENGINEERING (CENTRALISED) SERVICE RULES, 1996)
उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम,
1959 उत्तर प्रदेश अधिनियम संख्या
2 सन 1959 की
धारा 112-क, उ० प्र० नगरपालिका अधिनियम,
1916 उ० प्र० अधिनियम संख्या
2 सन 1916 की
धारा 296 की उपधारा
2 के खण्ड क के साथ पठित और उत्तर प्रदेश जल सम्भरण तथा सीवर
व्यवस्था अधिनियम,
1975 उत्तर प्रदेश अधिनियम संख्या
43 सन 1975 की धद्वारा
27-क के
अधीन शक्ति का प्रयोग करके और अधिसूचना संख्या
1682/9-3-86-248-डब्लू-84, दिनांक
18
जून, 1986 का अतिक्रमण करके राज्यपाल इस नियमावली को बनाने का प्रस्ताव करते हैं
उसका निम्नलिखित प्रारूप
1959 के उक्त अधिनियम की धारा
540 की उपधारा 2 और उक्त
अधिनियम, 1916 की धारा
300 की उपधारा 1 की अपेक्षानुसार समस्त सम्बन्धित व्यक्तियों
की सूचना के लिये और उसके सम्बन्ध में सुझाव तथा आपत्तियां आमंत्रित करने की दृष्टि
से प्रकाशित किया जाता है।
2-प्रस्तावित नियमावली के सम्बन्ध में आपत्तियां और सुझाव यदि कोई हों, सचिव उत्तर
प्रदेश सरकार, नगर विकास अनुभाग-3, विकास भवन, लखनऊ को सम्बोधित किये जा सकते हैं।
केवल उन्हीं आपत्तियों और सुझावों पर विचार किया जायेगा जो अधिसूचना के गजट में
प्रकाशित होने के दिनांक से एक मास के भीतर प्राप्त होंगे।
भाग-एक-सामान्य
1-संक्षिप्त नाम, प्रसार और प्रारम्भ-1 यह नियमावली उत्तर प्रदेश पालिका और जल
संस्थान जलकल अभियंत्रण केन्द्रीयित सेवा नियमावली,
1996 कही जायेगी।
2-यह उत्तर प्रदेश में समस्त नगर निगमों, नगरपालिका परिषद और जल संस्थानों पर लागू
होगी।
3-यह गजट में प्रकाशित होने के दिनांक से प्रवृत्त होगी।
2-परिभाषाएं-यदि विषय या प्रसंग में कोई बात प्रतिकूल न हो तो इस नियमावली में-
एक- नियुक्त प्राधिकारी का तात्पर्य, राज्य सरकार से है,
दो- केनद्रीय सेवाओं का तात्पर्य नियम
3 के अधीन सूचित की गई जल संस्थानों और नगर
निगमों और नगरपालिका परिषदों के जलकल की सामान्य सेवाओं से है,
तीन- भारत का नागरिक का तात्पर्य ऐसे व्यक्ति के है जो संविधान के भाग-दो के अधीन
भारत का नागरिक हो या समझा जाय,
चार- नगर निगमों, नगरपालिका परिषदों और जल संस्थानों में
"व" "क" "ख" और "ग" के जलकल का
तात्पर्य सरकार द्वारा समय-समय पर इस प्रकार विनिर्दिष्ट उपक्रमों से है।
पाँच- श्रेणी एक, दो, तीन या चार की नगरपालिका परिषदों का तात्पर्य सरकार द्वारा
समय-समय पर इस प्रकार विनिर्दिष्ट नगरपालिका परिषदों से है,
छः- आयोग का तात्पर्य उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग से है,
सात- संविधान का तात्पर्य भारत का संविधान से है,
आठ- निगम का तात्पर्य उत्तर प्रदेश निगम अधिनियम,
1959 की धद्वारा 4 के अधीन गठित
नगर निगम से है,
1. इस नियमावली को राज्यपाल महोदय ने अधिसूचना संख्या
104/9-3-220 ड्ब्लू-96,
दिनांक 9 सितम्बर,
1996, जो उ०प्र० गजट के भाग
1-क में दिनांक 2 अक्टूबर,
1996, को
प्रकाशित हुयी, द्वारा पारित किया।
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