योजनायें

जवाहर लाल नेहरू नेशनल अर्बन रिन्यूवल मिशनः-

यह योजना देश के 63 चयनित शहरों में क्रियान्वित की जा रही है। इन चयनित शहरों में चालीस लाख से अधिक जनसंख्या वाले 7 शहर, 10 लाख से 40 लाख के बीच की जनसंख्या वाले 28 शहर और प्रदेशों की राजधानी तथा ऐतिहासिक एवं पर्यटन महत्व के 28 शहर शामिल हैं। सात वर्षों की अवधि के लिए रू० 50,000 करोड़ के केन्द्रांश के साथ मिशन रूप में चलाई जाने वाली इस योजना के दो उप-मिशन हैं।

क- अर्बन इन्फ्रास्ट्रक्चर एण्ड गवर्नेन्स

इस उप-मिशन के प्रमुख अवयव निम्नवत् हैं

(i)

अर्बन रिन्यूवल जिसमें भीतरी पुराने शहर का पुनर्विकास शामिल है।

(ii)

जलापूर्ति एवं सफाई

(iii)

सीवरेज और ठोस कूड़ा प्रबन्धन

(iv)

नाली/वर्षाजल हेतु नाली का निर्माण/सुधार

(v)

नगरीय यातायात जिसमें सड़कें, राजमार्ग, मैट्रों आदि शामिल हैं।

(vi)

पार्किंग स्थल जो सार्वजनिक-निजी भागीदारी में संचालित होना हैं।

(vii)

हेरिटेज क्षेत्र का विकास

(viii)

जल निकायों का संरक्षण

(ix)

भूक्षरण/भूस्खलन का अवरोध/पुनर्वासन

पूर्वोत्तर क राज्यों, हिमाचल प्रदेश, उत्तरांचल और जम्मू एवं कश्मीर के अलावा अन्य राज्यों में परियोजना हेतु अधिगृहीत भूमि की कीमत मान्य नही होगी।

 अवयव अनुमन्य नहीं होंगेः

(i)

उर्जा

(ii)

टेलीकॉम

(iii)

स्वास्थ्य

(iv)

शिक्षा

(v)

अधिष्ठान व्यय या मजदूरी

इस उप मिशन के अन्तर्गत वित्तीय व्यवस्था निम्नवत् हैः

 

अनुदान

संस्थागत ऋण

केन्द्र (%)

 राज्य (%)

(%)

40 लाख से ऊपर वाले शहर

35

15

50

10-40 लाख वाले शहर

50

20

30

अन्य शहर

80

10

10

पूर्वोत्तर राज्य और जम्मू-कश्मीर

90

10

-

खारा पानी वाले शहर या समुद्र से 20 किमी० के पास वाले शहर

80

10

10

संस्थागत ऋण के बदले सांसद/विधायक निधि का उपयोग किया जा सकता है। सी०डी०पी०,डी०पी०आर० तथा प्रशिक्षण और क्षमता विकास, सामुदायिक सहभागिता, सूचना, शिक्षा और संचार हेतु केन्द्रों का अधिकतम 5(%) शहरों को अनुमन्य किया जाएगा। इसके अतिरिक्त राज्यों द्वारा प्रशासनिक व्यय के रूप में 5(%) का व्यय अनुमन्य है।

ख- बेसिक सर्विसेज टू द अर्बन पुअरः-

यह उप मिशन चयनित शहरों में रहने वाले गरीबों को मूलभूत सुविधायें उपलब्ध कराने से सम्बन्धित है। इसके अन्तर्गत निम्न अवयव अनुमन्य किए गए हैं:

(i)

स्लम का समेकित विकास

(ii)

गरीबों हेतु मूलभूत सेवाओं में सुधार/विकास/रखरखाव

(iii)

स्लम सुधार और पुनर्वास

(iv)

जलापूर्ति/सीवर/नाली, सामुदायिक शौचालय/स्नानगृह आदि

(v)

स्लम रहने वाले/गरीब/अल्प आय/कम आय वाले वर्ग के लिए वहनीय कीमत पर आवास

(vi)

नाली/वार जल हेतु नाली का निर्माण और सुधार

(vii)

स्लमों का पर्यावरणीय सुधार और ठोस कूड़ा प्रबन्धन

(viii)

मार्ग प्रकाश

(xi)

सामुदायिक हाल, बालगृह आदि

(x)

सृजित सम्पत्तियों का रख-रखाव एवं संचालन

(xi)

गरीबों के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा के कार्यक्रमों का संकेन्द्रण

इस उपमिशन में निम्न अवयव अनुमन्य हैं:

(i)

उर्जा

(ii)

टेलीकॉम

(iii)

अधिष्ठान व्यय तथा मजदूरी

(iv)

रोजगार के नये अवसरों का सृजन

इस कार्यक्रम के अन्तर्गत वित्तीय व्यवस्था निम्नवत् हैः

 

अनुदान केन्द्रांश(%)

राज्य/नगर निकाय/लाभार्थी (%)

40 लाख से ऊपर वाले शहर

50

50

10-40 लाख वाले शहर

50

50

अन्य शहर

80

20

पूर्वोत्तर राज्य

90

10

राज्य सरकार द्वारा लाभार्थी को आवास निःशुल्क नहीं दिया जाएगा। लाभार्थी का अंशदान कम से कम 12% (अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य पिछ्ड़ी जाति/विकलांग एवं अन्य कमजोर वर्ग हेतु 10%) होगा।

रिवाल्विंग फण्ड

मिशन कार्यक्रमों में राज्य सरकार केन्द्रांश तथा राज्यांश को नगर निकायों को साफ्ट ऋण या अनुदान या ऋण सह अनुदान के रूप में दे सकती है। यदि राज्य सरकार ऋण या ऋण-सह-अनुदान के रूप में देती है तो नगर निकायों को एक रिवाल्विंग फण्ड बनाना होगा जिसके प्रथम उप-मिशन के अन्तर्गत केन्द्रांश तथा राज्यांश का कम से कम 25% और दूसरे उप मिशन मे कम से कम 10% धन वापस करके रखा जा सके। छोटे एवं मंझले शहरों के विकास की योजना यू०आई०डी०एस०एस० एम०टी० के अन्तर्गत भी कम से कम 25% की धनराशि की वापसी को सुनिश्चित किया जाएगा। मिशन की समाप्ति पर यह फण्ड शहरी अवस्थापना फण्ड और स्टेट बेसिक सर्विसेज टू द अर्बन पुअर फण्ड में परिवर्तित हो जायेंगे।

राष्ट्रीय स्तर-समितियां

प्रथम उप-मिशन अर्बन इन्फ्रास्ट्रक्चर एण्ड गवर्नेंन्स का संचालन भारत सरकार के शहरी विकास मंत्रालय द्वारा तथा दूसरे उप-मिशन बेसिक सर्विसेज टू द अर्बन पुअर का संचालन भारत सरकार के शहरी नियोजन एवं गरीबी उपशमन मंत्रालय द्वारा किया जाएगा। दोनों मंत्रालयों में संयुक्त सचिव की अध्यक्षता में मिशन निदेशालय गठित किए गए हैं जो इस योजनाओं का संचालन करेंगे।

नेशनल स्टीअरिंग ग्रुप

जवाहर लाल नेहरू नेशनल अर्बन रिन्यूवल मिशन के उद्देश्यों को समय सीमा में प्राप्त करने की प्रक्रिया को गति प्रदान करने हेतु राष्ट्रीय स्तर पर नेशनल स्टीअरिंग ग्रुप का गठन किया गया है। यह ग्रुप इस प्रकार हैः-

(क)

मा० मंत्री शहरी विकास मंत्रालय-अध्यक्ष

(ख)

मा० मंत्री, शहरी रोजगार एवं गरीबी उपशमन मंत्रालय-सह अध्यक्ष

(ग)

सचिव (शहरी रोजगार एवं गरीबी उपामन मंत्रालय)-सदस्य

(घ)

सचिव, योजना आयोग-सदस्य

(ड़)

सचिव, व्यय-सदस्य

(च)

नेशनल टेक्निकल एडवाइजर-सदस्य

(छ)

सचिव, शहरी विकास मंत्रालय-सदस्य सचिव

यह ग्रुप अतिरिक्त सुधारों को जोड़ सकता है तथा ऐतिहासिक धार्मिक महत्व के शहरों (राज्यों की राजधानियों को छोड़कर) में राज्य सरकार के सुझाव पर परिवर्तन कर सकता है लेकिन अधिकतम् संख्या में वृद्धि नही की जा सकती।

सेन्ट्रल सैक्शनिंग एण्ड मानीटरिंग कमेटी

मिशन के अन्तर्गत प्रस्तुत विकास योजनाओं को अनुमोदित तथा मानीटरिंग करने हेतु प्रथम मिशन के लिए शहरी विकास मंत्रालय तथा द्वितीय मिशन हेतु शहरी रोजगार एवं गरीबी उपशमन मंत्रालय के अन्तर्गत सेन्ट्रल सैक्शनिंग एण्ड मानीटरिंग कमेटी का गठन किया गया है जो इस प्रकार हैः-

(क)

 सचिव, शहरी विकास मंत्रालय/शहरी रोजगार एवं गरीबी उपामन मंत्रालय

-अध्यक्ष

(ख)

सचिव, शहरी रोजगार एवं गरीबी उपशमन मंत्रालय/सचिव शहरी विकास मंत्रालय

-सदस्य

(ग)

 प्रमुख सलाहकार (आवास एवं शहरी विकास) योजना आयोग

-सदस्य

(घ)

 संयुक्त सचिव एवं वित्त परामर्श दाता

-सदस्य

(ड़)

 मुख्य नियोजक, ग्राम्य एवं नगर नियोजन संगठन

-सदस्य

(च)

सलाहकार, सी०पी०एच०ई०ओ०

-सदस्य

(छ)

अध्यक्ष एवं प्रबन्ध निदेशक, हडको

-सदस्य

(ज)

संयुक्त सचिव (शहरी विकास/शहरी रोजगार एवं गरीबी उपशमन)

-सदस्य सचिव

परियोजनओं का अनुमोदन करते समय यह समिति शहरी नवीनीकरण, जलापूर्ति एवं सफाई, सीवर, ठोस कूड़ा प्रबन्धन, ड्रेनेज, नगरीय यातायात, गरीबों के लिए आवास आदि की परियोजनाओं को प्राथमिकता प्रदान करेंगी। निजी क्षेत्र के साथ नगर निकायों द्वारा क्रियान्वित की जाने वाली योजनाओं को प्राथमिकता दी जायेगी।

एडवाइजरी ग्रुप

राष्ट्रीय स्तर पर एक एडवाइजरी ग्रुप का गठन किया जायेगा। समाज से लिए गए एक टेक्निकल एडवाइजरी की अध्यक्षता में गठित यह ग्रुप प्रत्येक शहर में स्वैच्छिक टेक्निकल कार्प्स के गठन को प्रोत्साहित करेगा। निजी क्षेत्र की सहभागिता बढ़ाने एवं जनता का सहयोग पाने के साथ-साथ नगरीय प्रशासन में पारदर्शिता लाने को भी यह ग्रुप प्रोत्साहित करेगा।

राज्य स्तरीय समितियां-

राज्य स्तरीय स्टीअरिंग कमेटी-

मिशन के अन्तर्गत परियोजनओं के निर्धारण तथा प्राथमिकता हेतु प्रत्येक राज्य में एक राज्य स्तरीय स्टीअरिंग कमेटी का गठन किया जायेगा। यह समिति निम्नवत् होगीः-

(क)

राज्य के मुख्यमंत्री या नगर विकास मंत्री या आवास मंत्री

-अध्यक्ष

(ख)

नगर विकास मंत्री

-उपाध्यक्ष

(ग)

मंत्री, आवास

-सदस्य

(घ)

निर्वाचित शहरों के मेयर/अध्यक्ष

-सदस्य

(ड़)

सांसद या विधायक (राज्य द्वारा तय)

-सदस्य

(च)

सचिव, पी०एच०ई०

-सदस्य

(छ)

सचिव, म्युनिसिपल प्रशासन

-सदस्य

(ज)

सचिव, वित्त

-सदस्य

(झ)

सचिव, आवास

-सदस्य

(अ)

सचिव, नगर विकास

-सदस्य सचिव

राज्य सरकार इस समिति के गठन में राज्य की आवश्यकताओं के अनुरूप परिवर्तन कर सकती है।

नोडल एजेन्सी

मिशन के क्रियान्वयन में राज्य स्टीअरिंग कमेटी को सहायता देने के लिए राज्य सरकार एक नोडल एजेन्सी को चिन्हित करेगी। इसके प्रमुख कार्य होंगेः निकायों द्वारा प्रस्तुत परियोजनाओं का अप्रेजल, स्टीअरिंग कमेटी से अनुमोदन प्राप्त करना, केन्द्र तथा राज्य से प्राप्त अनुदान का प्रबन्धन, नगर निकायों को अनुदान वितरित करना, रिवाल्विंग र्फेड का प्रबन्धन, भौतिक एवं वित्तीय मानीरिटरिंग, एम०ओ०ए० के अनुसार सुधारों की मानीटरिंग करना आदि।

देश के बड़े एवं महत्व के चयनित शहरों के विकास हेतु प्रवर्तित जवाहर लाल नेहरू नेशनल अर्बन रिन्यूवल मिशन के साथ-साथ देश के शेष छोटे एवं मँझले नगरों एवं कस्बों में अवस्थापना विकास के लिए दो अन्य परियोजनाओं का भी सूत्रपात किया गया है। ये इस प्रकार है।
 

अर्बन इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट स्कीम फार स्माल एण्ड मीडियम टाउन्स (यू०आई०डी०एस०एस०एम०टी०)

इस योजना के अन्तर्गत आई०डी०एस०एम०टी० और त्वरित जलापूर्ति योजना का विलय कर दिया गया है। इसके अन्तर्गत अवस्थापना विकास हेतु भारत सरकार द्वारा वित्तीय वितरण देश की कुल नगरीय जनसंख्या में राज्य की कुल नगरीय जनसंख्या के अनुपात के सापेक्ष होगा। इस हेतु नगरीय जनसंख्या की गणना मिशन के अन्तर्गत चयनित शहरों की जनसंख्या के अलावा की जाएगी।

इस योजना के अन्तर्गत भी वही अवयव अनुमन्य हैं जो मिशन के अन्तर्गत मान्य हैं लेकिन निम्न अवयव अनुमन्य हैं:

(i)

उर्जा एवं टेलीकाम

(ii)

बस ट्राम

(iii)

स्वास्थ्य एवं शिक्षा संस्थान

(iv)

नगरीय यातायात (मैट्रो आदि)

(v)

अधिष्ठान एवं मजदूरी

(vi)

रख-रखाव

इस योजना के अन्तर्गत विकास कार्यों हेतु भारत सरकार 80% धनराशि देगी, राज्य सरकार का अंश 10% होगा तथा नगर निकाय को स्वयं के स्रोत से या संस्थागत ऋण के रूप में शेष 10% धनराशियों की व्यवस्था करनी है।
इस योजना के अन्तर्गत प्रोत्साहन की व्यवस्था भी निम्नवत् है।
1.5 % डी०पी०आर० बनाने हेतु
1.5 % प्रशिक्षण एवं क्षमता विकास हेतु
1 % परियोजना में दक्षता लाने हेतु
1 % परियोजना में नयी तकनीकी का उपायोग करने हेतु

राज्य स्तरीय सैक्शनिंग कमेटीः-

छोटे एवं मँझले कस्बों के विकास की योजनाओं की परियोजना की स्वीकृति राज्य स्तरीय सैक्शनिंग कमेटी द्वारा ही दी जायेगी। इस समिति का गठन निम्नवत् होगाः

(क)

 सचिव, नगर विकास/स्वायत शासन, पालिका प्रशासन

-अध्यक्ष

(ख)

सचिव, वित्त

-सदस्य

(ग)

सचिव, नियोजन

-सदस्य

(घ)

सचिव, कार्य या इंजीनियर-इन-चीफ, पी०डब्लू०डी०

-सदस्य

(ड़)

 निदेशक, ग्राम्य एवं नगर नियोजन/मुख्य ग्राम्य एवं नगर नियोजक्य

 -सदस

(च)

निदेश्क स्थानीय निकाय/पालिका प्रशासन

 -सदस्य

(छ)

शहरी विकास मंत्रालय का प्रतिनिधि

-सदस्य

(ज)

शहरी विकास मंत्रालय आई०एम०डिवीजन का प्रतिनिधि

-सदस्य

(झ)

योजना आयोग का प्रतिनिधि

-सदस्य

(ज)

ग्राम्य एवं नगर नियोजन संगठन का प्रतिनिधि

-सदस्य

(ट)

 नेशनल कैपिटल रीजन का प्रतिनिधि हरियाणा, उत्तर प्रदेश तथा राजस्थान के लिए

-सदस्य

(ढ)

नोडल एजेन्सी का मुख्य कार्यकारी

-सदस्य सचिव

नगर निकायों द्वारा प्रस्तुत परियोजनाओं का परीक्षण तथा अनुमोदन, मानीटरिंग सही दिशा में क्रियान्वयन, नगरीय सुधारों की समीक्षा इसके प्रमुख दायित्व होंगे। प्रत्येक वर्ष कम से कम तीन बार इस समिति की बैठकें होंगी।

इण्टीग्रेटेड हाउसिंग एण्ड स्लम डेवलपमेंट प्रोग्राम (आई०एच०एस०डी०पी०)

वर्तमान में संचालित वैम्बे और एन०एस०डी०पी० कार्यक्रमों को मिलाकर इस योजना को शुरू किया गया है। इसके अन्तर्गत केन्द्र से धनराशि का वितरण देश में स्लम की जनसंख्या में राज्यों के स्लम की जनसंख्या के अनुपात के सापेक्ष किया जाएगा।

इस कार्यक्रम में विकास के निम्न अवयव अनुमन्य हैं:

(i)

आश्रय जिसमें नये आवासों का निर्माण और उच्चीकरण शामिल है।

(ii)

सामुदायिक शौचालय

(iii)

जलापूर्ति, वर्षा जल हेतु नाले, सामुदायिक स्नानगृह, गलियों का चौड़ीकरण एवं पत्थरीकरण, सीवर, मार्ग प्रकाश आदि

(iv)

सामुदायिक केन्द्र

(v)

सामुदायिक प्राथमिक स्वास्थ्य रक्षा केन्द्र हेतु भवन

(vi)

पूर्व स्कूल शिक्षा, अनौपचारिक शिक्षा, पौढ़ शिक्षा, मातृ सेवा केन्द्र, बाल स्वास्थ्य एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र आदि

(vii)

माडल डिमान्स्ट्रेशन प्रोजेक्ट

(viii)

अल्प आय वर्ग एवं गरीबों के लिए वहनीय मूल्य पर आवास/साइट्स एवं सर्विसेज

(ix)

स्लम सुधार और पुनर्वासन

इस योजना के अन्तर्गत भारत सरकार का वित्तीय योगदान 80% होगा तथा 20% राज्य सरकार/निकाय/लाभार्थी/संस्थागत ऋण से किया जाएगा। आवास निःशुल्क उपलब्ध नही कराये जाने हैं, इसके लिए लाभार्थी को कम से कम 12% का योगदान देना होगा। अनुसूचित जाति/जनजाति/पिछ्ड़ी जाति/विकलांग के लिए यह अंशदान 10% होगा। इस परियोजना में मकान कम से कम 25 वर्गमीटर क्षेत्रफल के होंगे जिसमें कम से कम दो कमरे, किचन और शौचालय निर्मित किये जायेंगे। आवास की लागत अधिकतम रू० 80,000 होगी। भूमि का मालिकाना पत्नी के नाम या संयुक्त रूप से होगा।

परियोजना के दक्ष क्रियान्वयन, प्रशिक्षण एवं क्षमता विकास, डी०पी०आर० आदि हेतु
10% प्रोत्साहन राशि अनुमन्य है। इसके अतिरिक्त 5% धनराशि प्राशसनिक व्यय के लिए उपलब्ध करायी जाएगी।

राज्य स्तरीय कोआर्डिनेशन कमेटी -

इस योजना के अन्तर्गत विकास परियोजनाएं नोडल एजेन्सी द्वारा राज्य स्तरीय कोआर्डिनेशन कमेटी के माध्यम से भारत सरकार के शहरी रोजगार एवं गरीबी उपशमन मंञालय को अनुमोदन हेतु प्रेषित की जायेंगी।

राज्य स्तरीय कोआर्डिनेशन कमेटी का गठन राज्यों द्वारा तय किया जाना है। इस समिति के प्रमुख कार्यों में नगर निकायों द्वारा प्रस्तुत परियोजनओं का परीक्षण, मानीटरिंग, क्रियान्वयन तथा नगरीय सुधारों की समीक्षा करना शामिल है। प्रत्येक तिमाही इस समिति की बैठक होनी है।

मलिन बस्तियों में मूलभूत सेवाओं के प्राविधान तथा और स्लेम क्षेत्र में अवस्थापना सुधार की परियोजनाओं का अनुमोदन इस समिति द्वारा किया जायेगा।

सेन्टल सैंक्शनिंग कमेटी- स्लम क्षेत्र में आवास एवं अवस्थापना विकास से सम्बन्धित परियोजनाओं का अनुमोदन शहरी रोजगार एवं गरीबी उपामन मंत्रालय में गठित सेन्ट्रल सैक्शनिंग कमेटी द्वारा किया जाएगा।

 इस समिति का गठन निम्नवत् है-

(क)

 सचिव, शहरी रोजगार एवं गरीबी उपशमन मंत्रालय

-अध्यक्ष

(ख)

 संयुक्त सचिव, शहरी रोजगार एवं गरीबी उपशमन

 -सदस्य

(ग)

संयुक्त सचिव एवं वित्त परामर्शदाता

-सदस्य

(घ)

 संयुक्त सचिव, शहरी विकास

 -सदस्य

(ड़)

 अध्यक्ष एवं प्रबन्ध निदेशक, हडको

-सदस्य

(च)

 निदेशक (शहरी गरीबी उपामन)

-संयोजक

राज्य कोआर्डिनेशन कमेटी द्वारा संस्तुत आवास एवं भौतिक विकास की योजनाओं का परीक्षण तथा अनुमोदन इस समिति के कार्य होंगे।

नगरीय सुधार

उपरिवर्तित समस्त योजनाएं नगरीय सुधार पर आधारित हैं। केन्द्र से अनुदान प्राप्त करने हेतु राज्यों तथा निकायों को सुधार करने होंगे। ये सुधार दो प्रकार के हैं-अनिवार्य तथा ऐच्छिक। अनिवार्य सुधार राज्य सरकार तथा नगर निकायों के लिए अलग-अलग हैं जबकि ऐच्छिक दोनों के लिए सम्मिलित हैं।

अनिवार्य सुधार

अनिवार्य सुधार निम्नवत् हैः

स्थानीय निकाय स्तर पर

(i)

लेखा की दोहरी प्रणाली अपनाना।

(ii)

ई-गवर्नेन्स की शुरूआत।

(iii)

सम्पत्ति कर/भवन कर के प्राशासन में सुधार हेतु जी०आई०एस० का उपयोग।

(iv) यूजर चार्जेज लगाना।

(v)

गरीबों को मूलभूत सेवाएं उपलब्ध कराने हेतु बजट में प्राविधान।

(vi)

गरीबों के लिए मूलभूत सेवायें प्रदान करना जिसमें भूमि का मालिकाना अनिवार्य है।

राज्य स्तरीय

(i)

संविधान के 74वें संशोधन की मंशा के अनुरूप विकेन्द्रीकरण तथा नगर निकायों को नियोजन से जोड़ना

(ii)

स्टैम्प ड्यूटी को कम करके 5% तक लाना

(iii)

जन सहभागिता सुनिश्चित करने हेतु सामुदायिक सहभागिता कानून बनाना तथा शहरी क्षेत्रों में एरिया सभा का गठन

(iv)

निर्वाचित नगर निकायों को नगर नियोजन से जोड़ना और समस्त सेवा प्रदायी संस्थाओं को उत्तरदायी बनाने हेतु एक प्लेटफार्म पर लाना

वैकल्पिक सुधार (राज्य तथा नगर निकाय स्तर पर)

(i)

अर्बन लैण्ड सीलिंग एण्ड रैग्युलेशन एक्ट को निरस्त करना।

(ii)

रेन्ट कन्ट्रोल एक्ट का सुधार

(iii)

पब्लिक डिस्क्लोजर लॉ बनाना

(iv)

भवन निर्माण, स्थल विकास आदि के अनुमोदन को सरल बनाने हेतु आवश्यक उपविधियाँ तैयार करना।

(v)

कृषि भूमि को कृषि इतर उद्देश्यों में परिवर्तन हेतु प्रक्रिया का सरलीकरण करना।

(vi)

नगर निकायों में प्रापर्टी टाइटिल सर्टिफिकेशन पद्धति को शुरू करना।

(vii)

सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र में विकसित सभी आवासीय कालोनियों में अल्प आय/कम आय वर्ग के लिए कम से कम 20-25% विकसित भूमि का चिन्हांकन करना।

(viii)

भूमि और सम्पत्ति के रजिस्ट्रेशन का कम्प्यूटरीकरण करना।

(ix)

समस्त भवनों में जल संरक्षण तथा रेन वाटर हार्वेस्टिंग हेतु उपविधियाँ बनाना।

(x)

पुर्नचक्रित जल उपयोग हेतु उपविधियाँ बनाना।

(xi)

प्रशासनिक सुधार।

(xii)

संरचना सुधार।

(xiii)

सार्वजनिक-निजी भागीदारी को प्रोत्साहन देना।

भारत सरकार से अनुदान प्राप्त करने हेतु समस्त अनिवार्य सुधार तथा कम से कम दो विकल्पिक सुधारों को प्रतिवर्ष लेना होगा। मिशन अवधि सात वर्षों के भीतर समस्त सुधारों को लागू किया जाना है।

मेमोरेण्ड्म ऑफ एग्रीमेंट

नगर निकाय राज्य सरकार के साथ एक मेमोरिण्ड्म ऑफ एग्रीमेन्ट हस्ताक्षरित करेंगी। जिसे भारत सरकार के साथ हस्ताक्षरित किया जायेगा। अनुदान के लिए भारत सरकार को भेजे जाने वाले डी०पी०आर० के साथ एग्रीमेंट की एक प्रति लगाना आवयक होगा। एम०ओ०ए० में प्रत्येक सुधार को पूरा करने हेतु विशिष्ट समयावधि का समावेश किया जाएगा।

मानीटरिंग

इन कार्यक्रमों के सफलतापूर्वक क्रियान्वयन तथा प्रभावी मानीटरिंग हेतु राज्य सरकार एक नोडल एजेन्सी नामित करेगी। जो निम्न समितियों के साथ योजनाओं के क्रियान्वयन की मानीटरिंग करेगी।

राज्य स्तरीय

- नोडल एजेन्सी

 

- स्टीअरिंग कमेटी

 

- कोआर्डिनेटिंग/सैक्शनिंग कमेटी

केन्द्र स्तरीय

- मिशन निदेशालय

 

- सेन्टल सैक्शनिंग कमेटी

 

- नेशनल स्टीअरिंग ग्रुप

जवाहर लाल नेहरू अर्बन रिन्यूवल मिशन के उप-मिशन-। (अर्बन इन्फ्रास्ट्रक्चर एण्ड गवर्नेन्स) तथा यू०आई०डी०एस०एस०एम०टी० योजनाओं का संचालन एवं मानीटरिंग भारत सरकार के शहरी विकास मंत्रालय द्वारा तथा उप-मिशन-।। ( बेसिक सर्विसेज टू द अर्बन पुअर) और आई०एच०एस०डी०पी० योजनओं का संचालन एवं मानीटरिंग शहरी रोजगार एवं गरीबी उपशमन मंत्रालय द्वारा किया जायेगा।

जवाहर लाल नेहरू नेशनल अर्बन रिन्युवल मिशन के अन्तर्गत सी०डी०पी०तथा डी०पी०आर० बनाने होंगे जबकि यू०आई०डी०एस०एम०टी० और आई०एच०एस०डी०पी० में केवल डी०पी० आर० ही बनेंगे। विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बनाने के पूर्व बड़े शहरों की पाँच वर्षों के लिए विकास योजना बनेगी जो
20-25 वर्षों की परिदृश्य योजना के अन्तर्गत तैयार की जायेगी।