स्थानीय निकाय निदेशालय के गठन का मुख्य उद्देश्यः-
भारत सरकार द्वारा गठित अर्बन रिलेशनशिप कमेटी की संस्तुतियों के आधार पर उत्तर प्रदेश शासन द्वारा 1971 में स्थानीय निकाय निदेशालय के गठन की परिकल्पना की गयी जो व्यवहारिक रूप में सन् 1973 में अस्तित्व में आया। निदेशालय के गठन का मूल उद्देश्य था कि व्यवहारिक रूप से निकायों के कार्यकलापों, वित्तीय स्थिति एवं धनराशियों के उचित रख-रखाव पर दृष्टि रखी जा सके। एक उद्देश्य यह भी था कि शासन द्वारा प्रदेश की नगरीय निकायों से सीधे पत्रव्यवहार करने में कठिनाई आ रही थी एवं निदेशालय के गठन के पश्चात शासन द्वारा निकायों से सम्पर्क स्थापित करने हेतु एक माध्यम सृजित हो गया।
जनसंख्या की वृद्धि के फलस्वरूप निकायों में भी वृद्धि हुयी जिससे निदेशालय के कार्य भी बढ़ते गये। वर्तमान में प्रदेश की 654 स्थानीय निकायें गतिशील हैं, जिनमें नगर निगम 14, नगर पालिका परिषदें 202 एवं नगर पंचायतें 438 हैं। इन निकायों में कार्यरत केन्द्रीयित सेवा के लगभग 2835 पदों से सम्बन्धित अधिष्ठान सम्बन्धी मामले, जिसमें नियुक्ति से लेकर सेवानिवृत्ति तक के सेवा सम्बन्धी मामले- जैसे प्रोन्नति, विभागीय अनुशासनिक कार्यवाही तथा शिकायती जाँच, बीमा पेंशन, ग्रेच्युटी आदि प्रकरणों का निस्तारण निदेशालय से किया जाता है। इसके अतिरिक्त निकायों के अकेन्द्रीयित सेवा के कार्मिकों के विभिन्न प्रकार के प्रकरणों का निस्तारण निदेशालय द्वारा किया जाता है।